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आज लोकसभा में पेश किया गया बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक 2024, जानें आपको क्या होगा फायदा

आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक 2024 को लोकसभा में चालू शीतकालीन सत्र में पेश किया.

Finance Minister Nirmala Sitharaman
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (IANS Photo)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : 18 hours ago

नई दिल्ली: आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक 2024 को लोकसभा में पेश किया. संसद में हंगामे के कारण इस प्रमुख विधेयक को पेश करने में देरी हो रही थी. हालांकि आज इस बिल को चालू शीतकालीन सत्र में पेश किया गया.

वित्तीय क्षेत्र में लगातार सुधार और टेक्नोलॉजी के इनोवेटिव यूज के साथ भारत में वित्तीय बाजार मजबूत हुए हैं. बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक 2024 के साथ सरकार बैंकिंग क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए स्थिति का लाभ उठाना चाहती है. इस साल की शुरुआत में केंद्रीय बजट 2023-24 में वित्तीय क्षेत्र को और मजबूत करने का प्रस्ताव रखा गया था.

बिल क्यों पेश किया गया?
बैंकिंग क्षेत्र में सुधार के लिए सरकार बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक 2024 लेकर आई, जिसका उद्देश्य बैंकिंग क्षेत्र के नियामक ढांचे को आधुनिक बनाने और बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण बैंकिंग कानूनों में संशोधन करना है.

विधेयक में किन कानूनों में संशोधन किया जाना है?

  • भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934
  • बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949
  • भारतीय स्टेट बैंक अधिनियम, 1955
  • बैंकिंग कंपनियां (एक्विजिशन एंड ट्रांसफर ऑफ अंडरटेकिंग) अधिनियम, 1970
  • बैंकिंग कंपनियां (एक्विजिशन एंड ट्रांसफर ऑफ अंडरटेकिंग) अधिनियम, 1980

इस विधेयक की मुख्य बातें

  • बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 में प्रति बैंक खाते में नॉमिनी के लिए मौजूदा एक विकल्प को बढ़ाकर चार करने का भी प्रस्ताव है.
  • इस बिल में अनक्लेम्ड एसेट जिसमें डिविडेंड, शेयर और बांड के ब्याज या रिडिप्सन इनकम को इन्वेस्टर एजुकेशन एंड प्रोटेक्शन फंड (IEPF) में ट्रांसफर करने की सुविधा है.
  • व्यक्तियों को IEPF से ट्रांसफर या रिफंड का दावा करने की अनुमति होगी, जिससे निवेशकों के हितों की बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित होगी.
  • व्यक्तियों के लिए पर्याप्त ब्याज की परिभाषा को संशोधित किया जाएगा, सीमा को 5 लाख रुपये (1968 में निर्धारित) से बढ़ाकर 2 करोड़ रुपये किया जाएगा.
  • इस विधेयक में बैंकों द्वारा RBI को वैधानिक प्रस्तुतियों के लिए रिपोर्टिंग डेट में बदलाव का प्रस्ताव है. रिपोर्ट अब पखवाड़े, महीने या तिमाही के आखिरी दिन जमा करनी होगी, जो कि मौजूदा शुक्रवार की समयसीमा को बदल देगा.
  • संशोधन सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को ऑडिटर के पारिश्रमिक को तय करने की ऑटोमॉनी देगा. इस लचीलेपन से बैंकों को शीर्ष प्रतिभाओं को नियुक्त करने में सक्षम बनाकर ऑडिट की गुणवत्ता में सुधार होने की उम्मीद है.

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वित्तीय क्षेत्र में लगातार सुधार और टेक्नोलॉजी के इनोवेटिव यूज के साथ भारत में वित्तीय बाजार मजबूत हुए हैं. बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक 2024 के साथ सरकार बैंकिंग क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए स्थिति का लाभ उठाना चाहती है. इस साल की शुरुआत में केंद्रीय बजट 2023-24 में वित्तीय क्षेत्र को और मजबूत करने का प्रस्ताव रखा गया था.

बिल क्यों पेश किया गया?
बैंकिंग क्षेत्र में सुधार के लिए सरकार बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक 2024 लेकर आई, जिसका उद्देश्य बैंकिंग क्षेत्र के नियामक ढांचे को आधुनिक बनाने और बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण बैंकिंग कानूनों में संशोधन करना है.

विधेयक में किन कानूनों में संशोधन किया जाना है?

  • भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934
  • बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949
  • भारतीय स्टेट बैंक अधिनियम, 1955
  • बैंकिंग कंपनियां (एक्विजिशन एंड ट्रांसफर ऑफ अंडरटेकिंग) अधिनियम, 1970
  • बैंकिंग कंपनियां (एक्विजिशन एंड ट्रांसफर ऑफ अंडरटेकिंग) अधिनियम, 1980

इस विधेयक की मुख्य बातें

  • बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 में प्रति बैंक खाते में नॉमिनी के लिए मौजूदा एक विकल्प को बढ़ाकर चार करने का भी प्रस्ताव है.
  • इस बिल में अनक्लेम्ड एसेट जिसमें डिविडेंड, शेयर और बांड के ब्याज या रिडिप्सन इनकम को इन्वेस्टर एजुकेशन एंड प्रोटेक्शन फंड (IEPF) में ट्रांसफर करने की सुविधा है.
  • व्यक्तियों को IEPF से ट्रांसफर या रिफंड का दावा करने की अनुमति होगी, जिससे निवेशकों के हितों की बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित होगी.
  • व्यक्तियों के लिए पर्याप्त ब्याज की परिभाषा को संशोधित किया जाएगा, सीमा को 5 लाख रुपये (1968 में निर्धारित) से बढ़ाकर 2 करोड़ रुपये किया जाएगा.
  • इस विधेयक में बैंकों द्वारा RBI को वैधानिक प्रस्तुतियों के लिए रिपोर्टिंग डेट में बदलाव का प्रस्ताव है. रिपोर्ट अब पखवाड़े, महीने या तिमाही के आखिरी दिन जमा करनी होगी, जो कि मौजूदा शुक्रवार की समयसीमा को बदल देगा.
  • संशोधन सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को ऑडिटर के पारिश्रमिक को तय करने की ऑटोमॉनी देगा. इस लचीलेपन से बैंकों को शीर्ष प्रतिभाओं को नियुक्त करने में सक्षम बनाकर ऑडिट की गुणवत्ता में सुधार होने की उम्मीद है.

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