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Agrotech Kisan Mela In Ranchi: बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में एग्रोटेक किसान मेला शुरू, किसानों को कृषि आधुनिकरण से आय वृद्धि करने की दी गई जानकारी

किसानों के नई तकनीक से अवगत कराने के लिए रांची के बीएयू में एग्रोटेक किसान मेला की शुरुआत हो गई है. मेला में कृषि, डेयरी, खाद, बीज आदि कई स्टॉल लगाए गए हैं. मेला के उदघाटन कार्यक्रम में कृषि मंत्री बादल पत्रलेख, ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम समेत कई कृषि अधिकारी और वैज्ञानिक शामिल थे.

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एग्रोटेक किसान मेला
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Published : Feb 3, 2023, 6:32 PM IST

रांचीः बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में शुक्रवार से तीन दिवसीय एग्रोटेक किसान मेला शुरू हो गया. मेला का उद्घाटन राज्य के सूबे के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम और कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया. वहीं मेले में कृषक समुदाय को कृषि, पशुपालन, वानिकी, जैव प्रौद्योगिकी, खाद्य प्रसंस्करण, मत्स्य पालन, डेयरी प्रौद्योगिकी और कृषि यंत्रीकरण में नई तकनीकों से किसानों को अवगत कराने के लिए मेले में 143 स्टॉल लगाए गए हैं.

ये भी पढे़ं-Convocation Ceremony In BAU: गुरुवार को बिरसा कृषि विश्वविद्यालय का सातवां दीक्षांत समारोह, 1139 विद्यार्थियों के बीच बांटी जाएगी डिग्री

एग्रोटेक किसान मेला में राज्य के अलग-अलग जिलों से आए किसानों, कृषि विकास पदाधिकारी, खाद, बीज, उर्वरक, कीटनाशक और कृषि यंत्रों के निर्माता और विक्रेता, बैंक, वित्तीय संस्थान और स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं. इस वर्ष एग्रोटेक किसान मेला 2023 का थीम "कृषि आधुनिकीकरण द्वारा आय में वृद्धि" रखा गया है. वहीं एग्रोटेक मेला 2023 में 14 थीमेटिक पंडाल, सरकारी संस्थाओं के 27 पंडाल और व्यवसायिक क्षेत्र के 76 पंडाल लगाए गए हैं.

मोटे अनाज की खेती को समर्पित है एग्रोटेक किसान मेला 2023ः संयुक्त राष्ट्र संघ ने भारत के आग्रह पर वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष घोषित किया गया है. इसलिए एग्रोटेक मेले में मोटे अनाजों को समर्पित कई स्टॉल आकर्षण के केंद्र में हैं. जहां मोटे अनाजों के गुण, उनके उत्पादन की तकनीक और उनके प्रसंस्करण से उत्पादित उत्पादों को प्रदर्शित किया गया है. विश्वविद्यालय में चल रहे मिलेट्स संबंधित अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना और अन्य कृषि विज्ञान केंद्रों में चल रही परियोजना की भी जानकारी एग्रोटेक किसान मेला में दी गई है. इस मेले में फल, फूल, सब्जी, मसाले, औषधीय एवं सुगंधित पौधों से युक्त बागवानी, गोवंश, पॉल्ट्री, सुकर पालन की भी किसानों पशुपालकों को जानकारी दी जा रही है.

पोषण मिशन की योजनाओं में मिलेट्स को शामिल किया जाएः इस संबंध में नाबार्ड के महानिदेशक एमएस राव ने कहा कि राज्य में 225 एफपीओ में बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने में नाबार्ड सहयोग करेगा. वहीं आईसीआर अटारी के निदेशक डॉ अंजनी कुमार ने कहा कि पोषण मिशन की योजनाओं में मिलेट्स को शामिल किया जाए, यह बेहद जरूरी है. ओडिशा ने इस ओर कदम बढ़ाया है. बिहार-झारखंड को भी इस दिशा में आगे आना होगा.

मौसम में बदलाव के अनुसार बीज विकसित करना जरूरीः इस संबंध में राज्य के कृषि सचिव अबु बकर सिद्दिकी ने कहा कि इकोनॉमी में जीडीपी का 23% कृषि का योगदान है. मत्स्य उत्पादन में हम आत्मनिर्भर हो चुके हैं. दुनिया में हर दिन टेक्नोलॉजी में बदलाव हो रहा है. ऐसे में कृषि विश्वविद्यालय का रोल बढ़ जाता है. क्लाइमेट में बदलाव के साथ उसके अनुसार बीज (सीड) विकसित करना महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि राज्य के सीमांत किसानों को ज्यादा मुनाफा वाले टेक्नोलॉजी विकसित करने की जरूरत है. बिरसा कृषि विश्वविद्यालय को वित्तीय वर्ष 2023-24 में अच्छा बजट दिया जाएगा, लेकिन उसका सही उपयोग होना चाहिए.

