रांचीः झारखंड जदयू के प्रभारी मनोनीत होने के बाद पहली यात्रा पर झारखंड आए अशोक चौधरी यह बता गये कि नीतीश कुमार किसी की कृपा पर मुख्यमंत्री नहीं बने हैं. बकौल अशोक चौधरी, यह कहना कि राजद बड़ी पार्टी थी और उसने नीतीश कुमार की मदद की, यह कहना गलत होगा. उन्होंने कहा कि नीतीश जी अपनी काबिलियत पर सीएम बने हैं. अपनी कार्यशैली और कार्यप्रणाली के आधार पर सीएम बने हैं.
ये भी पढ़ेंः रांची पहुंचे झारखंड जेडीयू के नए प्रभारी अशोक चौधरी, कई सवालों पर जवाब देने से किया इनकार!
कुछ भी कहना जल्दबाजीः अशोक चौधरी ने कहा कि जब नीतीश जी ने बिहार की कमान संभाली थी, तब बिहार का बजट मात्र 32 हजार करोड़ का था. आज बिहार का बजट 2 लाख 32 हजार करोड़ का है. नीतीश जी का व्यक्तित्व ही ऐसा है कि जिसकी वजह से उन्हें भाजपा ने भी एक्सेप्ट किया और राजद ने भी. यह पूछने पर कि क्या 2025 के चुनाव में बिहार के सीएम के रूप में तेजस्वी यादव को प्रोजेक्ट किया जाएगा. इसके जवाब में उन्होंने कहा कि कुछ घंटे बाद मुझे बिहार लौटना है. लेकिन मुझे नहीं पता कि मैं जिंदा लौटूंगा या मुर्दा. इसलिए 2024 में क्या होगा, इसपर अभी कैसे कुछ कहा जा सकता है.
साझा विपक्ष के पक्षधर हैं नीतीश कुमारः झारखंड जदयू प्रभारी अशोक चौधरी ने कहा कि नीतीश जी कभी प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नहीं रहे हैं. वह भाजपा को रोकने के लिए एक साझा विपक्ष यानी ग्रैंड एलायंस के पक्ष में हैं. नीतीश कुमार का मानना है कि जब तक कांग्रेस इस मोड में नहीं आएगी, तब तक इस एलायंस का कोई मतलब नहीं रहेगा. उन्होंने कहा कि 2024 के चुनाव के वक्त ग्रांड एलायंस बनता है तो ठीक है नहीं तो हम अपनी पार्टी को और मजबूत करने में जुटेंगे.
1932 वाली स्थानीयता सिर्फ पॉलिटिकल स्टंटः झारखंड जदयू प्रभारी ने हेमंत सरकार के 1932 के खतियान पर आधारित स्थानीय नीति को पॉलिटिकल स्टंट बताया. उन्होंने कहा कि यह नीति बिना केंद्र सरकार की सहमति के पूरी होगी ही नहीं. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की खतियानी जोहार यात्रा पर कमेंट करने का कोई मतलब ही नहीं है. अगर उन्हें झारखंड की चिंता है तो राज्य सरकार के नाते उन्हें वैसी योजना लानी चाहिए जिसे वे खुद लागू कर सकें. उन्होंने कहा कि झारखंड और केंद्र सरकार के रिश्ते जगजाहिर हैं. हेमंत सोरेन को पहले केंद्र से रिश्ते ठीक करने चाहिए. उन्होंने कहा कि बिहार में हमारी सरकार ने लोहार जाति को ट्राइबल की सूची में डालने के लिए केंद्र के पास प्रस्ताव भेजा है. लेकिन मामला लटका हुआ है. वही हाल हेमंत सरकार के 1932 आधारित स्थानीयता का है. उन्होंने कहा कि जदयू के अध्यक्ष ने ही संसद में उठाया है कि कुड़मी को आदिवासी का दर्जा मिलना चाहिए. उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज इसलिए सवाल उठा रहा है कि उसे अंदेशा है कि कुड़मी को एसटी का दर्जा मिलने से उनकी हकमारी होगी.
झारखंड में कमजोर रहा पार्टी नेतृत्वः जिलाध्यक्षों ने केंद्रीय नेतृत्व को सही फीडबैक नहीं दिया. उसी फीडबैक पर पिछले बार 45 सीटों पर चुनाव लड़े लेकिन सफलता नहीं मिली. उस वक्त के प्रदेश अध्यक्ष और प्रदेश प्रभारी का आंकलन सही नहीं था. अब पार्टी इस बात को समझ गयी है. अशोक चौधरी ने कहा कि यही मैसेज देने के लिए नीतीश कुमार ने झारखंड के एक नेता को बिहार से राज्यसभा भेजा. उन्होंने कहा कि खीरू महतो जी को भी नहीं मालूम था कि उन्हें सांसद बनाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि झारखंड में संगठन को मजबूत करने के बाद नीतीश कुमार को बुलाया जाएगा.
झारखंड में भी हो जातीय गणनाः बिहार के मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि हमारे प्रतिनिधिमंडल ने पीएम से मुलाकात की थी. हमारा मकसद था कि पूरे देश में कास्ट सर्वे हो. ताकि हर जाति की स्थिति का पता चल सके. यह मालूम चले कि किस जाति के लोग भीख मांग रहे हैं. उन्होंने कहा कि परिवारों के बंटने से अगड़े भी कमजोर हुए हैं. उन्होंने कहा कि पिछड़ी जाति की आबादी सबसे ज्यादा है. उनके सामाजिक-आर्थिक स्थिति का सही आंकलन हो पाएगा. झारखंड सरकार को भी जातीय गणना करवानी चाहिए.