रांचीः अपने सुप्रीमो दिनेश गोप के आदेश पर राजधानी में पीएलएफआई संगठन के विस्तार के इरादे से पहुंचे 10 लाख के ईनामी उग्रवादी तिलकेश्वर गोप ने पुलिस की पूछताछ में कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. तिलकेश्वर के जरिए पुलिस को पीएलएफआई संगठन के बारे में कई अहम जानकारी मिली हैं. जिसके आधार पर रांची पुलिस बेहतर रणनीति तैयार कर पीएलएफआई संगठन पर नकेल कसने की तैयारी कर रही है.
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संगठन में पहले रसोईया का करता था काम, बाद में बना उग्रवादीः तिलकेश्वर ने पुलिस को दिए बयान में बताया है कि उसने 2009 में निर्मला उच्च विद्यालय लापुंग से मैट्रिक की परीक्षा पास की थी. मैट्रिक पास करने के बाद उसने बेड़ो कॉलेज में आगे की पढ़ाई के लिए एडमिशन भी कराया था, लेकिन पढ़ाई उसने बीच में ही छोड़ दी. उसने बताया कि वर्ष 2011 में लाखो इलाके में पीएलएफआई का एरिया कमांडर करमा उरांव संगठन के विस्तार को लेकर अक्सर आता था. करमा उरांव जब भी उसके गांव आता उसे और उसके संगठन के दूसरे सदस्यों को तिलकेश्वर ही अपने घर में खाना बना कर खिलाता था. इसके एवज में करमा उसे पैसे भी दिया करता था. बाद में गांव में रहकर ही वह संगठन के लिए नेटवर्किंग का काम करने लगा. इसी क्रम में लापुंग थाना में उसके विरुद्ध अपहरण कर हत्या करने की प्राथमिकी दर्ज करा दी गई. पुलिस जब उसे तलाश करने लगी तो वह संगठन में जाकर उनके साथ ही रहने लगा. संगठन में उसे खाना बनाने की जिम्मेदारी दी गई थी.
करमा उरांव की गिरफ्तारी के बाद सुप्रीमो दिनेश गोप ने बनाया रीजनल लीडरः उसके कुछ दिनों बाद ही करमा उरांव को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. जिसके बाद तिलकेश्वर की मुलाकात संगठन के सुप्रीमो दिनेश गोप से हुई. दिनेश गोप ने उसे पार्टी का विस्तार करने का काम सौंपा. दिनेश गोप ने उसके काम से खुश होकर उसे संगठन में रीजनल कमेटी का लीडर बना दिया. जिसके बाद वह स्थानीय कारोबारियों से लेवी लेने लगा और सुप्रीमो तक पहुंचाने लगा. इस दौरान उसने झारखंड के विभिन्न जिलों में कई घटनाओं को भी अंजाम दिया.
संगठन विस्तार करने के इरादे से तिलकेश्वर आया था रांचीः पुलिस को दिए अपने बयान में तिलकेश्वर ने बताया कि 20-25 दिन पहले सुप्रीमो के आदेश पर वह रांची के लापुंग पहुंचा था. जहां उसकी मुलाकात पार्टी के रीजनल कमांडर मार्टिन केरकेट्टा से हुई. लापुंग में ही पार्टी की एक बैठक हुई. जिसमें निर्णय लिया गया कि जोना के व्यापारियों से लेवी वसूलना है. 25 जनवरी को तिलकेश्वर, सूरज उर्फ कोका और मोटा उर्फ मुंडा हथियार के साथ व्यापारियों को डराने-धमकाने की योजना बना रहे थे. इसी दौरान पुलिस ने उन्हें घेर लिया. जिसमें उसके बाकी साथी तो फरार होने में कामयाब हो गए, लेकिन तिलकेश्वर और सूरज पकड़े गए. गिरफ्तारी के समय उनके पास से एक राइफल, एक देसी एके 47, 10 गोली, 10 मोबाइल, 5 सिम कार्ड और पीएलएफआई का पर्चा बरामद किया गया.
वर्ष 2018 में हुई थी संपत्ति जब्तः तिलकेश्वर का खूंटी जिले में ज्यादा आतंक था. उस पर दो दर्जन से ज्यादा उग्रवादी कांड में संलिप्त रहने के मामले में अलग-अलग थानों में प्राथमिकी दर्ज हैं. तिलकेश्वर पर रांची में नौ, खूंटी में 37, चाईबासा में चार, सिमडेगा में दो और गुमला में 15 मामले दर्ज हैं. वर्ष 2018 में यूएपी एक्ट की धारा 24 ए के तहत सब जोनल कमांडर तिलकेश्वर ग्रुप के एक दर्जन से ज्यादा वाहनों और अन्य संपत्तियों को पुलिस ने जब्त किया था. तिलकेश्वर रांची के लापुंग का ही रहने वाला है. वह पीएलएफआई के सुप्रीमो दिनेश गोप का बेहद करीबी है.