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पलामू टाइगर रिजर्व में मौजूद तीन बाघ नहीं हो पा रहे ट्रेस, कई इलाकों में कैमरा लगाने के निर्देश

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Published : Jan 22, 2021, 5:59 PM IST

Updated : Jan 28, 2021, 3:10 PM IST

पलामू टाइगर रिजर्व में 3 बाघ हैं और इन्हें फरवरी 2019 में आखिरी बार देखा गया था. फरवरी के बाद से पीटीआर प्रबंधन को पिछले बाघों की कोई तस्वीर या पंजों के निशान नहीं मिले हैं. बाघों की नए सिरे से तलाश शुरू हो रही है. 350 हाई क्वालिटी कैमरे लगाए जा रहे हैं.

searching of tigers in palamu tiger reserve
पलामू टाइगर रिजर्व में बाघों की तलाश

पलामू: एशिया के बड़े टाइगर प्रोजेक्ट में से एक पलामू टाइगर रिजर्व के तीन बाघ ट्रेस नहीं हो पा रहे हैं. आखिरी बार इन्हें फरवरी 2019 में देखा गया था. उसके बाद से टाइगर रिजर्व प्रबंधन को बाघों की तस्वीर और पंजों के निशान नहीं मिले हैं. पीटीआर में बाघ मौजूद हैं या नहीं इसकी पुष्टि नहीं हो पा रही है. अब नए सिरे से बाघों की तलाश शुरू हो रही है. पिछले साल फरवरी में शिकार कर रही एक बाघिन को जंगली भैंसों ने सींग घुसाकर मार दिया था. इसके बाद यहां तीन बाघ बचे थे.

टाइगर रिजर्व में लगाए जा रहे 350 कैमरे

पलामू टाइगर रिजर्व में बाघों की निगरानी के लिए 350 हाई क्वालिटी कैमरे लगाए जा रहे हैं. टाइगर रिजर्व के निदेशक वाईके दास बताते हैं कि पीटीआर में चार बाघों के होने के निशान मिले थे. एक की मौत के बाद किसी का पता नहीं चल पा रहा है. रिजर्व में तीन बाघ हैं लेकिन कर्मी उन्हें नहीं ढूंढ़ पा रहे हैं. उन्होंने बताया कि नए सिरे से पीटीआर में कैमरे लगाए जाएंगे. लापरवाही बरतने वाले कर्मियो पर कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने बताया कि हर सप्ताह अब ट्रैकर और कैमरे की समीक्षा होगी. सभी उप निदेशक और रेंज ऑफिसर को आदेश जारी किए गए हैं.

देखिये स्पेशल रिपोर्ट

बाघों की खोज को लेकर उदासीन हैं कर्मचारी

पलामू टाइगर रिजर्व के कर्मी बाघों की खोज को लेकर उदासीन हैं. जानकारी के अनुसार कर्मी जानबूझ कर बाघों को नहीं खोजना चाहते. बाघों की मॉनिटरिंग और इसके बारे में पूरी जानकारी मुख्यालय को भेजनी पड़ेगी, इसलिए कर्मी बाघों को नहीं खोजना चाहते.

पलामू से ही शुरु हुई थी बाघों की गिनती

पलामू टाइगर रिजर्व गढ़वा, लातेहार और छत्तीसगढ़ सीमा से सटा हुआ है. बाघ के लिए महशूर रहा पलामू टाइगर रिजर्व 1026 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. 1974 में पूरे देश मे बाघों को संरक्षित करने के लिए एक साथ नौ जगहों पर टाइगर प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई थी. पलामू टाइगर रिजर्व उन नौ इलाकों में से एक है जहां बाघों को संरक्षित करने का काम शुरू हुआ था. 1974 में पलामू टाइगर प्रोजेक्ट के इलाके में 50 बाघ थे. देश में पहली बार बाघों की गिनती पलामू से ही शुरू हुई थी.

