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औद्योगिक इकाइयों में आग पर काबू पाने के पर्याप्त संसाधन नहीं, कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा

रामगढ़ के औद्योगिक इकाइयों में आग पर काबू पाने के पर्याप्त संसाधन नहीं है. जिससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. अग्निशामक विभाग की स्थापना फैक्ट्री प्रबंधन की ओर से की जाती है. ताकि जब कोई बड़ा हादसा हो है तो आसानी से निपटा जा सके. लेकिन कई क्षेत्रों में अब भी पर्याप्त मात्रा में उपकरण मौजूद नहीं है.

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औद्योगिक इकाइयों में अग्निशामक नियंत्रण की कमी
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Published : Dec 28, 2020, 9:40 AM IST

रामगढ़: जिले के औद्योगिक इकाइयों में आग पर काबू पाने के पर्याप्त संसाधन नहीं होने से इन औद्योगिक इकाइयों पर सवाल खड़े हो रहे हैं. आखिर औद्योगिक इकाइयों को चलाने की अनुमति अग्निशामक विभाग की स्थापना फैक्ट्री प्रबंधन की ओर से की जाती है. ताकि जब कोई बड़ा हादसा हो है तो आसानी से निपटा जा सके. लेकिन इसे लेकर फैक्ट्री प्रबंधन कोई ना कोई बहाना कर अपना पल्ला झाड़ता नजर आता है.

पूरी खबर देखें

ये भी पढ़ें-लापरवाहीः मोतियाबिंद वाली आंख को छोड़कर दूसरी आंख का किया ऑपरेशन, मरीज परेशान


अधिकारियों ने मामलें में साधी चुप्पी

ईटीवी भारत की टीम ने रामगढ़ की कई औद्योगिक इकाइयों में जाकर फायर सेफ्टी से जुड़े लोगों से बात की और जानने का प्रयास किया कि औद्योगिक इकाइयों में अगर आग लगने की घटना होती है तो प्रबंधन की क्या फायर सेफ्टी सिस्टम है. आग पर काबू पाने के लिए फायर फाइटिंग उपकरण पर्याप्त मात्रा में है या नहीं. आग से झुलसे लोगों को तत्काल नजदीकी स्वास्थ्य केंद्रों में ले जाने की व्यवस्था है या नहीं. फैक्ट्री इंस्पेक्टर और फैक्ट्री प्रबंधन की ओर से इस मामले में कुछ भी नहीं कहा गया. कोई भी अधिकारी इस पूरे मामले में अपनी बात रखने में सक्षम नहीं है.

आपातकालीन दमकल की व्यवस्था नहीं
जिले में आधा दर्जन से अधिक औद्योगिक इकाइयां कार्यरत हैं लेकिन आपातकालीन स्थिति को नियंत्रण करने के लिए इन इकाइयों में दमकल की व्यवस्था नहीं है. फायर एक्सटिंग्विशर के भरोसे है. इन हाथों में घटित होने वाले आकस्मिक घटनाओं के दौरान बड़ी औद्योगिक ईकाई वेस्ट बोकारो टाटा जिंदल या एनटीपीसी जिला के अग्निशमन विभाग से फायर ब्रिगेड की गाड़ियां बुलाकर आग पर काबू पाया जाता है.

कई बार हो चुकी है आगलगी की घटना
जिले में भी कई इकाइयां कार्यरत हैं. आग लगने पर नियंत्रण के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं होने से बड़ा हादसा होने की आशंका है. अब तक ऐसी आग के कारण कई बड़ी घटना हो चुकी है. गोला के कामता स्थित ब्रह्मपुत्र मैटेलिक लिमिटेड फैक्ट्री है. जहां पर पिछले दिनों क्लीन में जबरदस्त विस्फोट के कारण 6 इंजीनियर और 9 श्रमिक गंभीर रूप से घायल हो गए थे. जिसमें गंभीर रूप से घायल इंजीनियर की मौत हो गई. इस मामले में फैक्टरी प्रबंधन ने अपने हाथ खड़े कर लिए. जिसके बाद मजदूर व परिजन आक्रोशित हो गए और शव रखकर वहां दो दिनों तक प्रदर्शन किया. रामगढ़ विधायक के हस्तक्षेप के बाद फैक्ट्री प्रबंधन की ओर से मुआवजे की राशि दी गई और फिर मृतक का अंतिम संस्कार किया गया.

फैक्ट्री नियम के अनुसार

फैक्ट्री व बॉयलर एक्ट के अनुसार सभी औद्योगिक इकाई में आग से निपटने के लिए उपकरण व संसाधन होना जरूरी है. इन इकाइयों के संचालन के लिए फायर एनओसी भी होना आवश्यक होता है. फायर एनओसी से स्पष्ट होता है कि इकाइयों में फायर फाइटिंग उपकरण और इकाई आगजनी की रिस्क से बाहर है. अगर कोई घटना घटती है तो उस पर काबू पाने के लिए सक्षम है और तत्काल वहां आग पर काबू पाया जा सकता है. लेकिन जिले के बड़ी औद्योगिक इकाई जिंदल, वेस्ट बोकारो और एनटीपीसी को यदि छोड़ दिया जाए तो जिले की औद्योगिक इकाइयों में आग पर काबू पाने की कोई मुकम्मल व्यवस्था नहीं पता होती है. जब अगर कोई बड़ा हादसा होता है तो जिले के अग्निशामक विभाग से दमकल जाकर आग पर काबू पाते हैं.

