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Ahmedabad Blast Case: रांची के दो युवक मंजर इमाम और दानिश रियाज साक्ष्य के अभाव में बरी

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Published : Feb 8, 2022, 8:09 PM IST

Updated : Feb 8, 2022, 9:30 PM IST

अहमदाबाद ब्लास्ट केस में रांची के दो युवक बरी कर दिए गए हैं. एनआईए स्पेशल कोर्ट ने मंजर इमाम और दानिश रियाज को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है. एनआईए ने इस ब्लास्ट केस में रांची के इन दोनों युवकों को गिरफ्तार किया था.

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अहमदाबाद ब्लास्ट केस

रांचीः अहमदाबाद ब्लास्ट केस में रांची के मंजर इमाम और दानिश रियाज साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिए गए हैं. अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट केस में रांची के बरियातू इलाके के रहने मंजर इमाम और अफाक इकबाल उर्फ दानिश रियाज को एनआईए स्पेशल कोर्ट साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया है. गुजरात के अहमदाबाद में 2008 में हुए सीरियल बम ब्लास्ट मामले में 13 साल बाद अदालत ने अपना फैसला सुनाया है. एनआईए स्पेशल कोर्ट ने ब्लास्ट मामले में 49 आरोपियों को दोषी ठहराया है. वहीं 28 लोगों को बरी कर दिया गया है.

इसे भी पढ़ें- पलामू-लातेहार सीमा पर JJMP और TSPC नक्सलियों में टकराव, वर्चस्व की लड़ाई में दोनों पक्षों में फायरिंग

क्या है पूरा मामलाः अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट केस में रांची के बरियातू निवासी मंजर इमाम और अफाक इकबाल उर्फ दानिश रियाज को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया है. जुलाई 2008 में अहमदाबाद में सीरियल ब्लास्ट के बाद पूरे मामले के तार बरियातू से जुड़े थे. साल 2011 में गुजरात एटीएस की टीम ने बरियातू इलाके में रहने वाले मंजर इमाम और दानिश रियाज के घर पर छापेमारी की थी. इसके बाद में 21 जून 2011 को दानिश को गुजरात के बड़ोदरा स्टेशन से गिरफ्तार किया गया था. वहीं 3 मार्च 2013 को मंजर इमाम को रांची के कांके इलाके से एनआईए ने गिरफ्तार किया था.

मंजर इमाम और दानिश रियाज के घर खुशी का माहौलः रांची में जैसे ही दानिश और मंजर के परिवार वालों को यह जानकारी मिली कि दोनों को कोर्ट ने बरी कर दिया है, वो खुशी से झूम उठे. परिवार वालों ने अपनी खुशियां आसपास के लोगों को मिठाई बांटकर जाहिर की. दोनों के परिवार वालों का कहना था कि उन्हें यह पता था कि उनके बच्चे बेगुनाह हैं और यह उन्होंने चिल्ला-चिल्लाकर कहा भी था लेकिन उस समय उनकी किसी ने नहीं सुनी. बेगुनाह होने के बावजूद दोनों बच्चों को 13 साल जेल में गुजारना पड़ा.

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मंजर इमाम और दानिश रियाज के घर खुशी का माहौल

मंजर इमाम रांची विश्वविद्यायल में उर्दू का टॉपर था. उसे साल 2007 में रांची विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में गोल्ड मेडल भी मिला था. वहीं दानिश रियाज साइबराबाद में आईटी कंपनी से जुड़ा था. दोनों रांची के बरियातू के जोड़ा तालाब के रहने वाले हैं. दोनों रांची के बरियातू इलाके के सम्मानित परिवार से ताल्लुक रखते हैं.

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दीक्षांत समारोह में उर्दू टॉपर मंजर इमाम

इसे भी पढ़ें- अहमदाबाद ब्लास्ट का आरोपी बिलाल असलम गिरफ्तार

एक के बाद एक धमकों से हिल गया था अहमदाबादः 26 जुलाई 2008 को 21 बम धमाकों ने अहमदाबाद को हिलाकर रख दिया था. इन हमलों में 56 लोगों की मौत हो गई थी और 200 से अधिक घायल हुए थे. अहमदाबाद कोर्ट ने इंडियन मुजाहिदीन के मो. अली को दोषी पाया है. कोर्ट ने पाया है कि तौकीर, राजिल समेत अन्य आरोपियों को रांची और शिवली में पनाह दी गयी थी. अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट केस में पुलिस और जांच एजेंसियों ने दानिश, मंजर समेत 77 आरोपियों पर चार्जशीट दायर किया था. मंगलवार को एनआईए स्पेशल कोर्ट ने 28 आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी किया है. पूर्व में एजेंसियों ने जांच में पाया था कि अहमदाबाद और सूरत सीरियल ब्लास्ट के बाद इंडियन मुजाहिदीन के यासिन भटकल, रियाज भटकल समेत कई अन्य आरोपियों ने रांची को अपना ठिकाना बनाया था.

