रांचीः रांची सिविल कोर्ट के अधिवक्ता एक बार फिर दो गुट में बंट गए हैं. एक गुट में रांची जिला बार एसोसिएशन के तमाम पदाधिकारी और सदस्य हैं. वहीं दूसरे गुट में बार के प्रशासनिक सचिव पवन रंजन खत्री और उनके सहयोगी वकील हैं.
इसे भी पढ़ें- फेसबुक और ट्विटर को प्रतिवादी बनाने की याचिका कोर्ट ने किया स्वीकार, 19 मार्च को मामले की अगली सुनवाई
स्टैंडिंग कमेटी की हुई थी बैठक
कोरोना महामारी को लेकर न्यायालय में सभी न्यायिक कार्य पिछले 2 फरवरी तक वर्चुअल व्यवस्था से चल रहे थे. उस दौरान अधिवक्ता को हो रही परेशानी को लेकर बार के प्रशासनिक सचिव पवन रंजन खत्री अपने सहयोगी अधिवक्ताओं के संग फिजिकल कोर्ट शुरू कराने की मांग को लेकर कोर्ट परिसर में प्रदर्शन किए थे. जिस पर आपत्ति जताते हुए बार के वरीय पदाधिकारियों ने आनन-फानन में स्टैंडिंग कमेटी की बैठक बुलाई. इस बैठक में पवन रंजन खत्री के शामिल नहीं होने पर उन्हें 3 माह के लिए पद से निलंबित कर दिया गया.
एक सप्ताह के अंदर जवाब देने का आदेश
पवन रंजन खत्री के खिलाफ बार की ओर से विभागीय कार्रवाई किए जाने के बाद विवाद थमने के बजाय और बढ़ गया. हालांकि स्टेट बार काउंसिल ने पवन रंजन खत्री के निलंबन के आदेश को खारिज करते हुए उन्हें फिर से पद पर बहाल किया और बार के पदाधिकारियों को नोटिस जारी कर 1 सप्ताह के अंदर घटना से संबंधित जवाब देने का आदेश जारी किया. जिस पर बार के पदाधिकारियों ने अब तक कोई जवाब नहीं दिया है. इसको लेकर स्टेट बार काउंसिल ने दोबारा नोटिस जारी कर 1 सप्ताह के अंदर जवाब देने का आदेश जारी किया है.
इसे भी पढ़ें- सिविल कोर्ट सुरक्षा मामले पर हाईकोर्ट में सुनवाई, अदालत ने सचिव को लिखित जवाब पेश करने का दिया निर्देश
दो अलग-अलग कानूनी कार्रवाई
फिजिकल कोर्ट शुरू कराने की मांग को लेकर 6 जनवरी को प्रशासनिक सचिव पवन रंजन खत्री और बार के वरीय पदाधिकारी के बीच तीखी नोकझोंक हुई थी. जिसको लेकर पवन रंजन खत्री ने बार के अध्यक्ष शंभू अग्रवाल, महासचिव कुंदन प्रकाशन समेत बार के कई पदाधिकारियों के खिलाफ दो अलग-अलग कानूनी कार्रवाई की है, एक शिकायत वाद और दूसरा जान से मारने का षड्यंत्र रखने का मामला न्यायालय में दर्ज कराया है. इस कार्रवाई से बार के पदाधिकारियों ने नाराजगी जाहिर करते हुए दुर्भाग्यपूर्ण बताया है.
खींचतान और उठापटक की राजनीति शुरू
बार के कार्यकारी अध्यक्ष विनय कुमार राय के मुताबिक रांची जिला बार एसोसिएशन अधिवक्ताओं का एक परिवार है. परिवार में किसी बात को लेकर विवाद होता है तो उसे आपस में बैठकर निराकरण करना चाहिए न की कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए. चुनाव के नजदीक आते ही रांची जिला बार एसोसिएशन में खींचतान और उठापटक की राजनीति शुरू हो गई है.