पलामू: पोस्ता की खेती रोकना पुलिस-प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन गयी है. झारखंड और बिहार के सीमावर्ती इलाकों में बड़े पैमाने पर पोस्त की खेती की जा रही है. बाहरी लोग पोस्ता की इस खेती को फाइनेंस कर रहे हैं. इस खेती में बाहर के बड़े ड्रग नेटवर्क और उनसे जुड़े लोग पैसा लगा रहे हैं. इसका नेटवर्क झारखंड, बिहार, यूपी, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली तक फैला हुआ है.
दरअसल, झारखंड पुलिस ने पोस्ता की खेती और उससे जुड़े नेटवर्क के खिलाफ कार्रवाई करने की योजना तैयार की है. इससे जुड़े मामलों और तस्करों को लेकर एक डेटाबेस भी तैयार किया जा रहा है. दरअसल, जांच के दौरान पुलिस को पता चला है कि पोस्ता की खेती को बाहर से तस्करों और नेटवर्क द्वारा फाइनेंस किया जा रहा है. पुलिस को यह भी पता चला है कि फाइनेंसरों ने K लेयर बनाई है ताकि उन तक आसानी से पहुंचा जा सके.
फाइनेंस के लिए स्थानीयों का किया जा रहा उपयोग: पोस्ता की खेती का फाइनेंस करने वाले लोग स्थानीय नेटवर्क का उपयोग कर रहे हैं. खेती के लिए स्थानीय नेटवर्क को पैसा उपलब्ध कराया जाता है. फाइनेंसर खसखस भी उपलब्ध कराते हैं. पोस्ता से कच्ची अफीम तैयार करने के बाद स्थानीय नेटवर्क को प्रति एकड़ के हिसाब से पैसा दिया जाता है. फाइनेंसर को ग्रामीणों से कम कीमत पर उत्पाद खरीदना पड़ता है.
पूरे इलाके की हो रही जियो मैपिंग: दरअसल, पिछले कुछ वर्षों में पलामू और लातेहार में दर्ज पोस्ता की खेती और अफीम तस्करी से जुड़े मामलों का अनुसंधान तेज कर दिया गया है. प्रत्येक क्षेत्र की जियो मैपिंग की जा रही है. प्रत्येक तस्कर और मामले में शामिल नाम का डेटाबेस तैयार किया जा रहा है और उनके रिकॉर्ड की जांच की जा रही है. पलामू के जोनल आईजी राजकुमार लकड़ा ने कहा कि अब कार्रवाई में एनसीबी को भी शामिल किया जाएगा, पोस्ता की खेती करने वालों के साथ-साथ इसके लिए फाइनेंस करने वालों पर भी कार्रवाई की योजना तैयार की गई है. प्रभावित इलाकों की जियो-मैपिंग की जा रही है ताकि निगरानी की जा सके.
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