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मेयर के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से की मुलाकात, पार्षद रौशनी खलखो की जल्द रिहाई की मांग

रांची में 4 जनवरी को सीएम कारकेड पर हमले की आरोपी पार्षद रौशनी खलखो की रिहाई की मांग को लेकर मेयर आशा लकड़ा के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा है.

a delegation met governor in ranchi
पार्षद रौशनी खलखो की जल्द रिहाई की मांग
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Published : Mar 3, 2021, 1:31 PM IST

Updated : Mar 3, 2021, 1:47 PM IST

रांची: बीते 4 जनवरी को किशोरगंज चौक पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का काफिला गुजरने के दौरान हुए हंगामे को लेकर वार्ड-19 की पार्षद रौशनी खलखो को आरोपी बनाया गया था. रौशनी खलखो ने कोर्ट में सरेंडर किया. अब उनकी रिहाई की मांग को लेकर मेयर आशा लकड़ा के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल को राजभवन में ज्ञापन सौंपा है.

देखें पूरी खबर

ये भी पढ़ें- सीएम हेमंत सोरेन ने सरना धर्म गुरु बंधन तिग्गा के इलाज के लिए दी सहायता, शीघ्र की स्वस्थ होने की कामना


मेयर आशा लकड़ा कार्रवाई से असमत
मेयर आशा लकड़ा ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपकर पार्षद रौशनी खलखो के खिलाफ हुई कार्रवाई को गलत करार देते हुए कहा है कि राज्य में आदिवासी सुरक्षित नहीं है. आदिवासी होने की वजह से पार्षद रोशनी खलखो के खिलाफ प्रशासन और सरकार की ओर से कार्रवाई की गई है. उन्होंने कहा कि रौशनी खलखो के घर में घुसकर उनके परिवार के साथ पुलिस प्रशासन ने गलत व्यवहार किया है, जिसका सीसीटीवी फुटेज भी उनके पास है. सीसीटीवी फुटेज को भी राजभवन में सौंपा जाएगा. उन्होंने कहा कि अगर किसी महिला के साथ दुष्कर्म की घटना होती है और उसके लिए आंदोलन किया जाना गलत है, तो ये गलती बार-बार होगी.

ये भी पढ़ें- लालटेन विस्फोट मामले पर सदन में सीएम हेमंत सोरेन ने दिया जवाब, कहा- मृतकों के परिजनों को देंगे 4-4 लाख का मुआवजा

मेयर आशा लकड़ा ने ये भी कहा कि गठबंधन की सरकार आदिवासी विरोधी है. कहीं ना कहीं पार्षद रौशनी खलखो को जबरदस्ती आरोपी बनाया गया है, क्योंकि वो एक आदिवासी महिला हैं. उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने आश्वासन दिया है कि इस मामले पर सही कार्रवाई की जाएगी.

क्या बोले डिप्टी मेयर संजीव विजयवर्गीय
डिप्टी मेयर संजीव विजयवर्गीय ने कहा कि लगातार दुष्कर्म की वारदातों को लेकर विरोध हो रहा था और वही विरोध किशोरगंज में भी हुआ. ऐसे में एक जनप्रतिनिधि का सबसे बड़ा काम समाज में गलत हो रहे कार्यों का विरोध करना है. इसी के तहत पार्षद रौशनी खलखो ने भी विरोध किया था, लेकिन उनके ऊपर कई धाराओं को लगाते हुए उन्हें जेल भेजने का षड्यंत्र रचा गया है. उनके घरवालों को मानसिक प्रताड़ना देना, प्रशासन की गलत परंपरा की निशानी है. उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्यों से प्रशासन को बचना चाहिए और मुख्यमंत्री को भी समझना चाहिए कि अगर विरोध प्रदर्शन पर इस तरह की कानूनी कार्रवाई की जाएगी, तो कहीं ना कहीं जनता का गुस्सा आगे आने वाले दिनों में उन्हें झेलना पड़ेगा.

रांची: बीते 4 जनवरी को किशोरगंज चौक पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का काफिला गुजरने के दौरान हुए हंगामे को लेकर वार्ड-19 की पार्षद रौशनी खलखो को आरोपी बनाया गया था. रौशनी खलखो ने कोर्ट में सरेंडर किया. अब उनकी रिहाई की मांग को लेकर मेयर आशा लकड़ा के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल को राजभवन में ज्ञापन सौंपा है.

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मेयर आशा लकड़ा कार्रवाई से असमत
मेयर आशा लकड़ा ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपकर पार्षद रौशनी खलखो के खिलाफ हुई कार्रवाई को गलत करार देते हुए कहा है कि राज्य में आदिवासी सुरक्षित नहीं है. आदिवासी होने की वजह से पार्षद रोशनी खलखो के खिलाफ प्रशासन और सरकार की ओर से कार्रवाई की गई है. उन्होंने कहा कि रौशनी खलखो के घर में घुसकर उनके परिवार के साथ पुलिस प्रशासन ने गलत व्यवहार किया है, जिसका सीसीटीवी फुटेज भी उनके पास है. सीसीटीवी फुटेज को भी राजभवन में सौंपा जाएगा. उन्होंने कहा कि अगर किसी महिला के साथ दुष्कर्म की घटना होती है और उसके लिए आंदोलन किया जाना गलत है, तो ये गलती बार-बार होगी.

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मेयर आशा लकड़ा ने ये भी कहा कि गठबंधन की सरकार आदिवासी विरोधी है. कहीं ना कहीं पार्षद रौशनी खलखो को जबरदस्ती आरोपी बनाया गया है, क्योंकि वो एक आदिवासी महिला हैं. उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने आश्वासन दिया है कि इस मामले पर सही कार्रवाई की जाएगी.

क्या बोले डिप्टी मेयर संजीव विजयवर्गीय
डिप्टी मेयर संजीव विजयवर्गीय ने कहा कि लगातार दुष्कर्म की वारदातों को लेकर विरोध हो रहा था और वही विरोध किशोरगंज में भी हुआ. ऐसे में एक जनप्रतिनिधि का सबसे बड़ा काम समाज में गलत हो रहे कार्यों का विरोध करना है. इसी के तहत पार्षद रौशनी खलखो ने भी विरोध किया था, लेकिन उनके ऊपर कई धाराओं को लगाते हुए उन्हें जेल भेजने का षड्यंत्र रचा गया है. उनके घरवालों को मानसिक प्रताड़ना देना, प्रशासन की गलत परंपरा की निशानी है. उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्यों से प्रशासन को बचना चाहिए और मुख्यमंत्री को भी समझना चाहिए कि अगर विरोध प्रदर्शन पर इस तरह की कानूनी कार्रवाई की जाएगी, तो कहीं ना कहीं जनता का गुस्सा आगे आने वाले दिनों में उन्हें झेलना पड़ेगा.

Last Updated : Mar 3, 2021, 1:47 PM IST
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