कांके विधायक ने की बेकन फैक्ट्री को खोलने की मांगः कांके विधानसभा क्षेत्र के विधायक समरीलाल ने एग्रोटेक किसान मेला उद्घाटन समारोह में सरकार से बंद पड़े बेकन फैक्ट्री को फिर से खोलने की मांग की, ताकि कांके और राज्य के सूकर पालकों का भला हो सके. इस दौरान बीएयू के अलग-अलग विभागों द्वारा लिखित पुस्तिका का भी विमोचन किया गया.

किसानों को तकनीक और आर्थिक रूप से सशक्त करने की जरूरतः इस अवसर पर राज्य के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि यह वर्ष अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पोषक अनाज का वर्ष घोषित किया गया है. प्री बजट प्रजेंटेशन में पोषक तत्वों से भरे मिलेट्स पर जोर दिया गया है. तरक्की के इस दौर में "आ अब लौट चलें" वाली कहावत चरितार्थ हो रही है. आज दुनिया को यह पता चला कि हमारे पूर्वजों ने मोटे अनाज को लेकर जो कहा था, वह कितना सही था. राज्य के किसानों का पैसा बैंकों में हैं, लेकिन उसका खर्च किसानों के लिए नहीं होता. सीडी रेश्यो राज्य में बेहद खराब है. इसे बदलना होगा. उन्होंने कहा कि आज सरकारी संस्थाओं का निजीकरण हो रहा है तो यह नहीं भूलना चाहिए कि इंदिरा गांधी जैसी भविष्य द्रष्टा ने आईसीएआर का गठन किया और बीएयू की नींव रखी. केभीके की संख्या बढ़ाने की जरूरत है. वहीं बीएयू को संकल्प लेने की जरूरत है कि हर वर्ष कम से कम एक लाख किसानों को तकनीक और आर्थिक रूप से सशक्त करने में सहयोग करे.

युवाओं को गांव-कस्बे में ही रोकने के लिए ड्राइव चलाना होगाः वहीं एग्रोटेक किसान मेला 2023 के उद्घाटन समारोह में ग्रामीण विकास मंत्री ने कहा कि तमाम तरह की तकनीक के विकास के बावजूद, आज हम पढ़े-लिखे युवाओं को गांव-कस्बे में ही रोकने में असफल रहे हैं. जब तक हमारा टैलेंट गांव-कस्बे में नहीं रुकेगा, तब तक विकास की बात बेईमानी है. मंत्री आलमगीर आलम ने हेमंत सोरेन सरकार द्वारा अन्नदाताओं से किए वादे को निभाने की बात कही. उन्होंने कहा कि अगर पूरे देश में गांव में रहने वाले 70% किसानों के घर तरक्की पहुंचा दी तो देश की तरक्की को कोई रोक नहीं सकता. हमें शहर की जगह, गांव की ओर लौटना होगा.

प्रगतिशील किसानों को मिला सम्मानः दुमका की सुचिता देवी, गढ़वा के अयोध्या बिंद, सरायकेला के राधेश्याम प्रसाद, चतरा से भीम रजक, देवघर के गोकुल प्रसाद यादव सहित कई प्रगतिशील किसानों को सम्मानित किया गया.

रांचीः बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में शुक्रवार से तीन दिवसीय एग्रोटेक किसान मेला शुरू हो गया. मेला का उद्घाटन राज्य के सूबे के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम और कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया. वहीं मेले में कृषक समुदाय को कृषि, पशुपालन, वानिकी, जैव प्रौद्योगिकी, खाद्य प्रसंस्करण, मत्स्य पालन, डेयरी प्रौद्योगिकी और कृषि यंत्रीकरण में नई तकनीकों से किसानों को अवगत कराने के लिए मेले में 143 स्टॉल लगाए गए हैं.

ये भी पढे़ं-Convocation Ceremony In BAU: गुरुवार को बिरसा कृषि विश्वविद्यालय का सातवां दीक्षांत समारोह, 1139 विद्यार्थियों के बीच बांटी जाएगी डिग्री

एग्रोटेक किसान मेला में राज्य के अलग-अलग जिलों से आए किसानों, कृषि विकास पदाधिकारी, खाद, बीज, उर्वरक, कीटनाशक और कृषि यंत्रों के निर्माता और विक्रेता, बैंक, वित्तीय संस्थान और स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं. इस वर्ष एग्रोटेक किसान मेला 2023 का थीम "कृषि आधुनिकीकरण द्वारा आय में वृद्धि" रखा गया है. वहीं एग्रोटेक मेला 2023 में 14 थीमेटिक पंडाल, सरकारी संस्थाओं के 27 पंडाल और व्यवसायिक क्षेत्र के 76 पंडाल लगाए गए हैं.

मोटे अनाज की खेती को समर्पित है एग्रोटेक किसान मेला 2023ः संयुक्त राष्ट्र संघ ने भारत के आग्रह पर वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष घोषित किया गया है. इसलिए एग्रोटेक मेले में मोटे अनाजों को समर्पित कई स्टॉल आकर्षण के केंद्र में हैं. जहां मोटे अनाजों के गुण, उनके उत्पादन की तकनीक और उनके प्रसंस्करण से उत्पादित उत्पादों को प्रदर्शित किया गया है. विश्वविद्यालय में चल रहे मिलेट्स संबंधित अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना और अन्य कृषि विज्ञान केंद्रों में चल रही परियोजना की भी जानकारी एग्रोटेक किसान मेला में दी गई है. इस मेले में फल, फूल, सब्जी, मसाले, औषधीय एवं सुगंधित पौधों से युक्त बागवानी, गोवंश, पॉल्ट्री, सुकर पालन की भी किसानों पशुपालकों को जानकारी दी जा रही है.

