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Ramgarh By-election: रामगढ़ के रण में आज जनता करेगी फैसला, जानिए अब तक कैसा रहा है परिणाम

रामगढ़ विधानसभा उपचुनाव में सभी दलों ने ताल ठोक दी है. आज जनता फैसला करेगी कि वो किसके साथ है. जिसका पता 2 मार्च को चलेगा. लेकिन अब तक जितने भी चुनाव रामगढ़ की धरती पर झारखंड बनने के बाद हुए हैं. उसके परिणाम रोचक रहे हैं.

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Published : Feb 27, 2023, 6:00 AM IST

रामगढ़ः विधानसभा उपचुनाव अब अपने आखिरी पड़ाव में है. आज रामगढ़ विधानसभा की जनता वोटिंग करेगी. सारी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. सभी प्रत्याशियों ने जोर-शोर से चुनाव प्रचार किया. मुख्य मुकाबला महागठबंधन और एनडीए में देखा जा रहा है. जनता किस पर मुहर लगाएगी, इसका पता तो 2 मार्च को मतों की गिनती के बाद ही चल सकेगा.

ये भी पढ़ेंः Ramgarh By-election: रामगढ़ उपचुनाव के लिए सोमवार को वोटिंग, प्रशासन की तैयारी पूरी

दूसरी बार रामगढ़ में हो रहे उपचुनावः झारखंड गठन के बाद यह दूसरा मौका है जब रामगढ़ विधानसभा में उपचुनाव हो रहे हैं. पहली बार यहां उपचुनाव साल 2001 में हुआ था. तब राज्य का गठन हुए महज दो तीन महीने ही हुए थे. उस समय चुनाव बीजेपी ने जीता था. अब 22 साल बाद फिर से यहां उपचुनाव हो रहे हैं. इस बार एक तरफ महागठबंधन उम्मीदवार बजरंग महतो हैं दो दूसरी तरफ एनडीए उम्मीदवार सुनीता चौधरी है. मुकाबला कांटे का माना जा रहा है.

रामगढ़ विधानसभा सीट पर पहला चुनावः राज्य गठन के बाद पहली दफा साल 2001 में यहां चुनाव हुए. उस समय यहां से तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी प्रत्याशी थे. बाबूलाल मरांडी ने यह चुनाव 20 हजार वोटों से जीता था. उन्होंने नादरा बेगम को हराया था, जो पूर्व विधायक भेड़ा सिंह की पत्नी थी.

साल 2005 का विधानसभा चुनावः साल 2005 में हुए विधानसभा चुनाव में रामगढ़ विधानसभा सीट पर आजसू के चंद्रप्रकाश चौधरी ने फतह हासिल की. उन्होंने सीपीआई की प्रत्याशी नादरा बेगम को 22 हजार वोटों से हराया. यहीं से चंद्रप्रकाश चौधरी की जीत का सिलसिल शुरू हुआ.

साल 2009 का विधानसभा चुनावः साल बदला, विरोधी बदले पर नहीं बदली तो चंद्रप्रकाश चौधरी की किस्मत. साल 2009 के चुनाव में भी उन्होंने जीत हासिल की. इस बार उनकी जीत पिछली जीत से बड़ी थी. उन्होंने अपने विरोधी को 25 हजार मतों से हराया. दूसरे नंबर पर कांग्रेस के शहजादा अनवर रहे थे. तब भाजपा प्रत्याशी तीसरे स्थान पर रहे थे.

साल 2014 का विधानसभा चुनावः इस चुनाव में भी इतिहास दोहराया गया. तीसरी बार चंद्रप्रकाश चौधरी ने जीत हासिल की. इस बार वो काफी मतों से जीते. उन्होंने कांग्रेस के शहजादा अनवर को 54 हजार मतों से हराया.

साल 2019 का विधानसभा चुनावः 5 साल बाद हुए 2019 विधानसभा चुनाव में सारी परिस्थितियां बदली हुई थी. चंद्रप्रकाश चौधरी गिरिडीह सांसद बन चुके थे. इसलिए वो विधानसभा के रण में नहीं थे. आमने-सामने थी दो महिलाएं. बीजेपी भी इस बार आजसू से अलग होकर चुनाव लड़ रही थी. आजसू से जहां चंद्रप्रकाश चौधरी की पत्नी सुनीता चौधरी थीं. वहीं कांग्रेस से ममता देवी मैदान में थीं. एनडीए के अलग होने का फायदा कांग्रेस को मिला और कांग्रेस प्रत्याशी ममता देवी ने यह चुनाव जीत लिया.

