पलामूः लातेहार के गारु में तीन दिसंबर 2011 को एक नक्सल हमला हुआ था. इस हमले में पुलिस के 11 जवान शहीद हुए थे. इस हमले में शहीद हुए सभी जवान झारखंड के पहले विधानसभा अध्यक्ष सह चतरा के तत्कालीन सांसद इंदर सिंह नामधारी की सुरक्षा में तैनात थे. इस घटना के करीब 12 वर्षों के बाद झारखंड के पहले विधानसभा अध्यक्ष इंदर सिंह नामधारी ने एक किताब लिखी और इसे लोगों के बीच साझा किया है. इंदर सिंह नामधारी ने लोगों को बताया है कि हमले से पहले किस तरह निर्मल बाबा ने भविष्यवाणी की थी. इंदर सिंह नामधारी ने अपनी किताब का नाम दिया है एक सिख नेता की दास्तान. कुछ दिनों पहले जमशेदपुर में किताब का विमोचन किया गया था, जबकि रविवार को पलामू में किताब का विमोचन किया गया है. एक सिख नेता की दास्तान किताब में इंदर सिंह नामधारी ने 2011 में हुए नक्सल हमले का जिक्र करीब 10 पेज में किया है. इस दौरान इंदर सिंह नामधारी ने उठे कई सवालों के बारे में लिखा है और बताया है कि उस दौरान क्या हुआ था.
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निर्मल बाबा ने की थी भविष्यवाणी, बुलेटप्रूफ गाड़ी में चलने की दी थी सलाहः झारखंड के पहले विधानसभा अध्यक्ष इंदर सिंह नामधारी लिखते हैं कि 2011 में एक शाम में पार्लियामेंट से लौटकर घर पहुंचे थे. इस दौरान उनकी पत्नी और पत्नी का छोटा भाई निर्मल बाबा गंभीर मुद्रा में बैठे हुए थे. घर पहुंचने पर पत्नी ने उन्हें पास बुलाया और कहा कि निर्मल काफी चिंतित है. कारण पूछे जाने पर पत्नी ने कहा कि जीजा जी पर कोई बड़ा हमला होने वाला है, इसलिए उन्हें बुलेटप्रूफ गाड़ी में चलना चाहिए. इंदर सिंह नामधारी लिखते हैं कि इस दौरान उन्होंने गुरु वाणी का सारांश समझाया और कहा कि बुलेटप्रूफ गाड़ी बनाने पर वह लाखों खर्च नहीं कर सकते हैं. वह साधारण निर्दलीय सांसद हैं. इस पर निर्मल बाबा ने खुद के खर्च पर बुलेटप्रूफ गाड़ी बनवाने की भी बात कही थी, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया था.
तीन दिसंबर को हुआ था नक्सल हमलाः इंदर सिंह नामधारी लिखते हैं कि निर्मल बाबा की भविष्यवाणी के ठीक एक महीने बाद तीन दिसंबर 2011 को वह लातेहार में सेंट जेवियर कॉलेज शाखा का उद्घाटन कर वापस लौट रहे थे. वह दोपहर 3:00 बजे डालटनगंज के लिए निकले थे. महुआडांड से बारेसाढ़ महुआडांड़ पुलिस को स्कॉर्ट करना था, जबकि बारेसाढ़ से बेतला तक गारु थाना को स्कॉर्ट करना था. गारु से बारेसाढ़ की दूरी 25 किलोमीटर है. बारेसाढ़ में गारु पुलिस नहीं पहुंची थी. इंदर सिंह नामधारी अपनी किताब में लिखते हैं कि गारू थाना से ठीक एक किलोमीटर दूर पुलिस इंतजार कर रही थी, पुलिस का बुलेट प्रूफवाहन जर्जर हालत में था. उन्होंने अपनी गाड़ी को रोकी और पुलिस टीम से कहा था कि थोड़ी देर में वे बेतला नेशनल पार्क पहुंच जाएंगे, वहां से डालटनगंज अधिक दूर नहीं है. पुलिस गाड़ी जर्जर स्थिति में है, इसलिए मेरी गाड़ी की रफ्तार नहीं पकड़ पाएगी. इसलिए सभी जवान थाना लौट जाएं. इतना बोलने के बाद वे तेज रफ्तार से डालटनगंज की तरफ निकल गए थे. कुछ दूर का सफर तय करने के बाद एक जोरदार धमाके की आवाज सुनाई दी. वे आगे बढ़कर लाभर नाका पर पहुंचे और एक सीआरपीएफ जवान से कहा कि पता कीजिए कुछ समय पहले एक बड़ा धमाके की आवाज सुनाई दी है.
घटना के बाद प्रधानमंत्री का आया था फोन, लगे थे कई आरोपः इंदर सिंह नामधारी ने अपनी किताब में लिखा है कि बेतला नेशनल पार्क जैसे ही पहुंचे तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का उन्हें कॉल आया था और उन्होंने उनकी खैरियत पूछी. फोन कॉल के बाद उन्हें पता चला कि लैंडमाइन के माध्यम से उन्हें उड़ाने की कोशिश की गई है. इंदर सिंह नामधारी लिखते हैं कि घटना के बाद वे सिहर उठे थे और मानसिक तनाव के दौर से गुजर रहे थे. उन्होंने लिखा है कि झारखंड के तत्कालीन डीजीपी जीएस रथ ने उन पर महुआडांड़ से देर से चलने का आरोप लगाया था. उस दौरान एक टीवी चैनल पर उन्हें बहस के लिए भी बुलाया गया था, लेकिन कार्यक्रम से दो घंटे पूर्व उन्हें सूचित किया गया कि डीजीपी कार्यक्रम में नहीं आएंगे. इंदर सिंह नामधारी 2011 की इस घटना पर लिखते हैं कि विज्ञान के विद्यार्थी होने के बावजूद अलौकिक शक्तियों पर सोचने पर मजबूर हो गए थे. घटना के बाद वह दिल्ली लौटे थे और निर्मल बाबा वहां पहुंचे थे. निर्मल बाबा ने कहा था कि पहले ही आने वाली संकट की चेतावनी दी थी.