पोषण मिशन की योजनाओं में मिलेट्स को शामिल किया जाएः इस संबंध में नाबार्ड के महानिदेशक एमएस राव ने कहा कि राज्य में 225 एफपीओ में बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने में नाबार्ड सहयोग करेगा. वहीं आईसीआर अटारी के निदेशक डॉ अंजनी कुमार ने कहा कि पोषण मिशन की योजनाओं में मिलेट्स को शामिल किया जाए, यह बेहद जरूरी है. ओडिशा ने इस ओर कदम बढ़ाया है. बिहार-झारखंड को भी इस दिशा में आगे आना होगा.

मौसम में बदलाव के अनुसार बीज विकसित करना जरूरीः इस संबंध में राज्य के कृषि सचिव अबु बकर सिद्दिकी ने कहा कि इकोनॉमी में जीडीपी का 23% कृषि का योगदान है. मत्स्य उत्पादन में हम आत्मनिर्भर हो चुके हैं. दुनिया में हर दिन टेक्नोलॉजी में बदलाव हो रहा है. ऐसे में कृषि विश्वविद्यालय का रोल बढ़ जाता है. क्लाइमेट में बदलाव के साथ उसके अनुसार बीज (सीड) विकसित करना महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि राज्य के सीमांत किसानों को ज्यादा मुनाफा वाले टेक्नोलॉजी विकसित करने की जरूरत है. बिरसा कृषि विश्वविद्यालय को वित्तीय वर्ष 2023-24 में अच्छा बजट दिया जाएगा, लेकिन उसका सही उपयोग होना चाहिए.

कांके विधायक ने की बेकन फैक्ट्री को खोलने की मांगः कांके विधानसभा क्षेत्र के विधायक समरीलाल ने एग्रोटेक किसान मेला उद्घाटन समारोह में सरकार से बंद पड़े बेकन फैक्ट्री को फिर से खोलने की मांग की, ताकि कांके और राज्य के सूकर पालकों का भला हो सके. इस दौरान बीएयू के अलग-अलग विभागों द्वारा लिखित पुस्तिका का भी विमोचन किया गया.

किसानों को तकनीक और आर्थिक रूप से सशक्त करने की जरूरतः इस अवसर पर राज्य के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि यह वर्ष अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पोषक अनाज का वर्ष घोषित किया गया है. प्री बजट प्रजेंटेशन में पोषक तत्वों से भरे मिलेट्स पर जोर दिया गया है. तरक्की के इस दौर में "आ अब लौट चलें" वाली कहावत चरितार्थ हो रही है. आज दुनिया को यह पता चला कि हमारे पूर्वजों ने मोटे अनाज को लेकर जो कहा था, वह कितना सही था. राज्य के किसानों का पैसा बैंकों में हैं, लेकिन उसका खर्च किसानों के लिए नहीं होता. सीडी रेश्यो राज्य में बेहद खराब है. इसे बदलना होगा. उन्होंने कहा कि आज सरकारी संस्थाओं का निजीकरण हो रहा है तो यह नहीं भूलना चाहिए कि इंदिरा गांधी जैसी भविष्य द्रष्टा ने आईसीएआर का गठन किया और बीएयू की नींव रखी. केभीके की संख्या बढ़ाने की जरूरत है. वहीं बीएयू को संकल्प लेने की जरूरत है कि हर वर्ष कम से कम एक लाख किसानों को तकनीक और आर्थिक रूप से सशक्त करने में सहयोग करे.

युवाओं को गांव-कस्बे में ही रोकने के लिए ड्राइव चलाना होगाः वहीं एग्रोटेक किसान मेला 2023 के उद्घाटन समारोह में ग्रामीण विकास मंत्री ने कहा कि तमाम तरह की तकनीक के विकास के बावजूद, आज हम पढ़े-लिखे युवाओं को गांव-कस्बे में ही रोकने में असफल रहे हैं. जब तक हमारा टैलेंट गांव-कस्बे में नहीं रुकेगा, तब तक विकास की बात बेईमानी है. मंत्री आलमगीर आलम ने हेमंत सोरेन सरकार द्वारा अन्नदाताओं से किए वादे को निभाने की बात कही. उन्होंने कहा कि अगर पूरे देश में गांव में रहने वाले 70% किसानों के घर तरक्की पहुंचा दी तो देश की तरक्की को कोई रोक नहीं सकता. हमें शहर की जगह, गांव की ओर लौटना होगा.

प्रगतिशील किसानों को मिला सम्मानः दुमका की सुचिता देवी, गढ़वा के अयोध्या बिंद, सरायकेला के राधेश्याम प्रसाद, चतरा से भीम रजक, देवघर के गोकुल प्रसाद यादव सहित कई प्रगतिशील किसानों को सम्मानित किया गया.

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