रांचीः राज्य में हाल के दिनों में हुई बड़ी आपराधिक घटनाएं चाहे वह किसी भी जिले में क्यों न घटी हो लगभग हर घटना के तार जेल से जुड़े हुए थे. मामला चाहे हत्या का हो, गोलीबारी का हो या फिर रंगदारी का सबकुछ जेल के अंदर से ही चल रहा है. जेल के अंदर से साजिश रचने की गतिविधियां इसलिए चल रही हैं क्योंकि जेल में बंद अपराधियों के वर्दी वाले मददगार जेल में ही मौजूद हैं. लेकिन अब वही मददगार पुलिस मुख्यालय के रडार पर हैं. डीजीपी के निर्देश पर वैसे सभी पुलिस और जेलकर्मियों को चिन्हित करने का काम शुरू किया गया है जो लोग जेल में अपराधियों की मदद करते हैं.
अपराधियों से भी हो रही पूछताछः सलाखों के पीछे रहने के बावजूद आखिर कैसे गैंगस्टर जेल के बाहर वारदातों को अंजाम दिलवा रहे हैं, यह बड़ा सवाल है. यह सवाल हर वैसी बड़ी घटना के बाद जोर शोर उठाया जाता है जिसमें जेल की साजिश का खुलासा होता है. वर्तमान समय में यह सवाल जोर शोर से सिर्फ इसलिए उठ रहा है क्योंकि जेल में बंद अमन साव जैसे अपराधियों ने जेल के बाहर की दुनिया में तबाही मचा रखी है. रंगदारी के लिए गोलीबारी, रंगदारी नहीं देने पर हत्या सबकुछ जेल से ही प्लान किया जा रहा है.
सख्त मूड में डीजीपीः क्योंकि मामला बेहद गंभीर हो चुका है, इसलिए इसे लेकर अब झारखंड के डीजीपी सख्त मूड में हैं. झारखंड के डीजीपी अजय कुमार सिंह के अनुसार जेल के तंत्र में जो कुछ खामियां हैं वह सबको पता है. उसे दूर करने के लिए हर प्रयास किया जा रहा है. दूसरी तरफ जानकारी यह भी है कि डीजीपी के निर्देश के बाद झारखंड के सभी जेलों में वैसे छोटे-बड़े अपराधी जो जेल कर्मियों के साथ-साथ पुलिस वालों के कृपा पात्र बने हुए हैं उन सब की लिस्ट बनाई जा रही है. कौन सा अपराधी किस जेल कर्मी या पुलिस वाले का सहयोग पाकर जेल से ही अपनी सल्तनत चला रहा है, इसकी जानकारी खुफिया तरीके से जुटाई जा रही है.
चुंकि सब यह जानते हैं कि जब तक जेल का कोई कर्मी या फिर जेल में ड्यूटी करने वाला पुलिस वाला अपराधियों की मदद नहीं करेगा तब तक किसी अपराधी की औकात नहीं है कि वह जेल से बाहर किसी को फोन कर पाए, वह भी रंगदारी के लिए. मतलब साफ है अगर जेल से चल रहे आपराधिक गतिविधियों पर काबू पाना है तो जेल के तंत्र पर ही सबसे पहले प्रहार करना होगा. जिसका इशारा पुलिस मीटिंग के दौरान गृह सचिव और डीजीपी दोनों ही कर चुके हैं.
पुलिस से मांगी गई है रिपोर्टः जेल में अपराधियों के मददगारों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए जिलों की पुलिस से भी रिपोर्ट मांगी गई है. जिला प्रशासन और जिला पुलिस के सहयोग से ही अक्सर विभिन्न जेलों में औचक छापेमारी की जाती है. लेकिन अपराधियों का नेक्सस जेल के अंदर इतना मजबूत है कि छापेमारी के दौरान कुछ बरामद नहीं होता, जबकि जेल के अंदर होता बहुत कुछ है. पुलिस मुख्यालय के द्वारा वैसे तमाम संदिग्ध जेल कर्मियों को लेकर रिपोर्ट भी मांगी गई है, जो कभी ना कभी अपराधियों को संरक्षण देते रहे हैं. अगर जांच के दौरान कोई भी कर्मी अपराधियों को संरक्षण देने के मामले में दोषी पाया जाता है तो उस पर आगे की कार्रवाई की जाएगी.
ईडी के भी रडार पर हैं कुछ जेलकर्मीः ईडी के द्वारा गिरफ्तार किए गए रसूखदार कैदियों की सेवा करने को लेकर रांची जेल के कई कर्मी ईडी के भी रडार पर है. खासकर एक जमादार की भूमिका के विषय में भी ईडी को जानकारी मिली. जमादार को जेल में काफी प्रभावशाली बताया गया है. जिस जमादार को लेकर ईडी को जानकारी मिली है, उसके जेल में बंद कई खतरनाक अपराधियो से भी बेहतर संबंध हैं. वो रसूखदार कैदियों को मोबाइल भी उपलब्ध करवाता है.
क्यों है मुख्यालय गंभीरः इसी सप्ताह झारखंड के गृह सचिव अविनाश कुमार और डीजीपी अजय कुमार सिंह ने राज्य की कानून व्यवस्था की समीक्षा की थी. समीक्षा के दौरान कई ऐसे गंभीर हत्या, रंगदारी और गोलीबारी के मामले सामने आए जिसकी साजिश जेल से ही रची गई थी. दो महीने के भीतर हजारीबाग में रित्विक कंपनी के जीएम की हत्या, रांची में कोयला कारोबारी रंजीत गुप्ता पर हमला, रांची में ही बिट्टू खान और संजय सिंह की हत्या इन सभी कांडों की साजिश जेल से रची गई थी. झारखंड के धनबाद जिले में तो हर सफ्ताह ही किसी ना किसी मामले को लेकर गोलीबारी या फिर हत्या का दौर चलते रहता है. जिनमें अधिकांश मामले जेल से जुड़े होते हैं. शायद यही वजह है कि एक बार फिर से जेल को लेकर सरकार गंभीर है और जेल के भीतर बंद अपराधियों पर पूरी तरह से नकेल कसने के काम में तेजी लाई जा रही है.