रांची: आरयू के अंतर्गत राज्य भर में 900 असिस्टेंट प्रोफेसर हैं. जिन्हें अनुबंध पर नियुक्त किया गया है, लेकिन इन प्रोफेसरों की हालत इन दिनों काफी खराब है. लॉकडाउन की अवधि से पहले लगभग एक वर्ष से बकाया भुगतान भी रांची विश्वविद्यालय ने अब तक उन्हें नहीं किया है, जिसके कारण उनका परिवार भुखमरी के कगार पर चला गया है. इस मामले को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने रांची विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार अमर कुमार चौधरी से बातचीत की है. इस मामले को लेकर अनुबंध पर बहाल प्रोफेसर संघ के अध्यक्ष ने भी विरोध जताया.
रांची विश्वविद्यालय में पठन-पाठन सुचारू तरीके से हो और शिक्षकों की कमी को देखते हुए अनुबंध पर 900 से अधिक प्रोफेसरों की नियुक्ति की गई थी. नियुक्ति के दौरान यह करार हुआ था कि प्रोफेसरों को घंटे के आधार पर मानदेय दिया जाएगा. यानी कि जितने क्लासेस होंगे, उसी के आधार पर उन्हें विश्वविद्यालय मानदेय का भुगतान करेगा, लेकिन लॉकडाउन के दौरान तमाम पठन-पाठन की व्यवस्था विश्वविद्यालयों में और कॉलेजों में ठप रही. ऑनलाइन तरीके से ही पठन-पाठन सुचारु रखा गया है और इस अवधि के दौरान घंटी आधारित असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए राज्यपाल द्रोपदी मुर्मू ने भी आगे आकर तमाम विश्वविद्यालयों को निर्देश दिया था कि ऐसे प्रोफेसरों पर विश्वविद्यालय ध्यान रखें और उनके मानदेय समय पर भुगतान करें, एक लिमिटेड राशि तय कर उन्हें सैलरी के रूप में मानदेय लॉकडाउन के दौरान जरूर दें, लेकिन इस निर्देश के बावजूद भी राज्य के विश्वविद्यालय ने इन प्रोफेसरों के मानदेय का भुगतान नहीं किया है और न ही रांची विश्वविद्यालय के ही अनुबंध पर नियुक्त प्रोफेसर को मानदेय भुगतान अब तक किया गया है. मामले को लेकर अनुबंध शिक्षक संघ के अध्यक्ष जनजातीय भाषा विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर निरंजन कुमार महतो ने भी कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है, जबकि रजिस्ट्रार अमर कुमार चौधरी ने कहा है की जल्द ही इस विषय पर फैसला लिया जाएगा.
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अनुबंध पर काम कर रहे प्रोफेसर मानदेय नहीं मिलने के कारण लगातार परेशान हैं. वो विश्वविद्यालय का चक्कर भी काट रहे हैं. इस पूरे मामले को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने रजिस्ट्रार अमर कुमार चौधरी से खास बातचीत की है. उन्होंने कहा है जल्द ही ऐसे शिक्षकों का मानदेय भुगतान कर दिया जाएगा, कहीं टेक्निकल अड़चन के कारण मामला फंसा हुआ है.