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कोलकाता-मुंबई के बीच 400 किलोमीटर दूरी हो जाएगी कम, रेल लाइन का सर्वे शुरू, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान शुरू हुई थी परियोजना

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान शुरू हुई परियोजना का काम अबतक पूरा नहीं हो पाया है. बरवाडीह चिरमिरी रेल लाइन परियोजना को पूरा करने के लिए सर्वे का काम शुरू हो गया है.

Start of survey of Barwadih Chirmiri rail line between Kolkata Mumbai
रेल लाइन के सर्वे में लगे अधिकारी
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Published : Jan 13, 2023, 5:20 PM IST

पलामू: कोलकाता से मुंबई को जोड़ने वाली बरवाडीह चिरमिरी रेल लाइन परियोजना के डीपीआर बनाने के लिए सर्वे का काम शुरू हो गया है. पलामू सांसद विष्णु दयाल राम ने बरवाडीह चिरमिरी रेल लाइन को लेकर लोकसभा में सवाल उठाया था. सांसद ने हाल में ही इस रेल लाइन को लेकर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से भी मुलाकात की थी और उन्हें पत्र दिया था. सर्वे के लिए रेलवे की एक टीम गढ़वा के इलाके में कैंप कर रही है.


बरवाडीह चिरमिरी रेल लाइन को लेकर फॉरेस्ट लैंड का भी सर्वे किया जा रहा है. इस सर्वे के लिए रेलवे करीब 5 करोड़ रुपय खर्च कर रहा है. टीम में रेलवे के कई एक्सपर्ट शामिल हैं. बरवाडीह झारखंड के लातेहार के इलाके में है जबकि चिरमिरी छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर के इलाके में है. इस रेल लाइन के बन जाने से कोलकाता से मुंबई की दूरी कई घंटे कम हो जाएगी.

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान रेल परियोजना की रखी गई थी नींव: द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 1942 में इस रेल लाइन बनाने की परियोजना की शुरुआत की गई थी. लेकिन आज तक यह परियोजना अधूरा है. अंग्रेजों ने सेना की सहायता के लिए इस रेल लाइन परियोजना की नींव रखी थी. बरवाडीह चिरमिरी रेल लाइन परियोजना करीब 330 किलोमीटर की है.


इस परियोजना के तहत छत्तीसगढ़ के चिरमिरी से विश्रामपुर तक 129 किलोमीटर रेल लाइन परियोजना को 1962 में तैयार कर लिया गया था. बिश्रामपुर से अंबिकापुर की दूरी करीब 19 किलोमीटर है, इस रेल लाइन पर भी परिचालन 2013 में शुरू हो गई है. अंबिकापुर से बरवाडीह की दूरी 182 किलोमीटर है जिसे पूरा किया जाना है. आज भी इस रेलखंड के अंतर्गत आने वाले नदियों पर बने पूल मौजूद हैं. इस परियोजना को पूरा हो जाने पर मुंबई से कोलकाता की दूरी रेल लाइन के माध्यम से 400 किलोमीटर कम हो जाएगी. यह रेल लाइन बरवाडीह, कुटकु, भंडरिया, बड़गड हुए छत्तीसगढ़ के बलरामपुर होते हुए चिरमिरी तक जानी थी.

पलामू: कोलकाता से मुंबई को जोड़ने वाली बरवाडीह चिरमिरी रेल लाइन परियोजना के डीपीआर बनाने के लिए सर्वे का काम शुरू हो गया है. पलामू सांसद विष्णु दयाल राम ने बरवाडीह चिरमिरी रेल लाइन को लेकर लोकसभा में सवाल उठाया था. सांसद ने हाल में ही इस रेल लाइन को लेकर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से भी मुलाकात की थी और उन्हें पत्र दिया था. सर्वे के लिए रेलवे की एक टीम गढ़वा के इलाके में कैंप कर रही है.


बरवाडीह चिरमिरी रेल लाइन को लेकर फॉरेस्ट लैंड का भी सर्वे किया जा रहा है. इस सर्वे के लिए रेलवे करीब 5 करोड़ रुपय खर्च कर रहा है. टीम में रेलवे के कई एक्सपर्ट शामिल हैं. बरवाडीह झारखंड के लातेहार के इलाके में है जबकि चिरमिरी छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर के इलाके में है. इस रेल लाइन के बन जाने से कोलकाता से मुंबई की दूरी कई घंटे कम हो जाएगी.

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान रेल परियोजना की रखी गई थी नींव: द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 1942 में इस रेल लाइन बनाने की परियोजना की शुरुआत की गई थी. लेकिन आज तक यह परियोजना अधूरा है. अंग्रेजों ने सेना की सहायता के लिए इस रेल लाइन परियोजना की नींव रखी थी. बरवाडीह चिरमिरी रेल लाइन परियोजना करीब 330 किलोमीटर की है.


इस परियोजना के तहत छत्तीसगढ़ के चिरमिरी से विश्रामपुर तक 129 किलोमीटर रेल लाइन परियोजना को 1962 में तैयार कर लिया गया था. बिश्रामपुर से अंबिकापुर की दूरी करीब 19 किलोमीटर है, इस रेल लाइन पर भी परिचालन 2013 में शुरू हो गई है. अंबिकापुर से बरवाडीह की दूरी 182 किलोमीटर है जिसे पूरा किया जाना है. आज भी इस रेलखंड के अंतर्गत आने वाले नदियों पर बने पूल मौजूद हैं. इस परियोजना को पूरा हो जाने पर मुंबई से कोलकाता की दूरी रेल लाइन के माध्यम से 400 किलोमीटर कम हो जाएगी. यह रेल लाइन बरवाडीह, कुटकु, भंडरिया, बड़गड हुए छत्तीसगढ़ के बलरामपुर होते हुए चिरमिरी तक जानी थी.

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