पलामू: कुख्यात डॉन कुणाल सिंह की गोली मार कर हत्या कर दी गई. कुणाल को सिर में गोली मारी गई है. गोली मारने से पहले उसके कार को टक्कर मारी गई. भारतीय सेना में करीब 11 वर्षों की नौकरी के बाद डॉन बना था कुणाल सिंह. कुणाल सिंह का नेटवर्क झारखंड के साथ-साथ बिहार में भी था. कुणाल सिंह की पलामू के मेदिनीनगर के अघोर आश्रम के इलाके में फिल्मी अंदाज में गोली मारकर हत्या कर दी गई. कुणाल सिंह मूल रूप पलामू के छत्तरपुर का रहने वाला था और मेदिनीनगर के हमीदगंज में रहता था. कुणाल सिंह पलामू और रांची में कई अपराध के मामले में भी आरोपी था. उसपर जेजेएमपी के जोनल कमांडर संदीप की हत्या का आरोप था, संदीप कुणाल सिंह का बचपन का दोस्त था.
माओवादियों से रहा है संबंध
डॉन कुणाल सिंह का माओवादियो से भी संबंध रहा है. कुणाल सिंह को पुलिस ने 2016-17 में रांची के इलाके से गिरफ्तार किया था. उस दौरान इस बात का खुलासा हुआ था कि कुणाल का संबंध माओवादियों से रहा है. बताया जाता है कि माओवादियों के इसारे पर ही उसने अपने मित्र और जेजेएमपी कमांडर संदीप उर्फ डीके की हत्या की थी. रांची के निलय एजुकेशन ट्रस्ट के भीम सिंह मुंडा के अपहरण को कुणाल सिंह ने ही अंजाम दिया था, बाद में संदीप के सहयोग से पुलिस ने भीम सिंह मुंडा को मुक्त करवाया था.
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सेना में रहते हुए बना था डॉन, पलामू पुलिस के रिपोर्ट के आधार पर हुआ था बर्खास्त
कुणाल सिंह 2002 में सेना में भर्ती हुआ था. उसने 11 वर्षों तक सेना की नौकरी की. इस दौरान उनसे पलामू में मशहूर डॉन सह आजसू नेता साजिद अहमद सिद्दकी उर्फ बॉबी खान की हत्या की थी. इस हत्याकांड के बाद कुणाल सिंह चर्चा में आया था. इस दौरान वह सेना के नौकरी में ही था, बाद में पलामू पुलिस की रिपोर्ट के आधार पर उसे सेना से बर्खास्त कर दिया गया था.
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सुरक्षा एजेंसियों ने कुणाल को लेकर जारी किया था अलर्ट
कुणाल सिंह का माओवादियों के साथ संबंध होने को लेकर सुरक्षा एजेंसियों ने अलर्ट जारी किया था. बिहार के एक जेल में वहां के अभियान एसपी के साथ कुणाल सिंह ने मारपीट भी किया था. उस दौरान पुलिस को पता चला था कि कुणाल सिंह माओवादियों से मिलकर कुछ पुलिस अधिकारियों को टारगेट पर लिया था. उसका संबंध बूढ़ापहाड़ और छकरबंधा के इलाके में सक्रिय माओवादी दस्ते से था. गढ़वा के इलाके के एक ठेकेदार से उसकी माओवादियों से संबंध बनवाया था.
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कुणाल सिंह 2018-19 में जेल से निकला था बाहर
कुणाल सिंह 2018-19 में जेल से बाहर निकला था. जेल से निकलने के बाद सामान्य जीवन जी रहा था. पुलिस के अनुसार, वह हाल के दिनों में बालू के धंधे, टेंडर मैनेज आदि से जुड़ा था. पलामू के प्रसिद्ध समाजसेवी सह राजद के बड़े नेता ज्ञानचंद पांडेय के पोते के अपहरण के मामले में कुणाल को सजा हुई थी.