ETV Bharat / state

पलामू: नक्सल हिंसा से प्रभावित छत्तरपुर का बदल गया माहौल, SDPO शंभू कुमार सिंह के सफल रहे प्रयास - पलामू का छतरपुर

कभी अपने नक्सल के लिए मशहूर होने वाले पलामू के छत्तरपुर इलाके में अब शांति है. SDPO शंभू कुमार सिंह और उनकी टीम के प्रयासों से अब इलाके में नक्सल खत्म होने की कगार पर है.

palamu
SDPO शंभु कुमार सिंह
author img

By

Published : May 29, 2021, 2:14 PM IST

पलामू: झारखंड में पहले नक्सली कभी आम हुआ करते थे. नक्सली हमले से पूरा इलाका कांपता था. जिले का छत्तरपुर इलाका झारखंड की राजधानी रांची से करीब 250 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद है. यह इलाका नक्सल हिंसा के लिए कभी चर्चित था, लेकिन आज इलाके में शांति व्यवस्था कायम है.

बिहार के औरंगाबाद और गया से यह इलाका सटा हुआ है और माओवादियों के मध्यजोन की आर्थिक राजधानी थी. प्रतिवर्ष 50 से 60 नक्सल हिंसा के मामले में इस इलाके में दर्ज होते थे लेकिन 2017 के बाद से आधे दर्जन के करीब मामले ही दर्ज हुए हैं. ऐसा एक दिन में संभव नहीं हुआ है बल्कि पुलिस और सुरक्षाबलों को करीब चार वर्ष लगे है.

SDPO शंभु कुमार सिंह से खास बातचीत

छत्तरपुर अनुमंडल क्षेत्र में हुए बदलाव के वाहक बने है SDPO शंभू कुमार सिंह. वे छतरपुर में करीब 03 वर्ष 09 महीने तैनात रहे लेकिन अब शंभू कुमार सिंह का तबादला स्पेशल ब्रांच में हो गया है. वह और उनकी पूरी टीम ने नक्सल को खत्म करने में अहम भूमिका निभाई है.

ये भी पढ़े- पलामूः चैनपुर थाने में तैनात सिपाही के पति का मिला शव, पुलिस ने पोस्टमार्टम के लिए भेजा शव

कुख्यात माओवादी राकेश भुइयां के दस्ते का हुआ सफाया

एसडीपीओ शंभू कुमार सिंह के नेतृत्व में पलामू पुलिस और सुरक्षाबलों ने छतरपुर अनुमंडल के इलाके में सक्रिय कुख्यात माओवादी राकेश भुइया के दस्ते को 2018 में टारगेट कर 45 दिनों के अंदर सफाया कर दिया था. दो बार हुए मुठभेड़ में राकेश भुइयां समेत कई नक्सली मारे गए थे जबकि एक दर्जन के करीब गिरफ्तार हुए थे.

जबकि इसके कुछ ही महीने के बाद टीपीसी के दस्ते का भी सफाया हुआ. उसके तीन कमांडर मारे गए. शंभू कुमार की पहल पर ही 10 लाख के इनामी माओवादी ने आत्मसमर्पण किया था. पूरे कार्यकाल में दो दर्जन से अधिक माओवादी गिरफ्तार हुए, जबकि आधा दर्जन से अधिक बार मुठभेड़ हुए हैं.

शंभू कुमार सिंह को मिल चुका है PMG

छत्तरपुर में नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए एसडीपीओ शंभू कुमार सिंह को पुलिस मेडल ऑफ गैलंट्री भी मिल चुका है. ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए उन्होंने बताया कि छतरपुर अनुमंडल के इलाके में नक्सली बेहद कमजोर हो गए हैं. हालांकि अभी भी चुनौती बरकरार है. उन्होंने बताया कि नक्सलियों के खिलाफ इस लड़ाई में पिकेट का अहम योगदान रहा है. पिकेट के माध्यम से बिहार सीमा सील हुई है, जिस कारण नक्सली पलामू के इलाके में दाखिल होने से पहले सोचते हैं. उन्होंने बताया कि नक्सल संगठन खिलाफ इस लड़ाई में लोगों का भी बहुत साथ मिला है.

NH 98 को सुरक्षित रखना था चुनौती

एसडीपीओ शंभू कुमार सिंह बताते हैं कि 2017 के दौरान डालटनगंज से बिहार को जोड़ने वाले NH- 98 को सुरक्षित रखना बड़ी चुनौती थी. रात में पुलिस की सुरक्षा में ही गाड़ियां पार होती थीं लेकिन पुलिस ने एक टीम बनाकर कार्य करना शुरू किया और पूरे नेशनल हाईवे को सुरक्षित किया है.

