नई दिल्ली: केंद्रीय आदिवासी कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा ने ट्राईफेड के वन धन इंटर्नशिप प्रोग्राम को लॉन्च किया है. पूरे देश भर से इसके लिए 18 बच्चों का चयन किया गया है. भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन संघ (TRIFED) आदिवासी कल्याण मंत्रालय के द्वारा संचालित किया जाता है.
साल 1987 में TRIFED की स्थापना की गई थी, यह आदिवासियों के जंगल से इकट्ठा किए गए या उनके बनाए गए उत्पादों को बाजार में सही दामों पर बिकवाने की व्यवस्था करता है. अगर उत्पादों की कीमत में उतार-चढ़ाव होता है तो TRIFED कृषि मंत्रालय से जनजातियों के लिए मुआवजे की व्यवस्था करता है.
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TRIFED आदिवासियों को इस बात का आश्वासन देता है कि उनके उत्पादों के प्राथमिक प्रसंस्करण, भंडारण और परिवहन के लिए उचित साधनों की व्यवस्था की जाएगी.
व्यवसायिकों को बिचौलियों से बचाता है
TRIFED व्यवसायिक बिचौलियों से भी आदिवासियों को बचाता है, क्योंकि बिचौलिए आदिवासियों से कम दामों पर उत्पाद खरीद लेते हैं और उन्हें बाजार में ज्यादा दामों पर बेचकर अच्छा मुनाफा कमा लेते हैं.
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जनजातीय समुदाय के विकास के लिए किया गया लॉन्च
वन धन योजना जनजातीय समुदाय का कौशल विकास करने के लिए लॉन्च किया गया था, इसके लिए आदिवासी बहुल गांव में मूल्य संवर्धन केंद्र भी खोले गए, इन केंद्रों को वन धन विकास केंद्र का नाम दिया गया. इसमें अनुसूचित जनजाति समाज के लोगों को यह प्रशिक्षण दिया जाता है, कि वह उन छोटे वन उत्पादों की कीमत कैसे बढ़ाएं जिन्हें वे इकट्ठा कर मामूली कीमत पर बेचते हैं.
वन धन विकास केंद्र के जरिए इन लोगों के बनाए प्रोडक्ट की पैकेजिंग और मार्केटिंग की जाती है. वन धन योजना को जनजातीय लोगों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से लागू किया गया था.
पूरे देश से 18 बच्चों का चयन
पूरे देश भर से वन धन इंटर्नशिप प्रोग्राम के लिए 18 बच्चों का चयन किया गया है, बच्चे काम सीखेंगे और गांव में जाकर लोगों को बताएंगे कि किस तरह से काम करना है और काम करते वक्त किन चीजों का ध्यान रखना है. यह बच्चे आदिवासियों की मदद करेंगे कि इंटरप्रोयोनर कैसे बनना है, यह बच्चे फिल्ड में जाकर वन धन योजना पर किस तरह काम होता है यह भी देखेंगे. इंस्टीट्यूट्स ऑफ रूरल मैनेजमेंट, इंस्टीट्यूट्स ऑफ सोशल वर्क के जो संस्थान हैं वहां से ये बच्चे इंटर्नशिप के लिए आए हैं.