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दिवाली और काली पूजा के मौके पर पूरी रात खुला रहा मां छिन्नमस्तिका का दरबार, श्रद्धालुओं का लगा रहा ताता - etv news

दिवाली और काली पूजा के मौके पर मां छिन्नमस्तिका का दरबार रात भर खुला रहा. भक्त रात भर पूजा-अर्चना करते रहे. इस दौराम साधक और श्रद्धालु हवन कुंडों में भी साधना करते रहे. Rajrappa Maa Chinnamastika Temple on Diwali.

Rajrappa Maa Chinnamastika Temple
Rajrappa Maa Chinnamastika Temple
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Nov 13, 2023, 10:34 AM IST

मंदिर से जानकारी देते संवाददाता राजेश कुमार

रामगढ़: देश के प्रसिद्ध सिद्धपीठ मां छिन्नमस्तिके मंदिर में पूरे साल भक्तों को दिवाली का इंतजार रहता है. दिवाली और कालीपूजा के अवसर पर भक्त रात भर मां की पूजा करते हैं और मां के दरबार में हाजिरी लगाकर मां से आशीर्वाद लेते हैं. वहीं, दुर्गा सप्तशती के 13 अध्यायों में से प्रत्येक अध्याय के अंत में मुख्य हवन कुंड में बलि दी जाती है. इस दिवाली भी रजरप्पा मंदिर में कुछ ऐसा ही नजारा देखने मिला.

यह भी पढ़ें: Kali Puja 2023: दीपोत्सव के साथ काली पूजा की धूम, देर रात तक होती रही मां की आराधना

दिवाली और काली पूजा के अवसर पर रामगढ़ जिले के रजरप्पा स्थित देश के प्रसिद्ध सिद्धपीठ मां छिन्नमस्तिके मंदिर को रंग-बिरंगी रोशनी, फूलों और गुब्बारों से खूबसूरती से सजाया गया. जिसकी भव्यता यहां आने वाले श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर रही थी.

कार्तिक अमावस्या को काली पूजा के अवसर पर प्रसिद्ध सिद्धपीठ मां छिन्मस्तिका मंदिर पूरी रात भक्तों के लिए खुला रहा. जहां झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार, उत्तर प्रदेश से बड़ी संख्या में भक्त मां की पूजा करने पहुंचे. इस दिन तंत्र मंत्र की सिद्धि और साधना के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. पुजारियों के अनुसार सिद्धपीठ रजरप्पा स्थित छिन्नमस्तिका मंदिर तंत्र मंत्र की साधना और सिद्धि के लिए महत्वपूर्ण है. इसीलिए उस रात यहां कई बड़े-बड़े तांत्रिक और साधक पहुंचते हैं. इस रात कई साधक और तांत्रिक खुले आसमान के नीचे साधना करते हैं और कुछ तांत्रिक तंत्रमंत्र की सिद्धि के लिए श्मशान घाटों और घने जंगलों में गुप्त रूप से भी साधना करते हैं. इस बार भी सभी तेरह हवन कुंडों में साधक और श्रद्धालुओं ने लगातार हवन किया.

प्रकृति की गोद में स्थित माता छिन्नमस्तिका का मंदिर अद्भुत है. रजरप्पा (नद और नदी) में माता छिन्नमस्तिका का मंदिर तंत्र मंत्र की साधना के लिए विशेष महत्व रखता है क्योंकि यह दामोदर और भैरवी नदियों के संगम पर स्थित है. यहां तंत्र मंत्र के लिए भक्तों की भीड़ लगी रहती है, साधक और भक्त अपनी मनोकामना लेकर यहां आते हैं और मां का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.

पूरी रात होती है पूजा: छिन्नमस्तिका मंदिर के पुजारी सुबाशीष पंडा ने बताया कि दिवाली के साथ-साथ काली पूजा भी है, मां छिन्नमस्तिका के मंदिर में पूरी रात पूजा होती है. भक्त रात भर देवी मां की पूजा करते हैं, खासकर पड़ोसी राज्य बंगाल से बड़ी संख्या में भक्त यहां पहुंचते हैं और देवी मां की भक्ति में लीन रहते हैं. अमावस्या की रात मंदिर परिसर के 13 हवन कुंडों के अलावा जगह-जगह मंत्रों का जाप और हवन किया जाता है. साधक और भक्त मंत्र-जाप के साथ तंत्र-मंत्र की सिद्धि प्राप्त करते हैं. ऐसा माना जाता है कि यह रात तंत्र साधना करने वालों के लिए शक्ति की रात होती है, इतना ही नहीं जो लोग इस रात सच्चे मन से मां छिन्नमस्तिका की पूजा करते हैं तो देवी उसकी मनोकामना पूरी करती हैं.

