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खास महाल जमीन का लीज नवीकरण चार दशकों से लंबित, 12 जिलों में 4393 एकड़ है भूमि - PALAMU NEWS

झारखंड के 12 जिलों के शहरी इलाकों में खास महाल जमीन के लीज नवीकरण कार्य चार दशकों से लंबित है (Khasmahal Land Lease Renewal Work Pending). गौरतलब है कि पलामू में सबसे अधिक खास महाल जमीन के 1895 लोग लीज धारक हैं.

Lease renewal work of Khas mahal land pending
Lease renewal work of Khas mahal land pending
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Published : Nov 17, 2022, 1:03 PM IST

Updated : Nov 17, 2022, 2:19 PM IST

पलामू: झारखंड के 12 जिलों में 4393 एकड़ खास महाल जमीन का लीज नवीकरण का मामला करीब चार दशकों से लंबित है (Khas mahal Land Lease Renewal Work Pending). खास महाल जमीन झारखंड के 12 जिलों के शहरी इलाकों में मौजूद है. झारखंड में निकाय चुनाव की तैयारी चल रही है. इन सबके बीच खास महाल जमीन के लीज नवीकरण का मामला एक बार फिर से निकल कर सामने आया है.

यह भी पढ़ें: खासमहाल जमीन को रैयती जमीन घोषित करने की मांग, सीएम से मिला एक शिष्टमंडल

चार दशकों से लंबित है मामला: पलामू में सबसे अधिक खासमहाल जमीन के 1895 लोग लीज धारक हैं. जिनके लीज का नवीकरण करीब चार दशकों से लंबित. हाल ही में खासमहाल जमीन की लीज नवीकरण के दर को बढ़ा दिया गया है. पूरे मामले में पलामू से राज्य स्तर के आंदोलन की तैयारी शुरू हो गई है. राज्य के तत्कालीन मंत्री केएन त्रिपाठी की पहल पर 2013-14 खास महाल जमीन को फ्री होल्ड करने की प्रक्रिया शुरू की गई थी. पूरे मामले को लेकर पूर्व मंत्री केएन त्रिपाठी आंदोलन करने की तैयारी कर रहे हैं. पूर्व मंत्री त्रिपाठी ने कहा कि मामले में बड़े आंदोलन की जरूरत है. वे राजस्व सचिव के साथ-साथ सीएम से भी मुलाकात करेंगे. केएन त्रिपाठी ने कहा कि हेमंत सरकार ने बड़े बड़े फैसले लिए हैं. उनका प्रयास है कि खास महाल जमीन को फ्री होल्ड किया जाए.

देखें वीडियो
व्यवसायी हो रहे परेशान: खास महाल जमीन का लीज नवीकरण नहीं होने के कारण व्यवसायी और लीज धारक परेशान हो रहे हैं. पलामू के व्यवसायी श्रवण गुप्ता ने बताया कि खास महाल का नवीकरण नहीं होना, जमींदारी प्रथा को बताता है. खास महाल जमीन के लीज नवीकरण के मामले को लेकर वे हाई कोर्ट भी गए थे. लेकिन उस पर कोई सुनवाई नहीं हुई है. पलामू में 1895 लोग खासमहाल जमीन के लीज धारक हैं. क्या है खास महाल की जमीन: खास महाल जमीन सरकारी जमीन होती है, जिसे सरकार के द्वारा लोगों को निश्चित समय के लिए लीज पर दिया जाता है. अंग्रेजों के शासनकाल में जमीन की लीज दी गई थी. 80 के दशक में ही जमीन की लीज पूरी हो गई है और तब से ही लीज नवीकरण का मामला लंबित है. मामले में सरकार ने कई स्तर पर फैसले लिए हैं. कई लीज धारकों ने अपनी जमीन को दूसरों को निबंधित कर दिया है. सरकार ने अवैध मानते हुए ट्रेसपासिंग की संज्ञा दी है. लीज नवीकरण के लिए तीन अलग-अलग मापदंड निर्धारित किए गए हैं. व्यवसायी इलाके के लिए लीज नवीकरण की दर प्रति डिसमिल 11 लाख रुपय निर्धारित की गई है. जबकि सुदूरवर्ती और रोड से दूरस्थ इलाकों में लीज नवीकरण की दर तीन लाख रुपए प्रति डिसमिल निर्धारित किया गया हैं.

