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यहां टॉप नक्सली से लेकर टॉप पुलिस अफसर बने सांसद, फिर भी नहीं बदली तस्वीर - पलामू न्यूज

पलामू में हर दूसरे साल सुखाड़ झेलने वाली जनता ने माओवादी से लेकर पुलिस अधिकारी तक को सांसद बना चुकी है. खासतौर पर पलामू संसदीय क्षेत्र नक्सल हिंसा, अकाल, सुखाड़, पलायन और पिछड़ेपन के लिए जाना जाता है.

क्सली से लेकर टॉप पुलिस अफसर बने सांसद, फिर भी नहीं बदली तस्वीर
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Published : Apr 13, 2019, 11:04 PM IST

पलामू: हर दूसरे साल सुखाड़ झेलने वाली जनता ने माओवादी से लेकर पुलिस अधिकारी तक को सांसद बना चुकी है. यह संसदीय क्षेत्र पिछले 10 सालों में 7 बार सुखाड़ की मार झेल चुकी है. लेकिन अभी तक कोई भी परियोजना कारगर नही हुई, जो खेतों को पानी दे सके.

क्सली से लेकर टॉप पुलिस अफसर बने सांसद, फिर भी नहीं बदली तस्वीर

बता दें कि झारखंड का 14वां लोकसभा सीट पलामू 1967 से अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व है. 2007 में पलामू तत्कालीन सांसद मनोज कुमार नोट कांड के स्टिंग में पकड़े गए थे. 2009 में पलामू से टॉप माओवादी कामेश्वर बैठा ने झारखंड मुक्ति के टिकट पर चुनाव जीते थे. जबकि 2014 में झारखंड के पूर्व डीजीपी विष्णु दयाल राम सांसद रहे. इस बार चुनाव मैदान में प्रमुख रूप से भाजपा के विष्णु दयाल राम, राजद से घुरन राम, बसपा से अंजना भुइयां और भाकपा माले से सुषमा मेहता है. वीडी राम और घुरन राम दोनों अनुसूचित जाति से है और दोनों की अपनी-अपनी जातियों पर पकड़ है.

खासतौर पर पलामू संसदीय क्षेत्र नक्सल हिंसा, अकाल, सुखाड़, पलायन और पिछड़ेपन के लिए जाना जाता है. संसदीय क्षेत्र के दोनों जिले केंद्र सरकार के आकांक्षी जिलों की सूची में है. वहीं, पलामू संसदीय क्षेत्र पिछले 10 वर्षों में 07 बार सुखाड़ की चपेट झेल चुका है. हर दो वर्षों में यहां सुखाड़ होती है. जबकी यहां पानी की कमी नहीं है.कई सारी बड़ी नदियां इस संसदीय क्षेत्र से हो कर गुजरती है. लेकिन अभी तक कोई भी परियोजना कारगर नही हुई, जो खेतों को पानी दे सके.

बता दें कि करीब 33 लाख जनसंख्या वाला यह क्षेत्र पेयजल की संकट से आज भी जूझ रहा है. गर्मी के दौरान कई शहरी क्षेत्र ड्राई जोन हो जाते हैं.यहां एबीआइसीएल को छोड़ कोई औधोगिक घराना नही है, जिस कारण यंहा रोजगार की बड़ी समस्या है. यहां की युवा आबादी बाहर के राज्यों में पलायन कर जाती है. सुरक्षाबलो की मौजूदगी में माहौल बदला है लेकिन जिस तेज गति से विकास की उम्मीद थी वह नही हो पाई है.

पलामू: हर दूसरे साल सुखाड़ झेलने वाली जनता ने माओवादी से लेकर पुलिस अधिकारी तक को सांसद बना चुकी है. यह संसदीय क्षेत्र पिछले 10 सालों में 7 बार सुखाड़ की मार झेल चुकी है. लेकिन अभी तक कोई भी परियोजना कारगर नही हुई, जो खेतों को पानी दे सके.

