पलामू: जब भी लोग किसी संस्थान के साथ जुड़ते हैं तो उस कंपनी के कई तहर के नियम और शर्तें भी होते हैं. लेकिन कई बार लोग बिना उन नियम और शर्तों को पढ़ें ही संस्थान से रिश्ता जोड़ लेते हैं. कम पढ़े लिखे लोग ऐसा करते हैं तो कोई बात नहीं लेकिन जब पढ़ें लिखे लोग ऐसा करें और बाद में विरोध करें तो क्या कहेंगे. कुछ ऐसा ही मामला है नीलांबर पीताबंर यूनिवर्सिटी के फाइनेंसियल एडवाइजर कैलाश राम का.
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पलामू के नीलाम्बर पीताम्बर यूनिवर्सिटी के फाइनेंसियल एडवाइजर कैलाश राम हर दिन साइकिल से करीब चार किलोमीटर का सफर तय कर कार्यालय आते-जाते हैं. उनका कहना है कि उन्हें गाड़ी नहीं मिलने के कारण वो नाराज है और इसलिए साइकिल से आते हैं.
कैलाश राम को राज्यपाल ने 2017 में तीन सालों के लिए यूनिवर्सिटी का फाइनेंसियल एडवाइजर बनाया था. लेकिन गाड़ी नहीं मिलने से नाराज कैलाश राम साइकिल से कार्यालय जाते है. इससे पहले कैलाश राम इलाहाबाद एजी कार्यालय में सीनियर डिप्टी अकॉउंटेंट के पद पर रह चुके हैं. वे सेना समेत केंद्र सरकार के कई विभागों का ऑडिट भी कर चुके हैं. यूनिवर्सिटी के तरफ से उन्हें कुछ दिनों पहले एक कार दी गई थी, लेकिन कैलाश राम का कहना है कि उन्हें पुरानी खराब गाड़ी की जगह नई गाड़ी ही चाहिए.
बता दें कि इससे पहले कैलाश राम इलाहाबाद एजी कार्यालय में सीनियर डिप्टी अकॉउंटेंट के पद पर रह चुके है. वे सेना समेत केंद्र सरकार के कई विभागों का ऑडिट भी कर चुके हैं. कैलाश राम ने बताया कि उनके साथ जो राजभवन ने जो अनुबंध किया है उसमें गाड़ी की सुविधा नही देने की बात कही गई है. उन्होंने बताया कि वे तक साइकिल से कार्यालय आते-जाते रहेंगे, जब तक उन्हें गाड़ी नहीं दी जाती है.
फाइनेंसियल एडवाइजर के इस नाराजगी को किसकी गलती कहे. विभाग अपनी जगह सही है कि उन्होंने नियम और शर्त के साथ उन्हें रखा. और कैलाश राम को अपने पद की गरिमा खाए जा रही है कि इतने बड़े पद पर होते हुए भी उन्हें गाड़ी नहीं मिली. वो चाहते है उन्हें नई गाड़ी मिले, पुरानी खटारा गाड़ी नहीं.