अयोध्या: पांच अगस्त को रामलला की नगरी अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भूमि पूजन करेंगे और यह भूमि पूजन कई मायनों में काफी अहम है. यहां पर 3.50 फीट का गड्ढा खोदा जाएगा और पाताल देवता की आराधना की जाएगी. मंदिर की नींव में सात पवित्र नदियों की मिट्टी और गंगा, जमुना सरस्वती का कलश में पावन जल रखा जाएगा. देश भर के लगभग 8000 पवित्र स्थानों से अयोध्या में राम मंदिर भूमि पूजन के लिए मिट्टी और पवित्र जल अयोध्या पहुंचा है. अभी भी लगातार यहां पर जल और मिट्टी लेकर लोग पहुंच रहे हैं. हजारों पवित्र स्थानों से जल और मिट्टी भूमि पूजन में प्रयोग होने से पूरे देश में सामाजिक समरसता का संदेश जाएगा.
इन स्थानों के जल और मिट्टी का होगा प्रयोग
जिन पवित्र स्थलों के जल और मिट्टी का भगवान राम के भव्य मंदिर निर्माण के भूमि पूजन में होगा, उनमें प्रयागराज के पावन संगम का जल और मिट्टी भी शामिल है. इसके अलावा काशी के संत रविदास की जन्म स्थली, बिहार के सीतामढ़ी स्थित महर्षि वाल्मीकि आश्रम, महाराष्ट्र में विदर्भ के गोंदिया जिला के कचारगढ़, झारखंड के रामरेखा धाम, मध्य प्रदेश के टंट्या भील की पुण्य भूमि से जुड़े स्थलों, पटना के श्री हरमंदिर साहिब, डॉक्टर बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के जन्म स्थान महू, दिल्ली के जैन मंदिर और बाल्मीकि मंदिर के साथ ही राम मंदिर निर्माण आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले स्वर्गीय अशोक सिंघल के आवास की मिट्टी भी अयोध्या पहुंची है. पश्चिम बंगाल के कालीघाट, दक्षिणेश्वर, गंगा सागर और कूचबिहार के मदन मोहन जैसे मंदिरों की पवित्र मिट्टी के साथ ही गंगा सागर, भागीरथी से पवित्र जल अयोध्या धाम आया है. बद्रीनाथ धाम, रायगढ़ किला, रंगनाथस्वामी मंदिर, महाकालेश्वर मंदिर, चंद्रशेखर आजाद और बिरसा मुंडा के जन्म स्थान के साथ ही धार्मिक और राष्ट्रीय महत्व के कई प्रसिद्ध स्थानों से मिट्टी और जल अयोध्या धाम पहुंच चुका है.
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शेषनाग हैं पाताल लोक के स्वामी
मिट्टी और जल के अलावा भूमि पूजन में चांदी का कच्छप, राम नाम अंकित चांदी के पांच बेलपत्र, सवा पाव चंदन और पंचरत्न के अलावा शेषनाग शामिल हैं. दरअसल, इसके पीछे एक बड़ी धार्मिक मान्यता है कि कछुए की पीठ पर भगवान शेषनाग विराजमान हैं. शेषनाग पाताल लोक के स्वामी हैं. भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर की नींव में उनकी उपस्थिति से मंदिर की भव्यता चिरकाल तक बनी रहेगी.