पलामू: हाथी को देख कर उसकी प्रजाति और उम्र का आकलन किया जाएगा. इसके लिए वन कर्मियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है. वन कर्मियों को हाथियों के संबंध में जानकारी के साथ-साथ के यह भी बताया जा रहा है कि इलाके में ग्रास लैंड को कैसे बढ़ाना है और इसके संरक्षण के लिए क्या कदम उठाने की जरूरत है. नेशनल टाइगर कंजर्वेशन ऑथोरिटी की ओर से यह ट्रेनिंग दी जा रही है.
हाथी को देख कर उसकी उम्र और प्रजाति पहचान की दी गई जानकारीः एनटीसीए के सदस्य शैलेश प्रसाद के नेतृत्व एक टीम वन कर्मियों को ट्रेनिंग दे रही है. शैलेश प्रसाद उत्तर प्रदेश के रिटायर पीसीसीएफ हैं. नेशनल टाइगर कंजर्वेशन ऑथोरिटी पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में बाघों के प्रेबेस को बढ़ाने के लिए पहल कर रही है. इसी कड़ी में प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इसी प्रशिक्षण के दौरान वन्य कर्मियों को बताया जा रहा है कि हाथी को देख कर उसकी उम्र और प्रजाति का कैसे पता करें. जबकि वह नर है कि मादा यह कैसे पता करें.
पीटीआर में ग्रास लैंड बढ़ाने की हो रही कवायदः टीम में शामिल विशेषज्ञों ने बताया कि हाथी के कान और शरीर के अन्य अंग को देख कई तरह की जानकारी इकट्ठा कर सकते हैं. पलामू टाइगर रिजर्व के निदेशक कुमार आशुतोष ने बताया कि वन कर्मियों को ट्रेनिंग दी जा रही है, ताकि पीटीआर के इलाके में ग्रास लैंड बढ़ाया जा सके और बाघ के लिए प्रेबेस तैयार किया जा सके. पलामू टाइगर रिजर्व और उसके आसपास के इलाके में अक्सर हाथी और उससे जुड़ी हिंसा की खबर निकल कर सामने आती है. टीम में शामिल विशेषज्ञ हाथियों की मॉनिटरिंग और उसके हमलावर रुख को लेकर कर्मियों को जानकारी दे रहे हैं.
100 से अधिक वन कर्मी हैं ट्रेनिंग में शामिलः नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी पीटीआर के 100 से अधिक कर्मियों को या ट्रेनिंग दे रही है. दरअसल, टाइगर रिजर्व के इलाके में मानक के अनुसार ग्रास लैंड नहीं हैं. पलामू टाइगर रिजर्व करीब 1129 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. मानक के अनुसार करीब 12 प्रतिशत इलाके में ग्रास लैंड होना चाहिए, लेकिन पीटीआर के इलाके में मात्र दो प्रतिशत ही ग्रास लैंड हैं.