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BAU में मनाया गया कृषि शिक्षा दिवस, देश के विकास में कृषि के महत्व पर चर्चा

रांची के बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में कृषि शिक्षा दिवस मनाया गया. इस दौरान युवा पीढ़ी को भारत में कृषि शिक्षा की आवश्यकता और उसके महत्व के बारे में बताया गया. इसके साथ ही वानिकी संकाय के शिक्षकों और छात्रों ने पंजाब कृषि विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित वेबिनार में भाग लिया.

agricultural education day
कृषि शिक्षा दिवस
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Published : Dec 4, 2020, 12:20 PM IST

रांचीः बिरसा कृषि विश्वविद्यालय और इसके अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्रों में गुरुवार को कृषि शिक्षा दिवस मनाया गया. कुलपति डॉ. ओंकार नाथ सिंह ने भारत में कृषि शिक्षा विकास के लिए कृषि क्षेत्र के प्रति युवाओं को प्रेरित और प्रोत्साहित करने का महत्वपूर्ण अवसर बताया. उन्होंने आज की युवा पीढ़ी को भारत में कृषि शिक्षा की आवश्यकता और महत्व पर जागरूक किए जाने की आवश्यकता है.

पहली बार 6 कृषि महाविद्यालयों की स्थापना
कृषि संकाय में आयोजित विचार गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए डीन एग्रीकल्चर डॉ एमएस यादव ने भारत में कृषि शिक्षा के इतिहास पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि तत्कालीन प्राकृतिक आपदा और कृषि जोखिम को देखते हुए देश में पहले 6 कृषि महाविद्यालयों की स्थापना की गई. वर्ष 1960 में पंतनगर में पहले कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना से देश में कृषि शिक्षा को गति मिली. आज देश में 64 कृषि विश्वविद्यालय, 3 केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय और 4 डीम्ड कृषि विश्वविद्यालय है. कृषि संस्थानों के मामले में भारत दुनिया का सबसे समृद्ध देश है और इस क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं.

देश की नई शिक्षा नीति
डीन वेटनरी डॉ सुशील प्रसाद ने कृषि शिक्षा के क्षेत्र में पशुपालन और पशु चिकित्सा के प्रति युवाओं में बढ़ते रूझान के बारे में बताया और विगत दस वर्षों में देश में 16 वेटनरी विश्वविद्यालय की स्थापना के बारे में जानकारी दी. डीएसडब्ल्यू डॉ डीके शाही ने बताया कि देश की नई शिक्षा नीति में स्कूली स्तर से कृषि शिक्षा पर जोर दिया जा रहा है. नई कृषि शिक्षा नीति के लिए भी हाल में समिति गठित की गई है. अध्यक्ष कीट डॉ पीके सिंह ने भारत में तक्षशिला विश्वविद्यालय काल से कृषि शिक्षा का उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि पूरे देश में वर्ष 1960 में 4 हजार छात्रों के नामांकन के विरूद्ध वर्ष 2020 में करीब 40 हजार छात्रों के प्रति वर्ष नामांकन से कृषि शिक्षा के बढ़ते प्रभाव का पता चलता है. कुलसचिव डॉ नरेंद्र कुदादा ने कृषि क्षेत्र में रोजगार के अवसर और लाभकारी कृषि से उद्यमशीलता विकास पर प्रकाश डाला.

इसे भी पढ़ें- झारखंड पुलिस एसोसिएशन का आरोप, इंस्पेक्टरों के तबादले में हुई गड़बड़ी

वाद–विवाद और निबंध प्रतियोगिता का आयोजन
निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ जगरनाथ उरांव ने कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से युवक, युवतियों, पुरूष और महिला कृषकों के कृषि प्रसार शिक्षा गतिविधियों के महत्त्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय अधीन संचालित राज्य के 16 कृषि विज्ञान केंद्रों में भी इस दिवस को मनाया जा रहा है. इन केंद्रों की ओर से स्कूली छात्रों को ऑनलाइन माध्यम से सफल कृषि उद्यमी द्वारा कृषि और सबंधित विज्ञान के विषयों के प्रति प्रेरणादायक वार्ता, प्रसिद्ध व्यक्तित्व के उपलब्धियों की जानकारी साझा करने के उद्देश्य से वेबिनार, वाद–विवाद और निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है.

पंजाब कृषि विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित वेबिनार
वहीं, कृषि शिक्षा दिवस के अवसर पर वानिकी संकाय के शिक्षकों और छात्रों ने पंजाब कृषि विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित वेबिनार में भाग लिया. मौके पर डीन फॉरेस्ट्री डॉ एमएच सिद्दिकी ने वानिकी शिक्षा और रोजगार के अवसर विषय पर प्रकाश डाला. वेबिनार में देश के विभिन्न भागों के 40 शिक्षकों और करीब 80 छात्रों ने जलवायु परिवर्तन, जल और भूमि संरक्षण की ज्वलंत समस्याओं और वानिकी से सबंधित ग्रामीण आजीविका, उद्योग और वानिकी प्रसार शिक्षा विषयों पर चर्चा में भाग लिया.

