पलामूः छत्तरपुर थाना क्षेत्र के भव फैक्ट्री स्थित एनएच-98 में एक गोदाम में नवृति फूड मिक्सचर फैक्ट्री कोडरमा के नाम से बनाए जा रहे मिक्सचर को लेकर जिला फूड सेफ्टी ऑफिसर ने छापेमारी की और सैंपल जब्त किया. इस दौरान भारी मात्रा में मिक्सचर और मिक्सचर बनाने वाली मशीन भी जब्त की गई. इस छापामारी में जिला फूड सेफ्टी ऑफिसर मनोज कुमार के अलावा छत्तरपुर थाना प्रभारी उपेंद्र सिंह, एसआई अशोक महतो दलबल के साथ शामिल थे. छापेमारी की खबर सुनकर फैक्टरी में कार्यरत वर्कर और मालिक के होश उड़ गए. इसमें किसी की भी गिरफ्तारी की सूचना नहीं है.
जिला फूड अधिकारी मनोज कुमार ने बताया कि सूचना मिली थी कि छत्तरपुर में नवृति कंपनी के नाम पर ब्रांड लगाकर मिक्सचर बनाया जा रहा है, जिसके बाद मामले में एसडीएम छत्तरपुर ने छापेमारी करने का आदेश दिया. इसके तहत यह छापेमारी की गई, जहां भारी मात्रा में सैकड़ों बोरा में पैकिंग मिक्सचर, मिक्सचर बनाने की मशीन, पंचिंग करने की मशीन, भारी मात्रा में मिक्सचर के खाली पैक, मिक्सचर बनाने का कच्चा समान पाया गया.
फूड सेफ्टी ऑफिसर ने मांगा जवाब
एसडीएम ने बताया कि पिछले 5 महीने से मैसर्स कंचन कुमारी पति रंजीत कुमार गुप्ता के नाम से मिक्सचर और चाय की लोकल मार्केट में बिक्री की जा रही थी. सेफ्टी ऑफिसर ने कंचन कुमारी के नाम नोटिस देकर जवाब मांगा है. नोटिस में कहा गया है कि दुकानदार ने फूड लाइसेंस की मांग करने पर नहीं दिखाया और न ही प्रॉपर्टी का एनओसी दिखाया. वहीं, दुकानदार से मास्क का प्रयोग नहीं करने, कोरोना काल में सरकार के निर्देश और कोरोना जैसी महामारी का खुलेआम उल्लंघन करने पर ही जवाब मांगा गया है. मजदूरों के साथ आम लोगों तक खाद्य सामग्री पहुंचा कर जीवन के साथ खिलवाड़ करने पर संचालक को नोटिस दिया गया है.
साफ-सफाई का ध्यान नहीं रखने पर भी मांगा जवाब
नोटिस में वाटर टेस्टिंग रिपोर्ट और काम कर रहे कर्मियों का शौचालय नहीं होने से लेकर साफ-सफाई नहीं रखने पर भी जवाब मांगे गए हैं. छापेमारी के दौरान खरीद-बिक्री की रिपोर्ट नहीं किए जाने का भी जवाब मांगा गया है. नोटिस में यह भी लिखा गया है कि 10 दिनों के अंदर सारे दस्तावेज तैयार कर ले नहीं तो एफएसएस एक्ट के तहत संचालक के ऊपर कार्रवाई की जाएगी.
अब सवाल यह है कि गोदाम में मौजूद मिक्सचर, चाय माल पर 10 दिन का समय देने और फैक्ट्री को सील नहीं किया जाना भी एक संदिग्ध मामला है यह भी जांच का विषय है. बता दें कि सरकार को लाखों का चुना लगाया जा चुका है फिर भी नोटिस के अनुसार संचालक को 10 दिन का समय दिए जाने पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं.