पलामू: हर दूसरे साल सुखाड़ झेलने वाली जनता ने माओवादी से लेकर पुलिस अधिकारी तक को सांसद बना चुकी है. यह संसदीय क्षेत्र पिछले 10 सालों में 7 बार सुखाड़ की मार झेल चुकी है. लेकिन अभी तक कोई भी परियोजना कारगर नही हुई, जो खेतों को पानी दे सके.
बता दें कि झारखंड का 14वां लोकसभा सीट पलामू 1967 से अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व है. 2007 में पलामू तत्कालीन सांसद मनोज कुमार नोट कांड के स्टिंग में पकड़े गए थे. 2009 में पलामू से टॉप माओवादी कामेश्वर बैठा ने झारखंड मुक्ति के टिकट पर चुनाव जीते थे. जबकि 2014 में झारखंड के पूर्व डीजीपी विष्णु दयाल राम सांसद रहे. इस बार चुनाव मैदान में प्रमुख रूप से भाजपा के विष्णु दयाल राम, राजद से घुरन राम, बसपा से अंजना भुइयां और भाकपा माले से सुषमा मेहता है. वीडी राम और घुरन राम दोनों अनुसूचित जाति से है और दोनों की अपनी-अपनी जातियों पर पकड़ है.
खासतौर पर पलामू संसदीय क्षेत्र नक्सल हिंसा, अकाल, सुखाड़, पलायन और पिछड़ेपन के लिए जाना जाता है. संसदीय क्षेत्र के दोनों जिले केंद्र सरकार के आकांक्षी जिलों की सूची में है. वहीं, पलामू संसदीय क्षेत्र पिछले 10 वर्षों में 07 बार सुखाड़ की चपेट झेल चुका है. हर दो वर्षों में यहां सुखाड़ होती है. जबकी यहां पानी की कमी नहीं है.कई सारी बड़ी नदियां इस संसदीय क्षेत्र से हो कर गुजरती है. लेकिन अभी तक कोई भी परियोजना कारगर नही हुई, जो खेतों को पानी दे सके.
बता दें कि करीब 33 लाख जनसंख्या वाला यह क्षेत्र पेयजल की संकट से आज भी जूझ रहा है. गर्मी के दौरान कई शहरी क्षेत्र ड्राई जोन हो जाते हैं.यहां एबीआइसीएल को छोड़ कोई औधोगिक घराना नही है, जिस कारण यंहा रोजगार की बड़ी समस्या है. यहां की युवा आबादी बाहर के राज्यों में पलायन कर जाती है. सुरक्षाबलो की मौजूदगी में माहौल बदला है लेकिन जिस तेज गति से विकास की उम्मीद थी वह नही हो पाई है.