ETV Bharat / state

नायब बृजेश शुक्ला ने कारगिल युद्ध में निभाई थी अहम भूमिका, युद्ध में शामिल जवानों को दिया था लॉजिस्टिक सपोर्ट - कारगिल युद्ध की कहानी

26 जुलाई को पूरा देश कारगिल की लड़ाई को लेकर गौरवशाली मसहूस करता है. इस लड़ाई को कैसे हमारे देश ने जीता है यह पलामू के एक वीर नायब बृजेश शुक्ला की जुबानी जानिए.

नायब बृजेश शुक्ला ने कारगिल युद्ध में निभाई थी अहम भूमिका
Naib Brijesh Shukla played important role in Kargil war
author img

By

Published : Jul 25, 2020, 7:33 PM IST

पलामू: 26 जुलाई को पूरा देश कारगिल की लड़ाई को लेकर गौरवशाली मसहूस करता है. इस दिन को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है. पलामू में कारगिल के कई ऐसे वीर हैं, जिन्होंने लड़ाई में अहम भूमिका निभाई थी. कुछ वीर सीधे लड़ाई में शामिल थे तो कुछ वीरों ने अप्रत्यक्ष रूप से भूमिका निभाई थी.

नायब बृजेश शुक्ला का बयान

कारगिल की लड़ाई नहीं थी आसान

पलामू के ऐसे ही एक वीर हैं नायब बृजेश शुक्ला, जो कारगिल की लड़ाई के दौरान राजस्थान में तैनात थे. वो 54 इंफैट्री डिवीजन में तैनात थे. यह डिवीजन कारगिल लड़ाई में तैनात जवानों को लॉजिस्टिक सपोर्ट देता था, जबकि राजस्थान सीमा पर दुश्मनों के संभावित हमले को लेकर तैनात था. ईटीवी भारत की टीम ने बृजेश शुक्ला से खास बातचीत की तो उन्होंन बताया कि कारगिल की लड़ाई आसान नहीं थी. जवानों को लॉजिस्टिक सपोर्ट पंहुचाना जरूरी था. एक तरफ राजस्थान सीमा और दूसरी तरफ कागरिल के जवानों को मदद पंहुचानी थी. कारगिल की लड़ाई के दौरान आशंका थी कि दुश्मन राजस्थान सीमा पर हमला कर सकता था, इसलिए वो पूरे अलर्ट पर थे.

ये भी पढ़ें-कोरोना संक्रमण से जुड़ीं देशभर की अहम खबरें

हौलसा और पराक्रम से जीता गया है कारगिल युद्ध

बृजेश शुक्ला बताते हैं कि इस युद्ध में सबसे बड़ी मुश्किल ये थी कि दुश्मन ऊंचाई पर था और हमारी हर मूवमेंट पर उसकी नजर रहती थी. उन्होंने बताया कि इसके बाद भी कारगिल की लड़ाई को जवानों ने हौलसा, पराक्रम और साहस के बल पर जीता है. इस विजय दिवस को याद कर देश के लोग गौरवशाली महसूस करते हैं. वे मूल रूप से पलामू के पाटन प्रखंड के पाल्हे खुर्द के रहने वाले हैं और 1996 में सेना में भर्ती हुए थे, जबकि 2013 में रिटायर हुए थे. सेना में तैनाती के दौरान उन्हें आधा दर्जन मेडल भी मिले हैं. कारगिल युद्ध के लिए उन्हें विजय मेडल भी मिली है.

पलामू: 26 जुलाई को पूरा देश कारगिल की लड़ाई को लेकर गौरवशाली मसहूस करता है. इस दिन को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है. पलामू में कारगिल के कई ऐसे वीर हैं, जिन्होंने लड़ाई में अहम भूमिका निभाई थी. कुछ वीर सीधे लड़ाई में शामिल थे तो कुछ वीरों ने अप्रत्यक्ष रूप से भूमिका निभाई थी.

नायब बृजेश शुक्ला का बयान

कारगिल की लड़ाई नहीं थी आसान

पलामू के ऐसे ही एक वीर हैं नायब बृजेश शुक्ला, जो कारगिल की लड़ाई के दौरान राजस्थान में तैनात थे. वो 54 इंफैट्री डिवीजन में तैनात थे. यह डिवीजन कारगिल लड़ाई में तैनात जवानों को लॉजिस्टिक सपोर्ट देता था, जबकि राजस्थान सीमा पर दुश्मनों के संभावित हमले को लेकर तैनात था. ईटीवी भारत की टीम ने बृजेश शुक्ला से खास बातचीत की तो उन्होंन बताया कि कारगिल की लड़ाई आसान नहीं थी. जवानों को लॉजिस्टिक सपोर्ट पंहुचाना जरूरी था. एक तरफ राजस्थान सीमा और दूसरी तरफ कागरिल के जवानों को मदद पंहुचानी थी. कारगिल की लड़ाई के दौरान आशंका थी कि दुश्मन राजस्थान सीमा पर हमला कर सकता था, इसलिए वो पूरे अलर्ट पर थे.

ये भी पढ़ें-कोरोना संक्रमण से जुड़ीं देशभर की अहम खबरें

हौलसा और पराक्रम से जीता गया है कारगिल युद्ध

बृजेश शुक्ला बताते हैं कि इस युद्ध में सबसे बड़ी मुश्किल ये थी कि दुश्मन ऊंचाई पर था और हमारी हर मूवमेंट पर उसकी नजर रहती थी. उन्होंने बताया कि इसके बाद भी कारगिल की लड़ाई को जवानों ने हौलसा, पराक्रम और साहस के बल पर जीता है. इस विजय दिवस को याद कर देश के लोग गौरवशाली महसूस करते हैं. वे मूल रूप से पलामू के पाटन प्रखंड के पाल्हे खुर्द के रहने वाले हैं और 1996 में सेना में भर्ती हुए थे, जबकि 2013 में रिटायर हुए थे. सेना में तैनाती के दौरान उन्हें आधा दर्जन मेडल भी मिले हैं. कारगिल युद्ध के लिए उन्हें विजय मेडल भी मिली है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.