रामगढ़: डायन प्रथा उन्मूलन के उद्देश्य से जिला समाहरणालय परिसर में उपायुक्त संदीप सिंह ने जागरूकता वाहन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. यह वाहन रामगढ़ जिले के सभी सुदूरवर्ती गांव से लेकर शहर तक लोगों को डायन प्रथा के खिलाफ जागरूक करेगा.
उपायुक्त संदीप सिंह ने कहा कि डायन प्रथा प्रतिषेध अधिनियम 2001 के प्रावधानों और लोगों को डायन प्रथा के उन्मूलन के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से यह जागरूकता वाहन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया है. जागरूकता वाहन के माध्यम से जिले के सुदूरवर्ती क्षेत्रों में रह रहे ग्रामीणों के बीच डायन प्रथा को दूर करने और इससे संबंधित कानूनी प्रावधानों के प्रति जागरूक किया जाएगा.
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क्या है डायन प्रथा प्रतिषेध अधिनियम 2001
- यदि कोई भी व्यक्ति जो किसी अन्य व्यक्ति को डायन के रूप में पहचान करता हो और उस पहचान के प्रति अपने किसी भी कार्य, शब्द या रीति से कोई कार्रवाई करे, तो इसके लिए उसे अधिकतम 3 महीने तक की सजा या 1000 रुपये जुर्माने की सजा या दोनों से दंडित किया जायेगा.
- यदि कोई भी व्यक्ति जो किसी औरत को डायन के रूप में पहचान कर उसे शारीरिक या मानसिक यातना जान-बूझकर प्रताड़ित करता है, तो उसे 6 माह की अवधि के लिए कारावास की सजा या 2000 रुपये तक जुर्माने या दोनों सजा से दंडित किया जायेगा.
- ऐसे किसी भी व्यक्ति को जो किसी औरत को डायन के रूप में पहचान करने के लिए साशय या अनवधानता से अन्य व्यक्ति को या समाज के लोगों को उकसाता हो, षड़यंत्र रचता हो या उन्हें सहायता देता हो, जिससे उस औरत को हानि पहुंचे, तो 3 महीने तक की कारावास या 1000 रुपये के जुर्माने या दोनों सजा से दंडित किया जायेगा.
- डायन के रूप में पहचान की गई किसी भी औरत को जो भी शारीरिक या मानसिक हानि या यातना पहुंचाकर या प्रताड़ित कर झाड़-फूंक या फिर टोटका कर उसके उपचार के लिए कोई कार्य करता है, तो उसे 1 साल की कारावास का सजा या 2000 रुपये तक जुर्माने या दोनों को सजा से दंडित किया जायेगा.