रांचीः आजसू पार्टी ने रविवार को केंद्रीय कार्यालय में संवाददाता सम्मेलन कर स्थानीय नीति और ओबीसी आरक्षण को लेकर हेमंत कैबिनेट के फैसले का समर्थन किया है. पार्टी ने 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति और ओबीसी आरक्षण को 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 फीसदी आरक्षण करने के फैसले का समर्थन करने की घोषणा की है. पार्टी ने सरकार से यह साफ करने की मांग की कि वह बताएं कि झारखंड की नियोजन नीति का आधार 1932 का खतियान होगा या मैट्रिक, इंटर का सर्टिफिकेट.
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14 सितंबर को हेमंत सोरेन सरकार ने कैबिनेट की बैठक के बाद 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति बनाने और ओबीसी को राज्य में 14 प्रतिशत की जगह 27 फीसदी आरक्षण लागू करने का फैसला लिया. सरकार के इस फैसले को लेकर आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो (AJSU supremo Sudesh Mahto) ने समर्थन की घोषणा की है. रविवार को पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में आजसू पार्टी के तीन वरिष्ठ नेता और मुख्य प्रवक्ता देवशरण भगत, पार्टी के केंद्रीय उपाध्यक्ष हसन अंसारी और केंद्रीय महासचिव राजेंद्र मेहता ने संवाददाता सम्मेलन किया. प्रेस वार्ता कर पार्टी के मुख्य प्रवक्ता ने कहा कि आजसू पार्टी हेमंत सरकार के दोनों फैसले का समर्थन करती है और इन दोनों मुद्दे पर विधानसभा में भी सरकार का समर्थन करेगी.
1932 का खतियान आधारित नियोजन नीति भी स्पष्ट करे सरकारः आजसू नेता देवशरण भगत ने कहा कि अब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को यह साफ करना चाहिए कि राज्य में 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति ही नियोजन का अधिकार होगा, क्योंकि तभी इसका फायदा राज्य के आदिवासी-मूलवासी को मिलेगा. आजसू ने मांग की कि राज्य की सरकार यह सुनिश्चित करें कि 1932 खतियान आधारित नियोजन नीति की आड़ में अभी राज्य में चल रही कोई भी नियुक्ति की प्रक्रिया ना रोकी जाए.
आजसू ने जेएमएम पर साधा निशानाः आजसू के केंद्रीय उपाध्यक्ष हसन अंसारी ने कहा कि आजसू लगातार आदिवासी मूलवासी के मुद्दे को सड़क से सदन तक उठाते रही है. उन्होंने कहा कि जब हम सत्ता में थे तब भी 1985 आधारित रघुवर दास की स्थानीय नीति का विरोध किया था. ऐसे में झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रवक्ता का यह कहना कि भाजपा मीर जाफर है और आजसू जयचंद, जेएमएम के इस बयान का पार्टी कड़े शब्दों में निंदा करती है. हसन अंसारी ने कहा कि वो उनसे सवाल पूछती है कि 1993 में नरसिम्हा राव केंद्र की सरकार में किसने झारखंड के आंदोलन को बेचा? हसन अंसारी ने कहा कि अगर 1993 में झामुमो के नेता चाहते तो उसी समय राज्य का निर्माण हो जाता और राज्यवासियों को वर्ष 2000 तक का इंतजार नहीं करना पड़ता.