रांची: रामगढ़ एसपी प्रभात कुमार समेत अन्य पुलिस कर्मियों पर फर्जी तरीके से गांजा रखने के केस में फंसाने का आरोप लगा है. पूरे मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को शिकायत की गई थी. शिकायत के बाद एनएचआरसी ने पूरे मामले को संज्ञान में लिया है. एनएचआरसी ने राज्य के डीजीपी एमवी राव को पत्र लिखकर मामले की जांच सीआईडी के वरीय अधिकारी से कराने का आदेश दिया है, जिसके बाद गुरुवार को सीआईडी के डीआईजी देवेंद्र ठाकुर ने मामले की जांच शुरू कर दी. सीआईडी डीआईजी को जांच कर 6 सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट एनएचआरसी को देनी है.
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रामगढ़ के भुरकुंडा निवासी प्रमोद कुमार सिंह ने फर्जी तरीके से गांजा रखकर फंसाने का आरोप पुलिस पर लगाया है. एनएचआरसी में किए शिकायत में प्रमोद कुमार सिंह ने खुद को सूचनाधिकार कार्यकर्ता बताया था. प्रमोद कुमार सिंह का आरोप है कि स्थानीय थानेदार रघुनाथ सिंह के भ्रष्टाचार के मामलों को लगातार उठाने के कारण उन्हें व उनके तीन दोस्तों को भुरकुंडा पुलिस ने एनडीपीएस एक्ट के फर्जी केस में फंसा दिया. गिरफ्तारी के बाद बुरी तरह पुलिस हाजत में पिटाई की गई, जिससे उनके दोस्त सुरेंद्र राम के कान में गंभीर चोट आ गई थी. प्रमोद सिंह का दावा है कि जेल में होने के बाद अब भी सुरेंद्र का इलाज चल रहा. वहीं, इस मामले में रामगढ़ एसपी के इशारे पर फंसाने व प्रताड़ित करने का आरोप भी लगाया गया है.
डीआईजी पहुंचे रामगढ़
मामले में गुरुवार को डीआईजी देवेंद्र ठाकुर गुरुवार को रामगढ़ पहुंचे थे. वहां उन्होंने प्रमोद कुमार सिंह का बयान लिया. प्रमोद कुमार सिंह ने डीआईजी को बताया कि अपनी गिरफ्तारी के पूर्व कई ट्वीट व फेसबुक पोस्ट के जरिए उन्होंने रामगढ़ पुलिस के भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया था. डीआईजी ने तीन दिनों के भीतर सारे ट्वीट व फेसबुक पोस्ट की फोटो कॉपी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है.