रांचीः बिरसा कृषि विश्वविद्यालय और इसके अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्रों में गुरुवार को कृषि शिक्षा दिवस मनाया गया. कुलपति डॉ. ओंकार नाथ सिंह ने भारत में कृषि शिक्षा विकास के लिए कृषि क्षेत्र के प्रति युवाओं को प्रेरित और प्रोत्साहित करने का महत्वपूर्ण अवसर बताया. उन्होंने आज की युवा पीढ़ी को भारत में कृषि शिक्षा की आवश्यकता और महत्व पर जागरूक किए जाने की आवश्यकता है.

पहली बार 6 कृषि महाविद्यालयों की स्थापना
कृषि संकाय में आयोजित विचार गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए डीन एग्रीकल्चर डॉ एमएस यादव ने भारत में कृषि शिक्षा के इतिहास पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि तत्कालीन प्राकृतिक आपदा और कृषि जोखिम को देखते हुए देश में पहले 6 कृषि महाविद्यालयों की स्थापना की गई. वर्ष 1960 में पंतनगर में पहले कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना से देश में कृषि शिक्षा को गति मिली. आज देश में 64 कृषि विश्वविद्यालय, 3 केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय और 4 डीम्ड कृषि विश्वविद्यालय है. कृषि संस्थानों के मामले में भारत दुनिया का सबसे समृद्ध देश है और इस क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं.

देश की नई शिक्षा नीति
डीन वेटनरी डॉ सुशील प्रसाद ने कृषि शिक्षा के क्षेत्र में पशुपालन और पशु चिकित्सा के प्रति युवाओं में बढ़ते रूझान के बारे में बताया और विगत दस वर्षों में देश में 16 वेटनरी विश्वविद्यालय की स्थापना के बारे में जानकारी दी. डीएसडब्ल्यू डॉ डीके शाही ने बताया कि देश की नई शिक्षा नीति में स्कूली स्तर से कृषि शिक्षा पर जोर दिया जा रहा है. नई कृषि शिक्षा नीति के लिए भी हाल में समिति गठित की गई है. अध्यक्ष कीट डॉ पीके सिंह ने भारत में तक्षशिला विश्वविद्यालय काल से कृषि शिक्षा का उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि पूरे देश में वर्ष 1960 में 4 हजार छात्रों के नामांकन के विरूद्ध वर्ष 2020 में करीब 40 हजार छात्रों के प्रति वर्ष नामांकन से कृषि शिक्षा के बढ़ते प्रभाव का पता चलता है. कुलसचिव डॉ नरेंद्र कुदादा ने कृषि क्षेत्र में रोजगार के अवसर और लाभकारी कृषि से उद्यमशीलता विकास पर प्रकाश डाला.

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वाद–विवाद और निबंध प्रतियोगिता का आयोजन
निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ जगरनाथ उरांव ने कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से युवक, युवतियों, पुरूष और महिला कृषकों के कृषि प्रसार शिक्षा गतिविधियों के महत्त्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय अधीन संचालित राज्य के 16 कृषि विज्ञान केंद्रों में भी इस दिवस को मनाया जा रहा है. इन केंद्रों की ओर से स्कूली छात्रों को ऑनलाइन माध्यम से सफल कृषि उद्यमी द्वारा कृषि और सबंधित विज्ञान के विषयों के प्रति प्रेरणादायक वार्ता, प्रसिद्ध व्यक्तित्व के उपलब्धियों की जानकारी साझा करने के उद्देश्य से वेबिनार, वाद–विवाद और निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है.

पंजाब कृषि विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित वेबिनार
वहीं, कृषि शिक्षा दिवस के अवसर पर वानिकी संकाय के शिक्षकों और छात्रों ने पंजाब कृषि विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित वेबिनार में भाग लिया. मौके पर डीन फॉरेस्ट्री डॉ एमएच सिद्दिकी ने वानिकी शिक्षा और रोजगार के अवसर विषय पर प्रकाश डाला. वेबिनार में देश के विभिन्न भागों के 40 शिक्षकों और करीब 80 छात्रों ने जलवायु परिवर्तन, जल और भूमि संरक्षण की ज्वलंत समस्याओं और वानिकी से सबंधित ग्रामीण आजीविका, उद्योग और वानिकी प्रसार शिक्षा विषयों पर चर्चा में भाग लिया.

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