रांचीः राज्य में दो वर्ष के अंतराल के बाद सभी सरकारी और गैर-सरकारी स्कूल खुल गए हैं. नए सेशन की पढ़ाई के लिए बच्चे स्कूल भी जाने लगे हैं. लेकिन कोरोना से बचाव के लिए 12 से 14 वर्ष के बच्चों के माता-पिता में वैक्सीन को लेकर जागरुकता नहीं दिख रही है और ना ही वो इसको लेकर गंभीरता दिखा रहे हैं.
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राज्य में जहां 12 से 14 वर्ष उम्र समूह वाले 15 लाख 94 हजार बच्चों में से 04 लाख 13 हजार के करीब बच्चों (26%) को ही कोरोना से बचाव का टीका दिया जा सका है. वहीं बोकारो, धनबाद, रांची, चतरा, जमशेदपुर और सरायकेला-खरसावां में तो 12 से 14 वर्ष उम्र समूह के बीच वाले 20% से भी कम बच्चों को कोरोना का टीका लगा है. आंकड़े बताते हैं कि सिमडेगा, साहिबगंज, पलामू, गढ़वा, पश्चिमी सिंहभूम जैसे कुछ जिले हैं जहां बहुत हद तक टीकाकरण का प्रतिशत अच्छा है.
गुमला (71%) और सिमडेगा (76%) बच्चों को टीका दिया गया है. इन दो जिलों में बढ़िया वैक्सीनेशन की वजह से राज्य में भी 12-14 वर्ष वाले बच्चों में टीकाकरण का दर राष्ट्रीय स्तर पर कुछ बेहतर लग रहा है. राज्य में 12-14 वर्ष उम्र समूह वाले बच्चों की संख्या 16 लाख के करीब है. इन बच्चों की कुल आबादी 15 लाख 94 हजार है, जिसमें से सिर्फ 04 लाख 13 हजार 114 बच्चों को ही कोरोना का वैक्सीन दिया गया है. जो इस उम्र समूह के कुल बच्चों का 26 प्रतिशत है.
बच्चों में कम टीकाकरण के कारणः राज्य में 12 से 14 वर्ष समूह वाले कुल बच्चों में से सिर्फ 26% और रांची में इस समूह वाले कुल बच्चों का महज 15 प्रतिशत ने ही कोरोना का टीका लिया है. रांची के राज्य आरोग्य सेंटर पर वैक्सीनेटर रीना कुमारी कहती हैं कि कोरोना संक्रमण कम हो जाने, बच्चों के स्कूल खुल जाने से इसमें कमी आई है. इसके अलावा बच्चों के लिए मिले वैक्सीन की एक शीशी में 20 बच्चों का वैक्सीन होने की वजह से जब तक 10 से ऊपर बच्चे जमा होने पर ही वैक्सीन का नई शीशी खोलने सहित कई समस्याएं हैं. जिसकी वजह से वैक्सीन की रफ्तार धीमी है.
अपने 14 साल के बेटे अंकित को टीका दिलवाने आए धर्मेंद्र कुमार अन्य अभिभावकों से अपील करते हैं कि वह जरूर टीका दिलवाएं. उन्होंने कहा कि बच्चों में कम टीकाकरण की वजह यह भी है कि कई बार लोगों को टीकाकरण केंद्र से बैरंग लौटना पड़ जाता है. क्योंकि उतनी संख्या में बच्चे नहीं पहुंचते हैं कि वैक्सीन की शीशी को खोला जाए. राजधानी में 12 वर्ष से 14 वर्ष तक के बच्चों के महज 15% बच्चों के वैक्सीन लेने को पदाधिकारी ठीक नहीं मानते हैं.
रांची जिला टीकाकरण के नोडल अधिकारी डॉ. बिमलेश सिंह कहते हैं कि भले ही अभी कोरोना कमांड में हो पर लापरवाही ठीक नहीं है. क्योंकि एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया इसकी आशंका जता चुके हैं कि कुछेक महीने बाद फिर कोरोना के केस बढ़े हैं और बढ़ने की आशंका भी है. डॉ. बिमलेश सिंह कहते हैं कि अब स्कूल खुल जाने पर स्कूलों में भी कैंप लगाकर 12 से 14 वर्ष के उम्र वाले बच्चों को वैक्सीन लगाया जाए. जिससे प्रदेश में ज्यादा से ज्यादा बच्चों को कोरोना से सुरक्षा का कवच प्रदान किया जा सके.