क्सली से लेकर टॉप पुलिस अफसर बने सांसद, फिर भी नहीं बदली तस्वीर

बता दें कि झारखंड का 14वां लोकसभा सीट पलामू 1967 से अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व है. 2007 में पलामू तत्कालीन सांसद मनोज कुमार नोट कांड के स्टिंग में पकड़े गए थे. 2009 में पलामू से टॉप माओवादी कामेश्वर बैठा ने झारखंड मुक्ति के टिकट पर चुनाव जीते थे. जबकि 2014 में झारखंड के पूर्व डीजीपी विष्णु दयाल राम सांसद रहे. इस बार चुनाव मैदान में प्रमुख रूप से भाजपा के विष्णु दयाल राम, राजद से घुरन राम, बसपा से अंजना भुइयां और भाकपा माले से सुषमा मेहता है. वीडी राम और घुरन राम दोनों अनुसूचित जाति से है और दोनों की अपनी-अपनी जातियों पर पकड़ है.

खासतौर पर पलामू संसदीय क्षेत्र नक्सल हिंसा, अकाल, सुखाड़, पलायन और पिछड़ेपन के लिए जाना जाता है. संसदीय क्षेत्र के दोनों जिले केंद्र सरकार के आकांक्षी जिलों की सूची में है. वहीं, पलामू संसदीय क्षेत्र पिछले 10 वर्षों में 07 बार सुखाड़ की चपेट झेल चुका है. हर दो वर्षों में यहां सुखाड़ होती है. जबकी यहां पानी की कमी नहीं है.कई सारी बड़ी नदियां इस संसदीय क्षेत्र से हो कर गुजरती है. लेकिन अभी तक कोई भी परियोजना कारगर नही हुई, जो खेतों को पानी दे सके.

बता दें कि करीब 33 लाख जनसंख्या वाला यह क्षेत्र पेयजल की संकट से आज भी जूझ रहा है. गर्मी के दौरान कई शहरी क्षेत्र ड्राई जोन हो जाते हैं.यहां एबीआइसीएल को छोड़ कोई औधोगिक घराना नही है, जिस कारण यंहा रोजगार की बड़ी समस्या है. यहां की युवा आबादी बाहर के राज्यों में पलायन कर जाती है. सुरक्षाबलो की मौजूदगी में माहौल बदला है लेकिन जिस तेज गति से विकास की उम्मीद थी वह नही हो पाई है.

Intro:पलामू लोकसभा सीट से टॉप माओवादी से लेकर टॉप पुलिस अधिकारी तक रह चुके है सांसद, हर दूसरे वर्ष यंहा पड़ता है सुखाड़ नीरज कुमार। पलामू पलामू और गढ़व के छह विधानसभा क्षत्रो को बना है पलामू संसदीय क्षेत्र। पलामू संसदीय क्षेत्र से टॉप माओवादी से लेकर टॉप पुलिस अधिकारी तक सांसद रहे है। झारखंड के 14वां लोकसभा सीट पलामू 1967 से अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व है। 2007 में पलामू तब चर्चा में आया था जब यंहा के तत्कालीन सांसद मनोज कुमार नोट कांड के स्टिंग में पकड़े गए थे। 2009 में पलामू से टॉप माओवादी कामेश्वर बैठा ने झारखंड मुक्ति के टिकट पर चुनाव जीते थे , जबकि 2014 में झारखंड के पूर्व डीजीपी विष्णु दयाल राम सांसद रहे। इस बार चुनाव मैदान में प्रमुख रूप से भाजपा के विष्णु दयाल राम, राजद से घुरन राम, बसपा से अंजना भुइयां और भाकपा माले से सुषमा मेहता है। वीडी राम और घुरन राम दोनों अनुसूचित जाति से है दोनों की अपनी अपनी जातियों पर पकड़ है।