साल 2023 विधानसभा उपचुनावः इस बार फिर परिस्थितियां बदली हैं. ममता देवी जेल में हैं. इस बार कांग्रेस ने उनके पति बजरंग महतो को टिकट दिया है. वहीं आजसू और बीजेपी मिलकर यह चुनाव लड़ रहे हैं. आजसू प्रत्याशी सुनीता चौधरी फिर मैदान में हैं. देखते हैं इस बार जनता क्या फैसला सुनाती है.

रामगढ़ः विधानसभा उपचुनाव अब अपने आखिरी पड़ाव में है. आज रामगढ़ विधानसभा की जनता वोटिंग करेगी. सारी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. सभी प्रत्याशियों ने जोर-शोर से चुनाव प्रचार किया. मुख्य मुकाबला महागठबंधन और एनडीए में देखा जा रहा है. जनता किस पर मुहर लगाएगी, इसका पता तो 2 मार्च को मतों की गिनती के बाद ही चल सकेगा.

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दूसरी बार रामगढ़ में हो रहे उपचुनावः झारखंड गठन के बाद यह दूसरा मौका है जब रामगढ़ विधानसभा में उपचुनाव हो रहे हैं. पहली बार यहां उपचुनाव साल 2001 में हुआ था. तब राज्य का गठन हुए महज दो तीन महीने ही हुए थे. उस समय चुनाव बीजेपी ने जीता था. अब 22 साल बाद फिर से यहां उपचुनाव हो रहे हैं. इस बार एक तरफ महागठबंधन उम्मीदवार बजरंग महतो हैं दो दूसरी तरफ एनडीए उम्मीदवार सुनीता चौधरी है. मुकाबला कांटे का माना जा रहा है.

रामगढ़ विधानसभा सीट पर पहला चुनावः राज्य गठन के बाद पहली दफा साल 2001 में यहां चुनाव हुए. उस समय यहां से तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी प्रत्याशी थे. बाबूलाल मरांडी ने यह चुनाव 20 हजार वोटों से जीता था. उन्होंने नादरा बेगम को हराया था, जो पूर्व विधायक भेड़ा सिंह की पत्नी थी.

साल 2005 का विधानसभा चुनावः साल 2005 में हुए विधानसभा चुनाव में रामगढ़ विधानसभा सीट पर आजसू के चंद्रप्रकाश चौधरी ने फतह हासिल की. उन्होंने सीपीआई की प्रत्याशी नादरा बेगम को 22 हजार वोटों से हराया. यहीं से चंद्रप्रकाश चौधरी की जीत का सिलसिल शुरू हुआ.

साल 2009 का विधानसभा चुनावः साल बदला, विरोधी बदले पर नहीं बदली तो चंद्रप्रकाश चौधरी की किस्मत. साल 2009 के चुनाव में भी उन्होंने जीत हासिल की. इस बार उनकी जीत पिछली जीत से बड़ी थी. उन्होंने अपने विरोधी को 25 हजार मतों से हराया. दूसरे नंबर पर कांग्रेस के शहजादा अनवर रहे थे. तब भाजपा प्रत्याशी तीसरे स्थान पर रहे थे.

साल 2014 का विधानसभा चुनावः इस चुनाव में भी इतिहास दोहराया गया. तीसरी बार चंद्रप्रकाश चौधरी ने जीत हासिल की. इस बार वो काफी मतों से जीते. उन्होंने कांग्रेस के शहजादा अनवर को 54 हजार मतों से हराया.

साल 2019 का विधानसभा चुनावः 5 साल बाद हुए 2019 विधानसभा चुनाव में सारी परिस्थितियां बदली हुई थी. चंद्रप्रकाश चौधरी गिरिडीह सांसद बन चुके थे. इसलिए वो विधानसभा के रण में नहीं थे. आमने-सामने थी दो महिलाएं. बीजेपी भी इस बार आजसू से अलग होकर चुनाव लड़ रही थी. आजसू से जहां चंद्रप्रकाश चौधरी की पत्नी सुनीता चौधरी थीं. वहीं कांग्रेस से ममता देवी मैदान में थीं. एनडीए के अलग होने का फायदा कांग्रेस को मिला और कांग्रेस प्रत्याशी ममता देवी ने यह चुनाव जीत लिया.

साल 2023 विधानसभा उपचुनावः इस बार फिर परिस्थितियां बदली हैं. ममता देवी जेल में हैं. इस बार कांग्रेस ने उनके पति बजरंग महतो को टिकट दिया है. वहीं आजसू और बीजेपी मिलकर यह चुनाव लड़ रहे हैं. आजसू प्रत्याशी सुनीता चौधरी फिर मैदान में हैं. देखते हैं इस बार जनता क्या फैसला सुनाती है.

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