पलामूः कोरोना ने जिले के 43 बच्चों के सिर से मां-बाप का साया हटा दिया है. इनमें से अधिकतर बच्चे दो से 12 वर्ष की उम्र के बीच के हैं. अब इनके लिए भोजन का भी संकट है. ऐसे में प्रशासन इनकी मदद के लिए आगे आया है. फिलहाल प्रशासन कोरोना से जिले में अनाथ बच्चों की लिस्ट तैयार किया है. ताकि उनको मदद दिलाई जा सके.
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बच्चों को क्या मिलेगा
पलामू में समाज कल्याण विभाग ने ऐसे बच्चों की सूची तैयार की है, जो कोरोना काल में अनाथ हो गए और उनके पालन-पोषण में दिक्कत आ रही है. जिला समाज कल्याण पदाधिकारी नीता चौहान ने बताया कि अनाथ हुए बच्चों के लिए शासन ने पहल की है. बच्चों को हर महीने दो-दो हजार रुपये दिए जांएगे. वहीं ऐसे बच्चे जिनकी देखभाल करने वाला भी कोई नहीं होगा, उसे बाल गृह में रखा जाएगा. नीता चौहान ने बताया कि ऐसे सभी बच्चों का स्कूल में नामांकन करवाया जाना है. इसके लिए योजना शुरू की जा रही है.
कहां के हैं अनाथ बच्चे
समाज कल्याण विभाग की तैयार सूची में अनाथ बच्चे पलामू के नावाबाजार, चैनपुर, बिश्रामपुर, नौडिहाबाजर, मेदिनीनगर नगर निगम, पांकी, लेस्लीगंज, तरहसी, हुसैनाबाद के बच्चे रहने वाले हैं. अधिकतर की उम्र दो से 12 वर्ष के बीच की है. दमारो के अखिलेश कुमार ने बताया कि हुसैनाबाद का एक मासूम के माता-पिता कोविड 19 का शिकार हो गए हैं. मासूमों को अगर सहायता नही मिलती है तो वे भटकने के लिए मजबूर हो जाएंगे. वहीं समाजसेवी राहुल दुबे ने कहा कि पलामू में कोविड 19 के चलते अनाथ होने वाले बच्चों को मदद की जरूरत है. वे खुद मदद दिलवाने का प्रयास करेंगे पर उनके पुनर्वास के लिए प्रशासन को अधिक प्रयास करने की जरूरत है.
मां को तलाशती हैं मासूम आंखें
इन दिनों तमाम जगहों पर ऐसे बच्चे मिल जाएंगे जो घर की दहलीज पर कभी मां को तलाशते नजर आते हैं और कभी पिता को. पलामू के नावाबाजार प्रखण्ड के बसना पंचायत के दमारो गांव में 14 मई को दमारो की बसंती देवी नाम की महिला की कोविड 19 से मौत हो गई थी, बसंती दिव्यांग होते हुए अपने बच्चों रौनक और रौशन की देखभाल करती थी. इधर बसंती गढ़वा के नगर उंटारी के स्थित मायके गई थी और कोविड 19 का शिकार हो गई थी. अब बच्चे मां को तलाश रहे हैं.
केंद्र सरकार ने शुरू की है पीएम-केयर्स फॉर चिल्ड्रन
बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड-19 के कारण माता-पिता (दाेनाें) या अभिभावक को खोने वाले सभी बच्चों के लिए 'पीएम-केयर्स फॉर चिल्ड्रन' योजना(PM-Cares for Children) की शुरुआत की थी. योजना के तहत कोविड-19 के कारण अपने माता-पिता को खोने वाले बच्चों को 18 वर्ष की उम्र के बाद मासिक भत्ता (स्टाइपेंड) मिलेगा और 23 साल के होने पर पीएम केयर्स फंड से दस लाख रुपये की निधि मिलेगी. इसके तहत दी जाने वाली सुविधाओं में पांच साल के लिए भत्ता और 12 वीं कक्षा तक की निःशुल्क शिक्षा आदि शामिल हैं. पीएमओ के मुताबिक, अनाथ बच्चे को नजदीकी केंद्रीय विद्यालय या निजी स्कूल में डे स्कॉलर के तौर पर दाखिला दिया जाएगा और अगर बच्चे का दाखिला निजी स्कूल में होता है तो आरटीई के नियमों के मुताबिक फीस दी जाएगी. पीएम केयर्स स्कूल ड्रेस, पाठ्यपुस्तकों और नोटबुक पर खर्च का भुगतान भी करेगा. इसके अलावा अनाथ बच्चों को केंद्र सरकार के किसी भी आवासीय विद्यालय जैसे सैनिक स्कूल, नवोदय विद्यालय आदि में प्रवेश दिलाया जाएगा. केंद्र सरकार का कहना है कि अगर बच्चे को अभिभावक, दादा-दादी या विस्तारित परिवार की देखरेख में रखना है, तो उसे नजदीकी केंद्रीय विद्यालय या निजी स्कूल में डे स्कॉलर के रूप में प्रवेश दिया जाएगा. अगर बच्चे को एक निजी स्कूल में भर्ती कराया जाता है, तो आरटीई मानदंडों के अनुसार फीस पीएम केयर्स से मदद दी जाएगी. इसके अलावा इस योजना के तहत ऐसे बच्चों के लिए कई अन्य सुविधाएं भी बच्चों को दिलानी है.
