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पलामू में तैनात सीआरपीएफ बटालियन को हटाने की प्रक्रिया शुरू, नक्सल विरोधी अभियान में पड़ सकता है असर

पलामू में तैनात सीआरपीएफ की 134 बटालियन को हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. सीआरपीएफ बटालियन को पश्चिमी सिंहभूम के सारंडा में तैनात किया जाएगा. गृह मंत्रालय ने इस संबंध में निर्णय लिया था. पलामू के लिए एसआरई बंद करने की घोषणा की गई थी. Process To Remove CRPF Battalion In Palamu.

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Process To Remove CRPF Battalion In Palamu
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 30, 2023, 7:14 PM IST

पलामूः झारखंड-बिहार सीमा पर नक्सल विरोधी अभियान से जुड़ी एक बड़ी खबर निकल कर सामने आई है. पलामू से सीआरपीएफ की बटालियन को हटाया जा रहा है. पलामू के तैनात सीआरपीएफ बटालियन को चाईबासा के सारंडा में तैनात किया जा रहा है और इसकी प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है. अगले कुछ दिनों में बटालियन को पूरी तरह से सारंडा के इलाके में शिफ्ट कर दिया जाएगा. बताते चलें कि झारखंड-बिहार सीमा पर पलामू के इलाके के कई कैंप केंद्रीय रिजर्व बल (सीआरपीएफ) तैनात हैं.

ये भी पढ़ें-नक्सल विरोधी अभियान में तैनात सीआरपीएफ जवानों ने पलामू में निकाली तिरंगा यात्रा, लोगों का बढ़ाया हौसला

पलामू में नक्सल विरोधी अभियान का नेतृत्व करती है सीआरपीएफः फिलहाल पलामू में सीआरपीएफ की 134 वीं बटालियन तैनात है, जो झारखंड-बिहार सीमा पर नक्सल विरोधी अभियान का नेतृत्व करती है. यह बटालियन पिछले एक दशक से भी अधिक समय से नक्सल विरोधी अभियान की कमान संभाली हुई थी. पलामू में जीएलए कॉलेज परिसर में सीआरपीएफ 134 बटालियन का हेडक्वार्टर है. झारखंड-बिहार सीमा पर डगरा, कुहकुह, मनातू, चक, हरिहरगंज में सीआरपीएफ की 134 बटालियन तैनात रही है.

पूरी बटालियन को सारंडा में किया जाएगा शिफ्टः सीआरपीएफ एक टॉप अधिकारी ने बताया कि बटालियन को शिफ्ट करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है, दो कंपनी पहले से सारंडा के इलाके में तैनात है. जल्द ही पूरी बटालियन सारंडा के इलाके में शिफ्ट हो जाएगी. चाईबासा में बटालियन को मुख्यालय में जगह भी मिल गई है. यह बटालियन चाईबासा में तैनात सीआरपीएफ 7वीं बटालियन की जगह लेगी. कुछ दिनों तक पलामू में बटालियन का मुख्यालय रहेगा.

पलामू से सीआरपीएफ का रेंज ऑफिस भी होगा शिफ्टः केंद्रीय गृह मंत्रालय से मिलने वाला स्पेशल रीजन एक्सपेंडिचर (एसआरई) पलामू के लिए बंद करने की घोषणा हुई है. सीआरपीएफ का सारा खर्चा एसआरई के माध्यम से होता है. मिली जानकारी के अनुसार बटालियन के क्लोज करने के बाद पलामू से सीआरपीएफ रेंज कार्यालय को भी शिफ्ट किया जाएगा. फिलहाल बटालियन का एक बड़ा हिस्सा सारंडा में शिफ्ट हो गया है. बताते चलें कि अविभाजित बिहार में नक्सली के दौर में पलामू से ही नरसंहार की की शुरुआत हुई थी. नक्सल के खिलाफ पहली बार 1995-96 में केंद्रीय रिजर्व बल (सीआरपीएफ) पलामू पहुंची थी और नक्सल विरोधी अभियान की शुरूआत की गई थी. सीआरपीएफ के नेतृत्व में प्रत्येक वर्ष 700 से अधिक नक्सल विरोधी अभियान संचालित होते हैं.

खतरनाक है पलामू में सीआरपीएफ का क्लोज होनाः नक्सल मामलों के जानकार देवेंद्र गुप्ता बताते हैं कि पलामू से सीआरपीएफ का क्लोज होना खतरनाक है. पलामू के इलाके से नक्सल के दौर की शुरुआत हुई थी. आज भी पलामू के इलाके के नक्सल नेता जेलों में बंद हैं. इलाके में नक्सल गतिविधि कमजोर हुई है, लेकिन खत्म नहीं हुई है. पलामू से सीआरपीएफ के जाने के बाद नक्सल गतिविधि फिर से शुरू हो सकती है. उन्होंने बताया कि यह समझने की जरूरत है कि पलामू के इलाके से नक्सल संगठनों के नेतृत्वकर्ता मिले हैं. नेतृत्वकर्ता कमजोर हुए हैं, खत्म नहीं हुए हैं.

