रांचीः झारखंड के महाधिवक्ता राजीव रंजन ने हाईकोर्ट के अधिवक्ता राजीव कुमार और याचिकाकर्ता पर कोर्ट को गुमराह करने का आरोप लगाया है. उन्होंने बताया कि हेमंत सोरेन और बसंत सोरेन की संपत्ति और कंपनियों में भूमिका को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के बाद याचिकाकर्ता के वकील ने मीडिया को गलत जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि कोर्ट ने ईडी को जांच का आदेश नहीं दिया है. कोर्ट ने सिर्फ ईडी और ROC से कंपनियों के बारे में रिपोर्ट मांगी है. उन्होंने कहा कि यह एक सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा है. लेकिन इसे गलत तरीके से मीडिया में पेश किया गया.
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महाधिवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि हेमंत सोरेन और बसंत सोरेन के खिलाफ जो याचिका दायर हुई है, उन्हीं बिंदुओं पर आधारित याचिका साल 2013 में भी दायर हुई थी. तब दीवान इंद्रनील सिन्हा याचिकाकर्ता थे. उस वक्त भी राजीव कुमार ही याचिकाकर्ता के अधिवक्ता थे. तब हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए प्रार्थी पर 50 हजार का जुर्माना भी लगाया था. फिर उन्हीं दस्तावेजों को आधार बनाकर फिर से पीआईएल कैसे की जा सकती है.
महाधिवक्ता ने कहा कि प्रार्थी और अधिवक्ता राजीव कुमार ने कोर्ट को गुमराह किया है. इससे कोर्ट को अवगत करा दिया गया है. अगली सुनवाई के दौरान सारे तथ्य स्पष्ट हो जाएंगे. उन्होंने कहा कि कोर्ट की आर्डरशीट मिले बगैर अधिवक्ता राजीव कुमार ने मीडिया को तोड़ मरोड़कर जानकारी साझा की है.
आपको बता दें कि 22 अप्रैल को शिव शंकर शर्मा की जनहित याचिका पर मुख्य न्यायाधीश रवि रंजन की अदालत में सुनवाई हुई थी. याचिकाकर्ता ने मांग की थी कि हेमंत सोरेन और बसंत सोरेन की कई शेल कंपनियों में हिस्सेदारी है. इसके जरिये अवैध संपत्ति अर्जित की गई है. लिहाजा, पूरे मामले की जांच की जानी चाहिए.