जबतक इन कारखानों पर नजर रखने वाले विभागों की जवाबदेही तय नहीं होगी तब तक औद्योगिक हादसों पर काबू पाना मुश्किल रहेगा. जिसके कारण श्रमिकों और आग के नजदीक काम करने वाले लोग काल के गाल में समाते रहेंगे.

रामगढ़: जिले के औद्योगिक इकाइयों में आग पर काबू पाने के पर्याप्त संसाधन नहीं होने से इन औद्योगिक इकाइयों पर सवाल खड़े हो रहे हैं. आखिर औद्योगिक इकाइयों को चलाने की अनुमति अग्निशामक विभाग की स्थापना फैक्ट्री प्रबंधन की ओर से की जाती है. ताकि जब कोई बड़ा हादसा हो है तो आसानी से निपटा जा सके. लेकिन इसे लेकर फैक्ट्री प्रबंधन कोई ना कोई बहाना कर अपना पल्ला झाड़ता नजर आता है.

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अधिकारियों ने मामलें में साधी चुप्पी

ईटीवी भारत की टीम ने रामगढ़ की कई औद्योगिक इकाइयों में जाकर फायर सेफ्टी से जुड़े लोगों से बात की और जानने का प्रयास किया कि औद्योगिक इकाइयों में अगर आग लगने की घटना होती है तो प्रबंधन की क्या फायर सेफ्टी सिस्टम है. आग पर काबू पाने के लिए फायर फाइटिंग उपकरण पर्याप्त मात्रा में है या नहीं. आग से झुलसे लोगों को तत्काल नजदीकी स्वास्थ्य केंद्रों में ले जाने की व्यवस्था है या नहीं. फैक्ट्री इंस्पेक्टर और फैक्ट्री प्रबंधन की ओर से इस मामले में कुछ भी नहीं कहा गया. कोई भी अधिकारी इस पूरे मामले में अपनी बात रखने में सक्षम नहीं है.

आपातकालीन दमकल की व्यवस्था नहीं
जिले में आधा दर्जन से अधिक औद्योगिक इकाइयां कार्यरत हैं लेकिन आपातकालीन स्थिति को नियंत्रण करने के लिए इन इकाइयों में दमकल की व्यवस्था नहीं है. फायर एक्सटिंग्विशर के भरोसे है. इन हाथों में घटित होने वाले आकस्मिक घटनाओं के दौरान बड़ी औद्योगिक ईकाई वेस्ट बोकारो टाटा जिंदल या एनटीपीसी जिला के अग्निशमन विभाग से फायर ब्रिगेड की गाड़ियां बुलाकर आग पर काबू पाया जाता है.

कई बार हो चुकी है आगलगी की घटना
जिले में भी कई इकाइयां कार्यरत हैं. आग लगने पर नियंत्रण के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं होने से बड़ा हादसा होने की आशंका है. अब तक ऐसी आग के कारण कई बड़ी घटना हो चुकी है. गोला के कामता स्थित ब्रह्मपुत्र मैटेलिक लिमिटेड फैक्ट्री है. जहां पर पिछले दिनों क्लीन में जबरदस्त विस्फोट के कारण 6 इंजीनियर और 9 श्रमिक गंभीर रूप से घायल हो गए थे. जिसमें गंभीर रूप से घायल इंजीनियर की मौत हो गई. इस मामले में फैक्टरी प्रबंधन ने अपने हाथ खड़े कर लिए. जिसके बाद मजदूर व परिजन आक्रोशित हो गए और शव रखकर वहां दो दिनों तक प्रदर्शन किया. रामगढ़ विधायक के हस्तक्षेप के बाद फैक्ट्री प्रबंधन की ओर से मुआवजे की राशि दी गई और फिर मृतक का अंतिम संस्कार किया गया.

फैक्ट्री नियम के अनुसार

फैक्ट्री व बॉयलर एक्ट के अनुसार सभी औद्योगिक इकाई में आग से निपटने के लिए उपकरण व संसाधन होना जरूरी है. इन इकाइयों के संचालन के लिए फायर एनओसी भी होना आवश्यक होता है. फायर एनओसी से स्पष्ट होता है कि इकाइयों में फायर फाइटिंग उपकरण और इकाई आगजनी की रिस्क से बाहर है. अगर कोई घटना घटती है तो उस पर काबू पाने के लिए सक्षम है और तत्काल वहां आग पर काबू पाया जा सकता है. लेकिन जिले के बड़ी औद्योगिक इकाई जिंदल, वेस्ट बोकारो और एनटीपीसी को यदि छोड़ दिया जाए तो जिले की औद्योगिक इकाइयों में आग पर काबू पाने की कोई मुकम्मल व्यवस्था नहीं पता होती है. जब अगर कोई बड़ा हादसा होता है तो जिले के अग्निशामक विभाग से दमकल जाकर आग पर काबू पाते हैं.

जबतक इन कारखानों पर नजर रखने वाले विभागों की जवाबदेही तय नहीं होगी तब तक औद्योगिक हादसों पर काबू पाना मुश्किल रहेगा. जिसके कारण श्रमिकों और आग के नजदीक काम करने वाले लोग काल के गाल में समाते रहेंगे.

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