यह भी पढ़ें: कोडरमा: अवैध खनन के दौरान हादसे में 4 लोगों की मौत, दो शव निकाले गए

पन्ना और सरिस्का में भी सामने आया था ऐसा मामला

मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में भी इसी तरह एक बाघ गायब हो गया था. बाद में खोजने पर 30 दिसंबर 2019 को बाघ मृत मिला था. किसी ने बाघ का शिकार कर लिया था. ऐसा ही मामला सरिस्का टाइगर रिजर्व में भी सामने आया था. यहां मार्च 2018 में किसी ने बाघ का शिकार कर लिया था. हालांकि, बाद में शिकारी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था.

पलामू: एशिया के बड़े टाइगर प्रोजेक्ट में से एक पलामू टाइगर रिजर्व के तीन बाघ ट्रेस नहीं हो पा रहे हैं. आखिरी बार इन्हें फरवरी 2019 में देखा गया था. उसके बाद से टाइगर रिजर्व प्रबंधन को बाघों की तस्वीर और पंजों के निशान नहीं मिले हैं. पीटीआर में बाघ मौजूद हैं या नहीं इसकी पुष्टि नहीं हो पा रही है. अब नए सिरे से बाघों की तलाश शुरू हो रही है. पिछले साल फरवरी में शिकार कर रही एक बाघिन को जंगली भैंसों ने सींग घुसाकर मार दिया था. इसके बाद यहां तीन बाघ बचे थे.

टाइगर रिजर्व में लगाए जा रहे 350 कैमरे

पलामू टाइगर रिजर्व में बाघों की निगरानी के लिए 350 हाई क्वालिटी कैमरे लगाए जा रहे हैं. टाइगर रिजर्व के निदेशक वाईके दास बताते हैं कि पीटीआर में चार बाघों के होने के निशान मिले थे. एक की मौत के बाद किसी का पता नहीं चल पा रहा है. रिजर्व में तीन बाघ हैं लेकिन कर्मी उन्हें नहीं ढूंढ़ पा रहे हैं. उन्होंने बताया कि नए सिरे से पीटीआर में कैमरे लगाए जाएंगे. लापरवाही बरतने वाले कर्मियो पर कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने बताया कि हर सप्ताह अब ट्रैकर और कैमरे की समीक्षा होगी. सभी उप निदेशक और रेंज ऑफिसर को आदेश जारी किए गए हैं.

देखिये स्पेशल रिपोर्ट

बाघों की खोज को लेकर उदासीन हैं कर्मचारी

पलामू टाइगर रिजर्व के कर्मी बाघों की खोज को लेकर उदासीन हैं. जानकारी के अनुसार कर्मी जानबूझ कर बाघों को नहीं खोजना चाहते. बाघों की मॉनिटरिंग और इसके बारे में पूरी जानकारी मुख्यालय को भेजनी पड़ेगी, इसलिए कर्मी बाघों को नहीं खोजना चाहते.

पलामू से ही शुरु हुई थी बाघों की गिनती

पलामू टाइगर रिजर्व गढ़वा, लातेहार और छत्तीसगढ़ सीमा से सटा हुआ है. बाघ के लिए महशूर रहा पलामू टाइगर रिजर्व 1026 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. 1974 में पूरे देश मे बाघों को संरक्षित करने के लिए एक साथ नौ जगहों पर टाइगर प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई थी. पलामू टाइगर रिजर्व उन नौ इलाकों में से एक है जहां बाघों को संरक्षित करने का काम शुरू हुआ था. 1974 में पलामू टाइगर प्रोजेक्ट के इलाके में 50 बाघ थे. देश में पहली बार बाघों की गिनती पलामू से ही शुरू हुई थी.

यह भी पढ़ें: कोडरमा: अवैध खनन के दौरान हादसे में 4 लोगों की मौत, दो शव निकाले गए

पन्ना और सरिस्का में भी सामने आया था ऐसा मामला

मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में भी इसी तरह एक बाघ गायब हो गया था. बाद में खोजने पर 30 दिसंबर 2019 को बाघ मृत मिला था. किसी ने बाघ का शिकार कर लिया था. ऐसा ही मामला सरिस्का टाइगर रिजर्व में भी सामने आया था. यहां मार्च 2018 में किसी ने बाघ का शिकार कर लिया था. हालांकि, बाद में शिकारी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था.

Last Updated : Jan 28, 2021, 3:10 PM IST
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