रांची: देश की सेवा करने की चाहत रखने वाले युवा आज सरकार की व्यवस्था के सामने मजबूर दिख रहे हैं. दरअसल पिछले 2 सालों से सेना बहाली की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों को रिम्स में मेडिकल सर्टिफिकेट वेरीफिकेशन के लिए घंटों चक्कर काटना पर रहा है. इसके बावजूद भी उन्हें मेडिकल वेरिफिकेशन सर्टिफिकेट नहीं मिल पा रहा है. व्यवस्था से परेशान दर्जनों अभ्यर्थी अपने मेडिकल वेरिफिकेशन सर्टिफिकेट के लिए इधर से उधर चक्कर काटने को मजबूर हैं.
रिम्स की लचर व्यवस्था से परेशान छात्र
पलामू जिले से आए छात्र पवन कुमार ने बताया कि वह पिछले 2 सालों से सेना बहाली के लिए तैयारी कर रहे हैं, लेकिन पिछले साल कोरोना की वजह से उसके अरमानों पर पानी फिर गया और इस साल रिम्स की लचर व्यवस्था के कारण परेशान हो रहे हैं. अभ्यर्थियों का कहना है कि सोमवार देर रात उसका कोविड टेस्ट किया गया, जिसकी रिपोर्ट मंगलवार को आई है, लेकिन बहाली में शामिल होने के लिए मेडिकल सर्टिफिकेट वेरिफिकेशन भी जरूरी है. सरकारी फॉर्म पर सरकारी चिकित्सक का हस्ताक्षर और मुहर लगना अनिवार्य है. बगैर मेडिकल सर्टिफिकेट वेरिफिकेशन के बहाली में शामिल नहीं होने दिया जाएगा, इसीलिए वह पिछले कई घंटों से रिम्स के चक्कर काट रहा है. उसके बावजूद भी कागज पर सरकारी चिकित्सक की मुहर नहीं लग पाई है.
कागजी प्रक्रिया में ही फंस गए छात्र
वहीं, अभ्यर्थी अंकित कुमार का कहना है कि काफी उम्मीद के साथ उसने सेना बहाली का फॉर्म भरा है, लेकिन लगता है कि कागजी प्रक्रिया पूरा करने में ही पूरा समय बीत जाएगा, क्योंकि मंगलवार रात 2 बजे ही उसे दौड़ में शामिल होने के लिए कतार में खड़ा होना है, जबकि छात्र श्रवण मेहता ने बताया कि अगर समय पर उसे मेडिकल वेरिफिकेशन का कागज नहीं मिला तो उसका यह साल भी बर्बाद हो जाएगा.
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स्वास्थ्य विभाग के कार्यप्रणाली पर सवाल
ईटीवी भारत की टीम ने जब पूरे मामले में रिम्स प्रबंधन से जानकारी ली तो रिम्स के पीआरओ डॉ डीके सिन्हा ने बताया कि संबंधित चिकित्सक से अभ्यार्थियों की समस्या पर बात की जाएगी, ताकि अभ्यर्थियों का समय पर मेडिकल वेरिफिकेशन हो सके. बता दें कि रांची के मोरहाबादी मैदान में सेना बहाली भर्ती को अंत किया जा रहा है, जिसमें युवाओं को रोजगार के साथ-साथ देश सेवा करने की चाहत है, लेकिन ऐसे मौके पर भी रिम्स प्रबंधन अपनी लापरवाही से बाज नहीं आ रहा है, जो कहीं ना कहीं पूरे स्वास्थ्य विभाग और सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करता है.