उन्होंने बताया कि इलाके में सीआरपीएफ और पुलिस अधिकारी ने एक टीम बनाकर काम किया और सफलता मिली है. उन्होंने बताया कि छतरपुर के इलाके में सामाजिक अपराध एक बड़ी चुनौती है. अंधविश्वास के कारण कई अपराधिक घटनाएं हुईं. उन्होंने बताया कि मामले में कानून अपना कार्रवाई करती है, लेकिन इसके लिए जागरूकता की जरूरत है.

पलामू: झारखंड में पहले नक्सली कभी आम हुआ करते थे. नक्सली हमले से पूरा इलाका कांपता था. जिले का छत्तरपुर इलाका झारखंड की राजधानी रांची से करीब 250 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद है. यह इलाका नक्सल हिंसा के लिए कभी चर्चित था, लेकिन आज इलाके में शांति व्यवस्था कायम है.

बिहार के औरंगाबाद और गया से यह इलाका सटा हुआ है और माओवादियों के मध्यजोन की आर्थिक राजधानी थी. प्रतिवर्ष 50 से 60 नक्सल हिंसा के मामले में इस इलाके में दर्ज होते थे लेकिन 2017 के बाद से आधे दर्जन के करीब मामले ही दर्ज हुए हैं. ऐसा एक दिन में संभव नहीं हुआ है बल्कि पुलिस और सुरक्षाबलों को करीब चार वर्ष लगे है.

SDPO शंभु कुमार सिंह से खास बातचीत

छत्तरपुर अनुमंडल क्षेत्र में हुए बदलाव के वाहक बने है SDPO शंभू कुमार सिंह. वे छतरपुर में करीब 03 वर्ष 09 महीने तैनात रहे लेकिन अब शंभू कुमार सिंह का तबादला स्पेशल ब्रांच में हो गया है. वह और उनकी पूरी टीम ने नक्सल को खत्म करने में अहम भूमिका निभाई है.

ये भी पढ़े- पलामूः चैनपुर थाने में तैनात सिपाही के पति का मिला शव, पुलिस ने पोस्टमार्टम के लिए भेजा शव

कुख्यात माओवादी राकेश भुइयां के दस्ते का हुआ सफाया

एसडीपीओ शंभू कुमार सिंह के नेतृत्व में पलामू पुलिस और सुरक्षाबलों ने छतरपुर अनुमंडल के इलाके में सक्रिय कुख्यात माओवादी राकेश भुइया के दस्ते को 2018 में टारगेट कर 45 दिनों के अंदर सफाया कर दिया था. दो बार हुए मुठभेड़ में राकेश भुइयां समेत कई नक्सली मारे गए थे जबकि एक दर्जन के करीब गिरफ्तार हुए थे.

जबकि इसके कुछ ही महीने के बाद टीपीसी के दस्ते का भी सफाया हुआ. उसके तीन कमांडर मारे गए. शंभू कुमार की पहल पर ही 10 लाख के इनामी माओवादी ने आत्मसमर्पण किया था. पूरे कार्यकाल में दो दर्जन से अधिक माओवादी गिरफ्तार हुए, जबकि आधा दर्जन से अधिक बार मुठभेड़ हुए हैं.

शंभू कुमार सिंह को मिल चुका है PMG

छत्तरपुर में नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए एसडीपीओ शंभू कुमार सिंह को पुलिस मेडल ऑफ गैलंट्री भी मिल चुका है. ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए उन्होंने बताया कि छतरपुर अनुमंडल के इलाके में नक्सली बेहद कमजोर हो गए हैं. हालांकि अभी भी चुनौती बरकरार है. उन्होंने बताया कि नक्सलियों के खिलाफ इस लड़ाई में पिकेट का अहम योगदान रहा है. पिकेट के माध्यम से बिहार सीमा सील हुई है, जिस कारण नक्सली पलामू के इलाके में दाखिल होने से पहले सोचते हैं. उन्होंने बताया कि नक्सल संगठन खिलाफ इस लड़ाई में लोगों का भी बहुत साथ मिला है.

NH 98 को सुरक्षित रखना था चुनौती

एसडीपीओ शंभू कुमार सिंह बताते हैं कि 2017 के दौरान डालटनगंज से बिहार को जोड़ने वाले NH- 98 को सुरक्षित रखना बड़ी चुनौती थी. रात में पुलिस की सुरक्षा में ही गाड़ियां पार होती थीं लेकिन पुलिस ने एक टीम बनाकर कार्य करना शुरू किया और पूरे नेशनल हाईवे को सुरक्षित किया है.

उन्होंने बताया कि इलाके में सीआरपीएफ और पुलिस अधिकारी ने एक टीम बनाकर काम किया और सफलता मिली है. उन्होंने बताया कि छतरपुर के इलाके में सामाजिक अपराध एक बड़ी चुनौती है. अंधविश्वास के कारण कई अपराधिक घटनाएं हुईं. उन्होंने बताया कि मामले में कानून अपना कार्रवाई करती है, लेकिन इसके लिए जागरूकता की जरूरत है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.