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हजारीबाग में ये संभाल रही जिम्मेदारी
हजारीबाग में कोरोना से मां-बाप को खोने वाले बच्चों की जिम्मेदारी बाल कल्याण समिति को दी गई है. वहीं समिति ने इन बच्चों के आश्रय, भोजन, सुरक्षा की जिम्मेदारी स्नेहदीप होलीक्रॉस बनाहापा को दी है. यह संस्थान ऐसे बालक/बालिकाओं को सभी आवश्यक सुविधाएं मुहैया कराते हुए इनकी देखभाल करेगी. संस्था के निदेशक सिस्टर ब्रिटो को इसके लिए नामित किया गया है. निदेशक से 7250693250 पर संपर्क किया जा सकता है. वहीं अनाथ बच्चों की मदद के लिए टोल फ्री नंबर 1098 और 181 पर भी कॉल की जा सकती है.
नीति आयोग के सदस्य ने की थी जामताड़ा में बैठक
बीते दिनों नीति आयोग के स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य संजय मिश्रा ने जामताड़ा का दौरा किया था. इस दौरान मिश्रा ने अफसरों के साथ बैठक कर कोविड-19 के कारण अनाथ बच्चों की जानकारी ली थी. इस दौरान जामताड़ा में सिर्फ 4 अनाथ मिलने पर आंकड़े पर शक जताया था और सभी सूचना एकत्र कर इसकी सही-सही जानकारी जुटाने पर जोर दिया था.
यहां इतने अनाथ मिले(अब तक सामने आए)
जिला संख्या
पलामू 43
साहिबगंज 14
जामताड़ा 04
रांची 12 (शिशु प्रोजेक्ट के तहत ढूंढ़े गए)
झारखंड में यह व्यवस्था की गई
झारखंड में अनाथ हुए बच्चों के परिवार में कोई सदस्य उनकी देखभाल करने के लिए सहमत हैं, तो उन्हें देखभाल करने के बदले मासिक प्रोत्साहन सहायता दी जाएगी. इससे पहले बाल कल्याण समिति के सदस्य संबंधित घर का दौरा कर सर्वेक्षण करेंगे कि बच्चा उनके साथ सुरक्षित होगा या नहीं. अगर बच्चों के लिए कोई केयरटेकर उपलब्ध नहीं है, तो ऐसे मामलों में बच्चों को सरकार की ओर से चलाए जा रहे चिल्ड्रेन केयर होम ले जाया जाएगा. जहां उनकी हर तरह से देखभाल सुनिश्चित की जाएगी. इसके लिए सरकार की ओर से हेल्पलाइन नंबर भी जारी कराए गए हैं. हेल्पलाइन नंबर 181 पर ऐसे बच्चों के विषय में जानकारी दी जा सकती है.
अभिभावक खोने से देश के 30 हजार बच्चे प्रभावित
बीते दिनों नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स(NCPCR) ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक हलफनामे में बताया था कि कोरोना के चलते अभिभावक खोने से देश के तीस हजार बच्चे(अप्रैल 2020 से अब तक) प्रभावित हुए हैं. इसमें किसी ने बाप-बाप दोनों को खोया है तो किसी को छोड़ दिया गया है या किसी ने मां-बाप में से किसी एक को खो दिया है. NCPCR के आंकड़ों के मुताबिक 3261 बच्चे अनाथ हुए हैं, 26176 बच्चों ने किसी एक अभिभावक को खोया है तो 274 बच्चों को बेसहारा छोड़ दिया गया है.