रांचीः अहमदाबाद ब्लास्ट केस में रांची के मंजर इमाम और दानिश रियाज साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिए गए हैं. अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट केस में रांची के बरियातू इलाके के रहने मंजर इमाम और अफाक इकबाल उर्फ दानिश रियाज को एनआईए स्पेशल कोर्ट साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया है. गुजरात के अहमदाबाद में 2008 में हुए सीरियल बम ब्लास्ट मामले में 13 साल बाद अदालत ने अपना फैसला सुनाया है. एनआईए स्पेशल कोर्ट ने ब्लास्ट मामले में 49 आरोपियों को दोषी ठहराया है. वहीं 28 लोगों को बरी कर दिया गया है.

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क्या है पूरा मामलाः अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट केस में रांची के बरियातू निवासी मंजर इमाम और अफाक इकबाल उर्फ दानिश रियाज को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया है. जुलाई 2008 में अहमदाबाद में सीरियल ब्लास्ट के बाद पूरे मामले के तार बरियातू से जुड़े थे. साल 2011 में गुजरात एटीएस की टीम ने बरियातू इलाके में रहने वाले मंजर इमाम और दानिश रियाज के घर पर छापेमारी की थी. इसके बाद में 21 जून 2011 को दानिश को गुजरात के बड़ोदरा स्टेशन से गिरफ्तार किया गया था. वहीं 3 मार्च 2013 को मंजर इमाम को रांची के कांके इलाके से एनआईए ने गिरफ्तार किया था.

मंजर इमाम और दानिश रियाज के घर खुशी का माहौलः रांची में जैसे ही दानिश और मंजर के परिवार वालों को यह जानकारी मिली कि दोनों को कोर्ट ने बरी कर दिया है, वो खुशी से झूम उठे. परिवार वालों ने अपनी खुशियां आसपास के लोगों को मिठाई बांटकर जाहिर की. दोनों के परिवार वालों का कहना था कि उन्हें यह पता था कि उनके बच्चे बेगुनाह हैं और यह उन्होंने चिल्ला-चिल्लाकर कहा भी था लेकिन उस समय उनकी किसी ने नहीं सुनी. बेगुनाह होने के बावजूद दोनों बच्चों को 13 साल जेल में गुजारना पड़ा.

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मंजर इमाम और दानिश रियाज के घर खुशी का माहौल

मंजर इमाम रांची विश्वविद्यायल में उर्दू का टॉपर था. उसे साल 2007 में रांची विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में गोल्ड मेडल भी मिला था. वहीं दानिश रियाज साइबराबाद में आईटी कंपनी से जुड़ा था. दोनों रांची के बरियातू के जोड़ा तालाब के रहने वाले हैं. दोनों रांची के बरियातू इलाके के सम्मानित परिवार से ताल्लुक रखते हैं.

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दीक्षांत समारोह में उर्दू टॉपर मंजर इमाम

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एक के बाद एक धमकों से हिल गया था अहमदाबादः 26 जुलाई 2008 को 21 बम धमाकों ने अहमदाबाद को हिलाकर रख दिया था. इन हमलों में 56 लोगों की मौत हो गई थी और 200 से अधिक घायल हुए थे. अहमदाबाद कोर्ट ने इंडियन मुजाहिदीन के मो. अली को दोषी पाया है. कोर्ट ने पाया है कि तौकीर, राजिल समेत अन्य आरोपियों को रांची और शिवली में पनाह दी गयी थी. अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट केस में पुलिस और जांच एजेंसियों ने दानिश, मंजर समेत 77 आरोपियों पर चार्जशीट दायर किया था. मंगलवार को एनआईए स्पेशल कोर्ट ने 28 आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी किया है. पूर्व में एजेंसियों ने जांच में पाया था कि अहमदाबाद और सूरत सीरियल ब्लास्ट के बाद इंडियन मुजाहिदीन के यासिन भटकल, रियाज भटकल समेत कई अन्य आरोपियों ने रांची को अपना ठिकाना बनाया था.

Last Updated : Feb 8, 2022, 9:30 PM IST
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