रामगढ़: शायद कम ही लोगों को पता होगा कि चीन और ताइवान से हजारों मील दूर झारखंड में चीनी-ताइवानी सैनिकों का कब्रिस्तान है. इस चाइना सेमेटरी China Cemetery में अपनों को श्रद्धांजलि देने चीन और ताइवान के काफी लोग पहुंचते हैं. इस कड़ी में ताइपे आर्थिक और सांस्कृतिक केंद्र भारत के लायसन अफेयर सेक्शन के डायरेक्टर COL.TSAU I-CHIUAN(ERIC) ( कर्नल शाउ ई शुआन एरिक) और कोलकाता से एक चीनी संगठन के प्रतिनिधि डेविड रामगढ़ पहुंचे. दोनों ने यहां रामगढ़ जिले के बरकाकाना थाना क्षेत्र के बुजुर्ग जमीरा स्थित चाइना कब्रिस्तान का निरीक्षण किया और कब्रों पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी. दोनों ने यहां के बौद्ध मंदिर में पूजा अर्चना भी की.
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बता दें कि रामगढ़ जिले के बरकाकाना ओपी क्षेत्र के बुजुर्ग जमीरा में चाइना कब्रिस्तान है. यहां चीन और ताइवान के लोग अपनों की याद में अक्सर पहुंचते हैं. इसी कड़ी में ताइपे इकोनॉमिक एंड कल्चरल सेंटर इन इंडिया के डायरेक्टर रामगढ़ के इस ऐतिहासिक स्थल पर पहुंचे थे. यहां उन्होंने यहां दफनाए गए चीनी-ताइवानी सैनिकों को श्रद्धांजलि दी और रामगढ़ बौद्ध मंदिर में पूजा की. प्रतिनिधियों ने बताया कि चाइना कब्रिस्तान की वास्तविक स्थिति जैसे रखरखाव और रंग रोगन, लाइब्रेरी आदि का निरीक्षण किया. उन्होंने बताया कि इस कब्रिस्तान में चीन-ताइवान के 667 सैनिकों को दफनाया गया है.
विश्व युद्ध के दौरान किया था अभ्यासः ताइपे आर्थिक और सांस्कृतिक केंद्र के लायसन अफेयर सेक्शन के डायरेक्टर कर्नल शाउ ई शुआन (एरिक) ने कहा कि वे पहली बार चाइना सेमेट्री पहुंचे हैं. यहां द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान भारतीय सैनिकों के साथ युद्धाभ्यास करने वाले सैनिकों की कब्र है. दोनों देश के सैनिक विश्व युद्ध के दौरान जापान से लड़े थे, उन सैनिकों के सम्मान में यहां आएं हैं.
एक लाख चीनी सैनिकों का कैंपः आपको बता दें कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान रामगढ़ में चीनी सैनिकों का बटालियन कैंप था. करीब एक लाख चीनी सैनिक यहां रहते थे, ये सैनिक विश्व युद्ध के दौरान भारत के सैनिकों के साथ जापान के सैनिकों के खिलाफ युद्ध भी लड़े थे. 4 साल के प्रवास के दौरान कई चीनी सैनिक असमय मौत के शिकार हो गए थे. उन्हें रामगढ़ में ही दफन कर दिया गया था. सभी कब्रों पर सैनिकों के नाम और पद मंदारिन भाषा में अंकित हैं. कब्रिस्तान में एक शिलालेख भी है, जिस पर चीनी सैनिकों की बहादुरी और वीरता की कहानी लिखी गई है.
यहां लाइब्रेरी भीः द्वितीय विश्व युद्ध 18 मार्च 1942 से मार्च 1945 के बीच हुआ. इसकी स्मृतियां रामगढ़ जिला मुख्यालय से करीब 8 किलोमीटर दूर बुजुर्ग जमीरा के समीप चाइना कब्रिस्तान के रूप में आज भी विद्यमान हैं. पूरे भारत में रामगढ़ के अलावा अरुणाचल प्रदेश और असोम में भी इस युद्ध की स्मृतियां मौजूद हैं. चीन और ताइवान से कोसों दूर झारखंड की धरती में इन सैनिकों की कब्र के दर्शन के लिए हर साल परिजन आते हैं और उन्हें याद करते हैं. यहां लाइब्रेरी भी है. नई दिल्ली के बसंत विहार में ताइपेई आर्थिक और सांस्कृतिक केंद्र स्थित है जो भारत में ताइवान का प्रतिनिधि कार्यालय है. यह ताइवान और भारत के राजनयिक संबंधों के अभाव में एक वास्तविक दूतावास के रूप में कार्य करता है.