मंदिर से जानकारी देते संवाददाता राजेश कुमार

रामगढ़: देश के प्रसिद्ध सिद्धपीठ मां छिन्नमस्तिके मंदिर में पूरे साल भक्तों को दिवाली का इंतजार रहता है. दिवाली और कालीपूजा के अवसर पर भक्त रात भर मां की पूजा करते हैं और मां के दरबार में हाजिरी लगाकर मां से आशीर्वाद लेते हैं. वहीं, दुर्गा सप्तशती के 13 अध्यायों में से प्रत्येक अध्याय के अंत में मुख्य हवन कुंड में बलि दी जाती है. इस दिवाली भी रजरप्पा मंदिर में कुछ ऐसा ही नजारा देखने मिला.

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दिवाली और काली पूजा के अवसर पर रामगढ़ जिले के रजरप्पा स्थित देश के प्रसिद्ध सिद्धपीठ मां छिन्नमस्तिके मंदिर को रंग-बिरंगी रोशनी, फूलों और गुब्बारों से खूबसूरती से सजाया गया. जिसकी भव्यता यहां आने वाले श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर रही थी.

कार्तिक अमावस्या को काली पूजा के अवसर पर प्रसिद्ध सिद्धपीठ मां छिन्मस्तिका मंदिर पूरी रात भक्तों के लिए खुला रहा. जहां झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार, उत्तर प्रदेश से बड़ी संख्या में भक्त मां की पूजा करने पहुंचे. इस दिन तंत्र मंत्र की सिद्धि और साधना के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. पुजारियों के अनुसार सिद्धपीठ रजरप्पा स्थित छिन्नमस्तिका मंदिर तंत्र मंत्र की साधना और सिद्धि के लिए महत्वपूर्ण है. इसीलिए उस रात यहां कई बड़े-बड़े तांत्रिक और साधक पहुंचते हैं. इस रात कई साधक और तांत्रिक खुले आसमान के नीचे साधना करते हैं और कुछ तांत्रिक तंत्रमंत्र की सिद्धि के लिए श्मशान घाटों और घने जंगलों में गुप्त रूप से भी साधना करते हैं. इस बार भी सभी तेरह हवन कुंडों में साधक और श्रद्धालुओं ने लगातार हवन किया.

प्रकृति की गोद में स्थित माता छिन्नमस्तिका का मंदिर अद्भुत है. रजरप्पा (नद और नदी) में माता छिन्नमस्तिका का मंदिर तंत्र मंत्र की साधना के लिए विशेष महत्व रखता है क्योंकि यह दामोदर और भैरवी नदियों के संगम पर स्थित है. यहां तंत्र मंत्र के लिए भक्तों की भीड़ लगी रहती है, साधक और भक्त अपनी मनोकामना लेकर यहां आते हैं और मां का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.

पूरी रात होती है पूजा: छिन्नमस्तिका मंदिर के पुजारी सुबाशीष पंडा ने बताया कि दिवाली के साथ-साथ काली पूजा भी है, मां छिन्नमस्तिका के मंदिर में पूरी रात पूजा होती है. भक्त रात भर देवी मां की पूजा करते हैं, खासकर पड़ोसी राज्य बंगाल से बड़ी संख्या में भक्त यहां पहुंचते हैं और देवी मां की भक्ति में लीन रहते हैं. अमावस्या की रात मंदिर परिसर के 13 हवन कुंडों के अलावा जगह-जगह मंत्रों का जाप और हवन किया जाता है. साधक और भक्त मंत्र-जाप के साथ तंत्र-मंत्र की सिद्धि प्राप्त करते हैं. ऐसा माना जाता है कि यह रात तंत्र साधना करने वालों के लिए शक्ति की रात होती है, इतना ही नहीं जो लोग इस रात सच्चे मन से मां छिन्नमस्तिका की पूजा करते हैं तो देवी उसकी मनोकामना पूरी करती हैं.

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