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जिले के सरकारी स्कूलों में बच्चे कितने सुरक्षित: देवघर के ग्रामीण क्षेत्र के कई स्कूलों में नहीं है रास्ते, तो कई में टूटी हुई है बाउंड्री वॉल - EDUCATION SYSTEM IN JHARKHAND

देवघर में भी कई सरकारी स्कूलों का बुरा हाल है. कहीं स्कूल की दीवारें टूटी हुईं हैं, तो कहीं रास्ते खराब हैं.

EDUCATION SYSTEM IN JHARKHAND
देवघर में स्कूल को जाने वाले कच्चे रास्ते (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Feb 7, 2025, 8:19 PM IST

देवघर: झारखंड में शिक्षा व्यवस्था को लेकर आए दिन सवाल उठते रहते हैं. कभी शिक्षकों की योग्यता पर सवाल उठते हैं तो कभी स्कूल की व्यवस्था पर सवाल उठते हैं. कुछ ऐसी ही लचर व्यवस्था देवघर के विभिन्न स्कूलों में अभी भी देखने को मिल रही है.

देवघर में स्कूल की शिक्षा व्यवस्था अच्छी नहीं है (Etv Bharat)

देवघर जिले के सारवां प्रखंड स्थित बंदाजोड़ी पंचायत के नावाडीह प्राथमिक विद्यालय और तेलरिया मध्य विद्यालय की स्थिति इतनी बुरी है कि यहां पर छात्र जान हथेली पर रखकर पढ़ने आते हैं. दरअसल तेलरिया मध्य विद्यालय पहुंचने तक के लिए बनाया गया पहुंच पथ बहुत ही खतरनाक है. स्कूल पहुंचने के दौरान कई बार छात्र गिरकर घायल भी हो जाते हैं.

स्थानीय ग्रामीण पप्पू राय बताते हैं कि पिछले कई वर्षों से इसकी शिकायत जनप्रतिनिधि को की गई है लेकिन अभी तक इसको लेकर किसी के द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं. तेलरिया मध्य स्कूल के प्रिंसिपल राजेश पत्रलेख बताते हैं कि इस स्कूल में इलेक्शन का बूथ भी बनता है और कई बार जिले के उच्च अधिकारी इस रास्ते का निरीक्षण करके गए हैं, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है. वहीं स्कूल में रसोइया के पद पर काम कर रही पुतुल देवी बताती हैं कि बारिश के मौसम में इस रास्ते पर चलना मुश्किल हो जाता है.

सिर्फ रास्ता ही नहीं बल्कि कई स्कूलों की बाउंड्री वाल भी टूटी हुई है. कई बार बच्चों के खेलने के दौरान दीवार गिरने का भी डर रहता है. नावाडीह प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक विक्रम कुमार बताते हैं कि दीवार टूटने की सूचना उच्च अधिकारियों को दे दी गई है और वहां से आश्वाशन भी मिला है कि जल्द ही मरम्मत करदी जाएगी लेकिन अभी तक इस पर कुछ भी काम नहीं हो पाया है.

वहीं, बच्चों की सुरक्षा के साथ बरती जा रही लापरवाही को लेकर जिले के शिक्षा पदाधिकारी विनोद कुमार बताते हैं कि निश्चित रूप से कई ऐसे स्कूल हैं जहां की बाउंड्री वॉल और रास्ते खराब हैं, उसको लेकर शिक्षा विभाग सजग है. उन्होंने कहा कि सभी स्कूल में विद्यालय प्रबंधन समिति का भी गठन किया गया है, जिसमें बच्चों के अभिभावक भी सदस्य होते हैं. इसीलिए जिला शिक्षा पदाधिकारी के साथ-साथ प्रत्येक व्यक्ति की भी जिम्मेदारी बनती है कि सुदूर क्षेत्रों में चलने वाले स्कूल की जानकारी दी जाए ताकि विभाग समय-समय पर सुविधा मुहैया करवाती रहे. उन्होंने कहा कि जल्द ही ग्रामीण क्षेत्रों में बने स्कूलों की टूटी हुई दीवारों, क्लासरूम और शौचालय सहित अन्य समस्याओं को दुरुस्त कराया जाएगा ताकि विद्यार्थियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके.
यह भी पढ़ें:

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देवघर में बेहतर शिक्षा व्यवस्था के लिए विभाग का प्रयास, डिजिटल और स्मार्ट क्लासेस का इंतजाम

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देवघर में स्कूल की शिक्षा व्यवस्था अच्छी नहीं है (Etv Bharat)

देवघर जिले के सारवां प्रखंड स्थित बंदाजोड़ी पंचायत के नावाडीह प्राथमिक विद्यालय और तेलरिया मध्य विद्यालय की स्थिति इतनी बुरी है कि यहां पर छात्र जान हथेली पर रखकर पढ़ने आते हैं. दरअसल तेलरिया मध्य विद्यालय पहुंचने तक के लिए बनाया गया पहुंच पथ बहुत ही खतरनाक है. स्कूल पहुंचने के दौरान कई बार छात्र गिरकर घायल भी हो जाते हैं.

स्थानीय ग्रामीण पप्पू राय बताते हैं कि पिछले कई वर्षों से इसकी शिकायत जनप्रतिनिधि को की गई है लेकिन अभी तक इसको लेकर किसी के द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं. तेलरिया मध्य स्कूल के प्रिंसिपल राजेश पत्रलेख बताते हैं कि इस स्कूल में इलेक्शन का बूथ भी बनता है और कई बार जिले के उच्च अधिकारी इस रास्ते का निरीक्षण करके गए हैं, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है. वहीं स्कूल में रसोइया के पद पर काम कर रही पुतुल देवी बताती हैं कि बारिश के मौसम में इस रास्ते पर चलना मुश्किल हो जाता है.

सिर्फ रास्ता ही नहीं बल्कि कई स्कूलों की बाउंड्री वाल भी टूटी हुई है. कई बार बच्चों के खेलने के दौरान दीवार गिरने का भी डर रहता है. नावाडीह प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक विक्रम कुमार बताते हैं कि दीवार टूटने की सूचना उच्च अधिकारियों को दे दी गई है और वहां से आश्वाशन भी मिला है कि जल्द ही मरम्मत करदी जाएगी लेकिन अभी तक इस पर कुछ भी काम नहीं हो पाया है.

वहीं, बच्चों की सुरक्षा के साथ बरती जा रही लापरवाही को लेकर जिले के शिक्षा पदाधिकारी विनोद कुमार बताते हैं कि निश्चित रूप से कई ऐसे स्कूल हैं जहां की बाउंड्री वॉल और रास्ते खराब हैं, उसको लेकर शिक्षा विभाग सजग है. उन्होंने कहा कि सभी स्कूल में विद्यालय प्रबंधन समिति का भी गठन किया गया है, जिसमें बच्चों के अभिभावक भी सदस्य होते हैं. इसीलिए जिला शिक्षा पदाधिकारी के साथ-साथ प्रत्येक व्यक्ति की भी जिम्मेदारी बनती है कि सुदूर क्षेत्रों में चलने वाले स्कूल की जानकारी दी जाए ताकि विभाग समय-समय पर सुविधा मुहैया करवाती रहे. उन्होंने कहा कि जल्द ही ग्रामीण क्षेत्रों में बने स्कूलों की टूटी हुई दीवारों, क्लासरूम और शौचालय सहित अन्य समस्याओं को दुरुस्त कराया जाएगा ताकि विद्यार्थियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके.
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