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पलामू टाइगर रिजर्व से गायब हुई बाघिन! 51 दिनों बाद भी नहीं मिला सुराग - पलामू टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या

पलामू टाइगर रिजर्व(Palamu Tiger Reserve) से गायब हुई बाघिन का 51 दिन बाद भी कुछ पता नहीं लग पाया है. हालांकि टाइगर रिजर्व के अधिकारी ये मान रहे हैं कि बाघिन अभी जिंदा है और पलामू और लोहरदगा सीमा पर जो जानवरों के शिकार हो रहे हैं ये उसका सबूत है. लेकिन फिर भी विभाग को बाघिन के होने के पुख्ता सबूत चाहिए.

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पलामू टाइगर रिजर्व
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Published : Jul 16, 2021, 9:12 PM IST

पलामू: पलामू टाइगर रिजर्व(Palamu Tiger Reserve) (पीटीआर) और लोहरदगा सीमा पर जानवर का शिकार करने के बाद बाघिन कहां गई यह सवाल अभी भी बना हुआ है. पिछले 51 दिनों के अंदर बागे ने पीटीआर और लोहरदगा सीमा पर दो बार मवेशियों को अपना शिकार बनाया है. हालांकि, जिस इलाके में शिकार हुए हैं वह लोहरदगा का इलाका है. पलामू टाइगर रिजर्व के अधिकारी कई बार लोहरदगा के पाखर के इलाके का दौरा कर चुके हैं, लेकिन बाघिन का कोई सुराग नहीं मिल पा रहा है. बाघिन को खोजने में करने के लिए उच्च क्षमता वाले कैमरे भी लगाए गए थे लेकिन एक भी कैमरे में बाघिन कैद नहीं हो पाई.

ये भी पढ़ें: पलामू टाइगर रिजर्व में मार्च 2020 के बाद से नहीं दिखे बाघ, जानिए अब चलता है किसका राज


विभाग को चाहिए ठोस सबूत
लोहरदगा जिला के मवेशियों के शिकार और गतिविधि बाघिन होने का सबूत दे रहे हैं. पीटीआर की माने तो पंजों के निशान बाघिन के होने के सबूत हैं. पलामू टाइगर रिजर्व के निदेशक कुमार आशुतोष बताते हैं कि विभाग को बाघिन में होने का ठोस सबूत चाहिए, बाघिन या तो कैमरा ट्रैप हो या उसके स्कैट के डीएनए जांच से पुष्टि हो. बाघिन का स्कैट अभी तक नहीं मिल पाया है.


इलाके में बाघिन की खोज जारी, नए सिरे से लगाए जा रहे कैमरे
पलामू टाइगर रिजर्व (Palamu Tiger Reserve) लोहरदगा सीमा पर बाघिन की खोज जारी है. नए सिरे से ट्रैपिंग कैमरे लगाए जा रहे हैं. पलामू टाइगर रिजर्व में 2018 की गणना में एक भी बाघ नहीं दिखाया गया था, लेकिन फरवरी 2020 में एक बाघिन का शव बेतला नेशनल पार्क इलाके में बरामद हुआ था. पीटीआर के अधिकारियों के अनुसार पलामू टाइगर रिजर्व इलाके में तीन से चार बाघ हो सकते हैं.

पलामू: पलामू टाइगर रिजर्व(Palamu Tiger Reserve) (पीटीआर) और लोहरदगा सीमा पर जानवर का शिकार करने के बाद बाघिन कहां गई यह सवाल अभी भी बना हुआ है. पिछले 51 दिनों के अंदर बागे ने पीटीआर और लोहरदगा सीमा पर दो बार मवेशियों को अपना शिकार बनाया है. हालांकि, जिस इलाके में शिकार हुए हैं वह लोहरदगा का इलाका है. पलामू टाइगर रिजर्व के अधिकारी कई बार लोहरदगा के पाखर के इलाके का दौरा कर चुके हैं, लेकिन बाघिन का कोई सुराग नहीं मिल पा रहा है. बाघिन को खोजने में करने के लिए उच्च क्षमता वाले कैमरे भी लगाए गए थे लेकिन एक भी कैमरे में बाघिन कैद नहीं हो पाई.

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विभाग को चाहिए ठोस सबूत
लोहरदगा जिला के मवेशियों के शिकार और गतिविधि बाघिन होने का सबूत दे रहे हैं. पीटीआर की माने तो पंजों के निशान बाघिन के होने के सबूत हैं. पलामू टाइगर रिजर्व के निदेशक कुमार आशुतोष बताते हैं कि विभाग को बाघिन में होने का ठोस सबूत चाहिए, बाघिन या तो कैमरा ट्रैप हो या उसके स्कैट के डीएनए जांच से पुष्टि हो. बाघिन का स्कैट अभी तक नहीं मिल पाया है.


इलाके में बाघिन की खोज जारी, नए सिरे से लगाए जा रहे कैमरे
पलामू टाइगर रिजर्व (Palamu Tiger Reserve) लोहरदगा सीमा पर बाघिन की खोज जारी है. नए सिरे से ट्रैपिंग कैमरे लगाए जा रहे हैं. पलामू टाइगर रिजर्व में 2018 की गणना में एक भी बाघ नहीं दिखाया गया था, लेकिन फरवरी 2020 में एक बाघिन का शव बेतला नेशनल पार्क इलाके में बरामद हुआ था. पीटीआर के अधिकारियों के अनुसार पलामू टाइगर रिजर्व इलाके में तीन से चार बाघ हो सकते हैं.

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