रांचीः रांची सिविल कोर्ट (Ranchi Civil Court) के वरिष्ठ अधिवक्ता मनोज झा हत्याकांड में रांची पुलिस को बड़ी सफलता हाथ लगी है. हत्याकांड के मुख्य आरोपी अशरफ लंगड़ा को रांची पुलिस (Ranchi Police) की टीम ने बेंगलुरु से गिरफ्तार किया है. बता दें कि अधिवक्ता मनोज झा के हत्याकांड में शामिल चार अपराधियों को पुलिस ने पहले ही गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है.
बेंगलुरु भाग गया था लंगड़ा
सिविल कोर्ट के अधिवक्ता मनोज झा की रांची के तमाड़ में दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. हत्या की वारदात को अंजाम देने के बाद मुख्य आरोपी अशरफ लंगड़ा उसी दिन सड़क मार्ग से बेंगलुरु भाग गया था. मामले की तफ्तीश में जुटी पुलिस की टीम ने हत्याकांड में शामिल चार आरोपियों को कड़ी मशक्कत के बाद गिरफ्तार किया. इसी बीच सीनियर एसपी सुरेंद्र कुमार झा को सूचना मिली कि लंगड़ा बेंगलुरु में छिपा है. इस सूचना के आधार पर एक विशेष टीम बेंगलुरु भेजा गया और स्थानीय पुलिस की मदद से लंगड़ा को गिरफ्तार कर लिया गया है.
14 एकड़ के जमीन विवाद में हुई थी हत्या
अधिवक्ता की हत्या संत जेवियर संस्था की 14 एकड़ जमीन की वजह से हुई थी. इस हत्याकांड के मुख्य आरोपी अशरफ लंगड़ा दस लाख के इनामी माओवादी महाराजा प्रमाणिक का शागिर्द है. लंगड़ा भी नक्सल संगठन से जुड़ा हुआ था, नक्सल घटनाओं को भी अंजाम दे चुका है. लंगड़ा के अलावा अबतक पकड़े गए अपराधियों में सोनू और इमदाद हैं, जो अधिवक्ता को गोली मारी थी. लंगड़ा की गिरफ्तारी से पहले रांची पुलिस ने तमाड़ के रड़गांव के रहने वाले सोनू अंसारी, इमदाद अंसारी, गांगो के रहने वाले रिजवान अंसारी, सरायकेला जिले के इचागढ़ थाना क्षेत्र के नोयाडीह के रहने वाले संजीत मांझी और पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले के बलरामपुर थाना क्षेत्र के रसुलडीह के रहने वाले शकील अंसारी को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है.
जेल में रची गई थी अधिवक्ता की हत्या की साजिश
अधिवक्ता मनोज झा की हत्या की साजिश जेल में रची गई थी. जिस समय अधिवक्ता ने संत जेवियर संस्था की जमीन का केस जीता था और पुलिस-प्रशासन की मदद से जमीन पर कब्जा किया था, उस समय अपराधी अशरफ जेल में था. जेल में रहते हुए उसने गिरोह तैयार की और अधिवक्ता की हत्या की साजिश रची. इस घटना में गिरफ्तार सभी अपराधी जेल में ही बंद थे. सभी को 14 एकड़ जमीन में हिस्सा देने का वादा किया था. हिस्सा तभी मिलता जब अधिवक्ता को रास्ते से हटा देते.
दिव्यांग बताकर जेल से छूटा
लंगडा जन्मजात दिव्यांग है. इसका लाभ लेकर जेल से छूटता है, जबकि वह कुख्यात अपराधी है. दिव्यांग होने के बावजूद स्कूटी और कार भी चलाता है. हत्या के बाद लंगड़ा कार से भगा था.