रांची: राजधानी रांची के कई इलाकों में आम की बागवानी होती है. बागान में पेड़ पर लगे आम का एक अलग आकर्षण होता है. इसके बीच चर्चा और सुर्खियों में एक खास आम है, जो सेब की आकृति वाला है. बरियातू स्थित झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता अंतु तिर्की के आवास स्थित बगान में सेब की आकृति वाला आम इन दिनों लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. यहां पेड़ पर लगे खास तरह के आम की एक झलक पाने के लिए सुबह से शाम तक लोगों का आना-जाना लगा रहता है.
निजी नर्सरी से खरीदा था पौधाः इस संबंध में जेएमएम नेता अंतु तिर्की ने कहा कि चार-पांच साल पहले उन्होंने कचहरी चौक क्षेत्र के निजी नर्सरी से कुछ आम के पौधे खरीदे थे. उस समय उन्हें भी नहीं पता था इसी में से एक पौधा की वजह से उन्हें इस तरह की सुर्खियां मिलेगी. उन्होंने कहा कि आम की अन्य वेराइटी की तरह ही इस पेड़ में मंजर आता है, लेकिन इसका आकार बिल्कुल सेब की तरह गोल होता है. पकने पर इसका रंग पीला हो जाता है. खाने में इसका स्वाद अद्भुत है. उन्होंने कहा कि अलग-अलग क्षेत्रों से लोग आम का पौधा देखने के लिए पहुंच रहे हैं, लेकिन अभी तक उन्होंने बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक से संपर्क नहीं साधा है. अंतु तिर्की ने कहा कि जल्द ही वह बीएयू के उद्यानिकी विभाग के वैज्ञानिकों से बात करेंगे. क्योंकि उन्हें भी नहीं पता है कि यह किस प्रजाति का आम है?
दूर-दूर से लोग सेब की आकृति वाले खास आम को देखने पहुंच रहे हैंः सेब की आकृति वाले आम को देखने के लिए लोग दूर-दूर से बरियातू पहुंच रहे हैं. कोई इस सेब की आकृति वाले आम के साथ अपना फोटो खिंचवाना चाहता है तो कोई सेल्फी लेना चाहता है. रांची से लगभग 22 किलोमीटर दूर ओरमांझी इलाके से किसान मोहम्मद फुटूस आम की वेराइटी देखने के लिए अंतु तिर्की के घर पहुंचे थे. जब अंतु ने इस आम का स्वाद मो फुटूस को चखाया तब वह भी इस खास तरह के आम के स्वाद के कायल हो गए. उन्होंने कहा कि इस खास तरह के आम का स्वाद बाकी सभी आम से अलग है. उन्होंने कहा कि अगर इस प्रजाति के नाम का पता चल जाए और पौधा मिल जाए तो वह भी अपने बागान में इस तरह के आम के पौधे लगाना चाहेंगे.
आम की झारखंड में 500 से अधिक वेराइटी: भले ही पिछले कुछ दिनों से राजधानी रांची में सेब की आकृति वाले आम की वेराइटी सुर्खियों में हो, लेकिन बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के हॉर्टिकल्चर विभाग के पूर्व एचओडी डॉ केके झा के अनुसार सेब की आकृति वाले आम में कुछ भी खास नहीं है. उन्होंने कहा कि आम की 5000 से ज्यादा वेराइटी देश में है. वहीं झारखंड में ही 500 से अधिक प्रजाति के आम उपलब्ध हैं. कई गोल फल देने वाले आम की प्रजातियां भी मौजूद है. उसी में से यह एक तरह की वेराइटी यह हो सकती है. उन्होंने कहा कि एक निजी नर्सरी से इसका पौधा खरीदा गया है. कोलकाता और दक्षिण भारत से ग्राफ्टिंग करके पौधा झारखंड के नर्सरी बाजार में पहुंचता है, ऐसे में वहीं की किसी वेराइटी का यह आम हो सकता है.
आम की गुणवत्ता पर हो सकता है रिसर्चः उन्होंने कहा कि इस बात पर रिसर्च हो सकता है कि इस आम की गुणवत्ता कैसी है और अगर कोई किसान इसे लगाता है तो उसे इसका कितना आर्थिक लाभ हो सकता है और इसकी उत्पादकता झारखंड में क्या होगी, लेकिन सेब की आकृति वाला आम बताकर इसे खास कहना सही नहीं है.