Body:पलामू संसदीय क्षेत्र नक्सल हिंसा, अकाल ,सुखाड़ ,पलायन और पिछड़ेपन के लिए जाना जाता है। संसदीय क्षेत्र के दोनों जिले केंद्र सरकार के आकांक्षी जिलों की सूची में है। पलामू संसदीय क्षेत्र पिछले 10 वर्षों में 07 बार सुखाड़ की चपेट में आया है। 2019 में भी पलामू में सुखाड़ है। हर दो वर्षों में पलामू में सुखाड़ होती है। ऐसा नही है कि पलामू पानी की कमी है, संसदीय क्षेत्र से सोन, कोयल, औरंगा, कनहर, बटाने, अमानत, तहले जैसी बड़ी नदियां हो कर गुजतरी है, लेकिन अभी तक ऐसी कोई भी परियोजना कारगर नही हुई है जो खेतों को पानी दे सके। मंडल डैम, कनहर, औरंगा, अमानत, उतर कोयल नहर परियोजना वर्षो से अधूरी है। करीब 33 लाख जनसंख्या वाले यह क्षेत्र पेयजल की संकट से जूझता है, गर्मी के दौरान कई शहरी क्षेत्र ड्राई जोन हो जाते हैं। पलामू में एबीआइसीएल को छोड़ कोई औधोगिक घराना नही है , जिस कारण यंहा रोजगार की बड़ी समस्या है। पलामू की युवा आबादी बाहर के राज्यों में पलायन कर जाती है। पलामू का इलाका 1980 के दशक से नक्सलवाद के प्रभाव है। सुरक्षाबलो की मौजूदगी में माहौल बदला है लेकिन जिस तेज गति से विकास की उम्मीद थी वह नही हो पाई है। पलामू में 23 प्रतिशत से अधिक अनुसूचित जाती, 11 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति और 13 प्रतिशत मुस्लिम वोटर है। जबकि 30 प्रतिशत पिछड़े वर्ग 23 प्रतिशत जेनरल वोटर है।


Conclusion:पलामू लोकसभा सीट एक नजर में - झारखंड में 14वां लोकससभा सीट है पलामू जिसमे पलामू और गढ़व जिला है। संसदीय क्षेत्र में मेदिनीनगर ,पाटन छत्तरपुर(एससी), हुसैनाबाद, बिश्रामपुर, गढ़व और भावनाथपुर शामिल है। -संसदीय क्षेत्र की सीमा उतरप्रदेश, बिहार और छत्तीसगढ़ से सटी हुई है। - पलामू संसदीय क्षेत्र से अब तक 18 सांसद रह चुके है। 1952 में दो सांसद थे। 1952 में जेठन सिंह खरवार सांसद फर्स्ट पास्ट द पोस्ट इलेक्शन पद्धति से सांसद बने थे। - संसदीय क्षेत्र में 1522 मतदान केंद्र है जबकि 16 लाख मतदाता है। -पलामू संसदीय क्षेत्र 1967 से रिजर्व है । पलामू के अब तक के सांसद 1952 -राजेंद्र प्रसाद सिन्हा उर्फ पन्ना बाबू (कांग्रेस)/ जेठन सिंह खरवार 1957- राजेन्द्र प्रसाद सिन्हा उर्फ पन्ना बाबू (कांग्रेस) 1962- राजमाता शशांक मंजरी (स्वतंत्र पार्टी) 1967-कमला कुमारी( कांग्रेस) 1971- कमला कुमारी (कांग्रेस) 1977- रामदेनी रात्म (जनता पार्टी) 1980-कमला कुमारी (कांग्रेस) 1984-कमला कुमारी (कांग्रेस) 1989-जोरावर राम (जनता दल) 1991- रामदेव राम (भाजपा) 1996-ब्रजमोहन राम (भाजपा) 1998- ब्रजमोहन राम (भाजपा) 1999-ब्रजमोहन राम (भाजपा) 2004-मनोज कुमार (राजद) 2007- घुरन राम (राजद) 2009-कामेश्वर बैठा (जेएमएम) 2014- वीडी राम (भाजपा)
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