रांची: बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा निदेशालय और आईसीएआर अटारी पटना के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय राज्यस्तरीय समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया. बैठक की अध्यक्षता कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने की. कुलपति ने राज्य के 24 जिलों में स्थित कृषि विज्ञान केन्द्रों (केवीके) को प्रसार और शोध कार्यक्रमों में पारदर्शिता बरतने की सलाह दी. प्रत्येक केन्द्रों में किसानों के लिए लाभकारी कृषि तकनीकों के प्रदर्शन हेतु प्रत्यक्षण ईकाई को स्थापित और कार्यो का सही ढंग से डॉक्यूमेंटेशन करने पर बल दिया गया.
पब्लिक फाइनेंस मैनेजमेंट सिस्टम का प्रभावी उपयोग
मौके पर निदेशक डॉ अंजनी कुमार सिंह ने कहा कि केवीके कार्यक्रम शत-प्रतिशत आईसीएआर संपोषित संस्थान हैं. इन केन्द्रों के संचालन में आईसीएआर हर संभव सहयोग देगी. केन्द्रों में पहले से संचालित और नये किसानोपयोगी कार्यक्रमों के संचालन में प्रभावी प्रयासों और बेहतर प्रदर्शन किये जाने की आवश्यकता है. बैठक में सभी केन्द्रों को संसाधनों और सुविधा के मामले में सशक्त करने पर जोर दिया गया. राज्य के 14 केन्द्रों में किसानों की सुविधा के लिए एग्रोमेट एडवाईजरी सर्विस को अविलंब शुरू करने, पब्लिक फाइनेंस मैनेजमेंट सिस्टम का प्रभावी उपयोग, केवीके वैज्ञानिकों का विडियो माध्यम से प्रशासनिक संवाद, सीड हब (दलहन) की तरह सीड हब (तेलहन) से प्रदेश के 800 हेक्टेयर परती धान भूमि में तेलहनी फसलों का आच्छादन और बढ़ावा, प्रत्येक दिन 11-12 बजे के बीच देश और राज्य के किसानों के लिए कॉमन सर्विस सेंटर का नियमित संचालन और एकीकृत कृषि प्रणाली मॉडल का क्रियान्वयन करने का निर्देश दिया गया.
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गैर पीएचडी धारी वैज्ञानिकों को पीएचडी शिक्षा प्राप्त करने की अनुमति
केवीके में कार्यरत गैर पीएचडी धारी वैज्ञानिकों को पीएचडी शिक्षा प्राप्त करने की अनुमति देने पर सहमति व्यक्त की गई. स्वागत भाषण में प्रसार शिक्षा के निदेशक डॉ जगरनाथ ऊरांव ने कृषि विज्ञान केन्द्रों के साल 2019-20 की उपलब्धियों और साल 2020-21 की भावी कृषि प्रसार कार्यक्रमों की रणनीति को प्रस्तुत किया. बैठक में निदेशक बीज प्रक्षेत्र डॉ आरपी सिंह और बीएयू–बीपीडी सोसाइटी के डॉ सिद्धार्थ जयसवाल ने भी अपने विचारों को रखा. धन्यवाद ज्ञापन बीएयू केवीके इंचार्ज डॉ सोहन राम ने दी. बैठक में राज्य के सभी कृषि विज्ञान केन्द्रों के प्रधान ने भाग लिया.