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डॉ. अर्चना शर्मा की आत्महत्या मामले के चलते पलामू में बंद रही ओपीडी, लोग हुए परेशान - मशाल जुलूस पलामू

राजस्थान के दौसा में डॉ. अर्चना शर्मा के आत्महत्या मामले की गूंज शनिवार को पलामू प्रमंडल में भी सुनाई दी. घटना से नाराज चिकित्सकों ने ओपीडी सेवा बंद रखी. हालांकि ओपीडी में इलाज किया गया.

Strike in Palamu due to Dr. Archana Sharma suicide case
डॉ. अर्चना शर्मा की आत्महत्या मामले के चलते पलामू में बंद रही ओपीडी
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Published : Apr 2, 2022, 3:48 PM IST

पलामू: राजस्थान के दौसा में डॉ. अर्चना शर्मा के आत्महत्या मामले की गूंज शनिवार को पलामू प्रमंडल में भी सुनाई दी. यहां के सभी अस्पतालों ने ओपीडी सेवा बाधित रही. ओपीडी सेवा बाधित रहने से मरीजों को परेशान होना पड़ा. सरकारी अस्पतालों में इमरजेंसी की सुविधा बहाल रही, जबकि ओपीडी की सेवा पूरी तरह से बंद रही. मेदिनीराय मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में प्रतिदिन 700 से 800 मरीजों को ओपीडी में इलाज होता है. समाचार लिखे जाने तक एमएमसीएच में मात्र 140 मरीजों का ही इमरजेंसी में इलाज हो सका था.

ये भी पढ़ें-महंगाई के खिलाफ कांग्रेस का राजभवन के सामने प्रदर्शन, गैस सिलिंडर पर पुष्पांजलि कर जताया विरोध

इससे पहले डॉक्टर्स ने आईएमए के नेतृत्व में एक साझा बयान जारी कर शनिवार को ओपीडी सेवा बंद रखने की घोषणा की थी. डॉक्टर्स ने शुक्रवार रात मशाल जुलूस भी निकाला था. ओपीडी सेवा बाधित रहने से सबसे अधिक ग्रामीण क्षेत्र के मरीज परेशान हुए. प्रमंडलीय मुख्यालय मेदिनीनगर में इलाज के लिए आए पलामू ,गढ़वा ,लातेहार के मरीज पहुंचे, लेकिन सभी को निराश होकर वापस लौटना पड़ा.

देखें पूरी खबर
डॉक्टर्स ने बताया कि डॉ. अर्चना शर्मा को प्रताड़ित किया गया था, जिस कारण उन्होंने आत्महत्या कर ली. राज्य में मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने की जरूरत है. सुरक्षित माहौल मिलेगा तभी डॉक्टर मरीजों का बेहतर तरीके से इलाज कर सकते हैं.

पलामू: राजस्थान के दौसा में डॉ. अर्चना शर्मा के आत्महत्या मामले की गूंज शनिवार को पलामू प्रमंडल में भी सुनाई दी. यहां के सभी अस्पतालों ने ओपीडी सेवा बाधित रही. ओपीडी सेवा बाधित रहने से मरीजों को परेशान होना पड़ा. सरकारी अस्पतालों में इमरजेंसी की सुविधा बहाल रही, जबकि ओपीडी की सेवा पूरी तरह से बंद रही. मेदिनीराय मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में प्रतिदिन 700 से 800 मरीजों को ओपीडी में इलाज होता है. समाचार लिखे जाने तक एमएमसीएच में मात्र 140 मरीजों का ही इमरजेंसी में इलाज हो सका था.

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डॉक्टर्स ने बताया कि डॉ. अर्चना शर्मा को प्रताड़ित किया गया था, जिस कारण उन्होंने आत्महत्या कर ली. राज्य में मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने की जरूरत है. सुरक्षित माहौल मिलेगा तभी डॉक्टर मरीजों का बेहतर तरीके से इलाज कर सकते हैं.
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