पलामूः झारखंड-बिहार सीमा पर नक्सल विरोधी अभियान से जुड़ी एक बड़ी खबर निकल कर सामने आई है. पलामू से सीआरपीएफ की बटालियन को हटाया जा रहा है. पलामू के तैनात सीआरपीएफ बटालियन को चाईबासा के सारंडा में तैनात किया जा रहा है और इसकी प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है. अगले कुछ दिनों में बटालियन को पूरी तरह से सारंडा के इलाके में शिफ्ट कर दिया जाएगा. बताते चलें कि झारखंड-बिहार सीमा पर पलामू के इलाके के कई कैंप केंद्रीय रिजर्व बल (सीआरपीएफ) तैनात हैं.

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पलामू में नक्सल विरोधी अभियान का नेतृत्व करती है सीआरपीएफः फिलहाल पलामू में सीआरपीएफ की 134 वीं बटालियन तैनात है, जो झारखंड-बिहार सीमा पर नक्सल विरोधी अभियान का नेतृत्व करती है. यह बटालियन पिछले एक दशक से भी अधिक समय से नक्सल विरोधी अभियान की कमान संभाली हुई थी. पलामू में जीएलए कॉलेज परिसर में सीआरपीएफ 134 बटालियन का हेडक्वार्टर है. झारखंड-बिहार सीमा पर डगरा, कुहकुह, मनातू, चक, हरिहरगंज में सीआरपीएफ की 134 बटालियन तैनात रही है.

पूरी बटालियन को सारंडा में किया जाएगा शिफ्टः सीआरपीएफ एक टॉप अधिकारी ने बताया कि बटालियन को शिफ्ट करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है, दो कंपनी पहले से सारंडा के इलाके में तैनात है. जल्द ही पूरी बटालियन सारंडा के इलाके में शिफ्ट हो जाएगी. चाईबासा में बटालियन को मुख्यालय में जगह भी मिल गई है. यह बटालियन चाईबासा में तैनात सीआरपीएफ 7वीं बटालियन की जगह लेगी. कुछ दिनों तक पलामू में बटालियन का मुख्यालय रहेगा.

पलामू से सीआरपीएफ का रेंज ऑफिस भी होगा शिफ्टः केंद्रीय गृह मंत्रालय से मिलने वाला स्पेशल रीजन एक्सपेंडिचर (एसआरई) पलामू के लिए बंद करने की घोषणा हुई है. सीआरपीएफ का सारा खर्चा एसआरई के माध्यम से होता है. मिली जानकारी के अनुसार बटालियन के क्लोज करने के बाद पलामू से सीआरपीएफ रेंज कार्यालय को भी शिफ्ट किया जाएगा. फिलहाल बटालियन का एक बड़ा हिस्सा सारंडा में शिफ्ट हो गया है. बताते चलें कि अविभाजित बिहार में नक्सली के दौर में पलामू से ही नरसंहार की की शुरुआत हुई थी. नक्सल के खिलाफ पहली बार 1995-96 में केंद्रीय रिजर्व बल (सीआरपीएफ) पलामू पहुंची थी और नक्सल विरोधी अभियान की शुरूआत की गई थी. सीआरपीएफ के नेतृत्व में प्रत्येक वर्ष 700 से अधिक नक्सल विरोधी अभियान संचालित होते हैं.

खतरनाक है पलामू में सीआरपीएफ का क्लोज होनाः नक्सल मामलों के जानकार देवेंद्र गुप्ता बताते हैं कि पलामू से सीआरपीएफ का क्लोज होना खतरनाक है. पलामू के इलाके से नक्सल के दौर की शुरुआत हुई थी. आज भी पलामू के इलाके के नक्सल नेता जेलों में बंद हैं. इलाके में नक्सल गतिविधि कमजोर हुई है, लेकिन खत्म नहीं हुई है. पलामू से सीआरपीएफ के जाने के बाद नक्सल गतिविधि फिर से शुरू हो सकती है. उन्होंने बताया कि यह समझने की जरूरत है कि पलामू के इलाके से नक्सल संगठनों के नेतृत्वकर्ता मिले हैं. नेतृत्वकर्ता कमजोर हुए हैं, खत्म नहीं हुए हैं.

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