पलामू: झारखंड के 12 जिलों में 4393 एकड़ खास महाल जमीन का लीज नवीकरण का मामला करीब चार दशकों से लंबित है (Khas mahal Land Lease Renewal Work Pending). खास महाल जमीन झारखंड के 12 जिलों के शहरी इलाकों में मौजूद है. झारखंड में निकाय चुनाव की तैयारी चल रही है. इन सबके बीच खास महाल जमीन के लीज नवीकरण का मामला एक बार फिर से निकल कर सामने आया है.

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चार दशकों से लंबित है मामला: पलामू में सबसे अधिक खासमहाल जमीन के 1895 लोग लीज धारक हैं. जिनके लीज का नवीकरण करीब चार दशकों से लंबित. हाल ही में खासमहाल जमीन की लीज नवीकरण के दर को बढ़ा दिया गया है. पूरे मामले में पलामू से राज्य स्तर के आंदोलन की तैयारी शुरू हो गई है. राज्य के तत्कालीन मंत्री केएन त्रिपाठी की पहल पर 2013-14 खास महाल जमीन को फ्री होल्ड करने की प्रक्रिया शुरू की गई थी. पूरे मामले को लेकर पूर्व मंत्री केएन त्रिपाठी आंदोलन करने की तैयारी कर रहे हैं. पूर्व मंत्री त्रिपाठी ने कहा कि मामले में बड़े आंदोलन की जरूरत है. वे राजस्व सचिव के साथ-साथ सीएम से भी मुलाकात करेंगे. केएन त्रिपाठी ने कहा कि हेमंत सरकार ने बड़े बड़े फैसले लिए हैं. उनका प्रयास है कि खास महाल जमीन को फ्री होल्ड किया जाए.

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व्यवसायी हो रहे परेशान: खास महाल जमीन का लीज नवीकरण नहीं होने के कारण व्यवसायी और लीज धारक परेशान हो रहे हैं. पलामू के व्यवसायी श्रवण गुप्ता ने बताया कि खास महाल का नवीकरण नहीं होना, जमींदारी प्रथा को बताता है. खास महाल जमीन के लीज नवीकरण के मामले को लेकर वे हाई कोर्ट भी गए थे. लेकिन उस पर कोई सुनवाई नहीं हुई है. पलामू में 1895 लोग खासमहाल जमीन के लीज धारक हैं. क्या है खास महाल की जमीन: खास महाल जमीन सरकारी जमीन होती है, जिसे सरकार के द्वारा लोगों को निश्चित समय के लिए लीज पर दिया जाता है. अंग्रेजों के शासनकाल में जमीन की लीज दी गई थी. 80 के दशक में ही जमीन की लीज पूरी हो गई है और तब से ही लीज नवीकरण का मामला लंबित है. मामले में सरकार ने कई स्तर पर फैसले लिए हैं. कई लीज धारकों ने अपनी जमीन को दूसरों को निबंधित कर दिया है. सरकार ने अवैध मानते हुए ट्रेसपासिंग की संज्ञा दी है. लीज नवीकरण के लिए तीन अलग-अलग मापदंड निर्धारित किए गए हैं. व्यवसायी इलाके के लिए लीज नवीकरण की दर प्रति डिसमिल 11 लाख रुपय निर्धारित की गई है. जबकि सुदूरवर्ती और रोड से दूरस्थ इलाकों में लीज नवीकरण की दर तीन लाख रुपए प्रति डिसमिल निर्धारित किया गया हैं.
Last Updated : Nov 17, 2022, 2:19 PM IST
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