पलामूः पलामू टाइगर रिजर्व की पहल रंग लाई है. जिसकी वजह से बेतला नेशनल पार्क में गर्मियों के दौरान पहली बार हाथियों का झुंड रुका है. टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने इस बार गर्मियों के दिनों के लिए खास तैयारी की थी ताकि जंगली जीवों को प्यास के लिए भटकना नहीं पड़े.
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रंग लाई पीटीआर की पहल
गर्मी से पहले सभी जल स्रोतों की सफाई की गई थी और हाथियों के पसंद के भोजन बांस के पेड़ की सफाई की गई थी. पलामू टाइगर रिजर्व में जनवरी के महीने में 10 दिनों के अंदर दो हाथियों की मौत हो गई थी. एक पालतू हाथी को जंगली जानवरों ने मारा था, जबकि एक हथनी कि स्वाभाविक मौत हुई थी. इस मौतों के बाद अलर्ट जारी किया गया था और हाथियों को संरक्षण करने की नए सिरे से पहल शुरू की गई.
पलामू टाइगर रिजर्व 1026 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. साल 2017 में हाथियों की गणना हुई थी. जिसमे पीटीआर के इलाके 182 हाथी थे, जिसमें 40 कोर एरिया, जबकि 140 हाथी बफर जोन में थे. दिसंबर 2020 में पीटीआर में हाथियों की संख्या 220 के करीब पाई गई. पीटीआर के बेतला नेशनल पार्क के इलाके में हाथियो का बड़ा झुंड है.
बेतला इलाके में लगातार देखे जा रहे हाथी, प्यास बुझाने पहुंच रहे हाथी
बेतला नेशनल पार्क इलाके में लगातार हाथियों का झुंड देखा जा रहा है. ट्रैकर और वन्य कर्मी हाथियों को मूवमेंट पर नजर रखे हुए हैं. बेतला फॉरेस्ट रेंज के ऑफिसर प्रेम कुमार बताते हैं कि लगातार बेतला के इलाके में हाथियों का झुंड पानी पीने के लिए पहुंच रहा है. इस इलाके में गर्मियों के दिनों में हाथियों का झुंड रुकना सुखद है. सभी जल स्रोतों की सफाई की गई थी, जिसका नतीजा है कि हाथी रुके हुए हैं.
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600 हेक्टयर में फैले बांस के पेड़ों की हुई थी सफाई, 450 से अधिक है जलस्रोत
बांस हाथियों का प्रिय भोजन रहा है. पलामू टाइगर रिजर्व के कोर और बफर एरिया में बांस के पेड़ करीब 600 हेक्टेयर में फैले हैं. गर्मियों से पहले सभी बांस के पेड़ों की सफाई की गई थी ताकि हाथियों को भोजन के लिए भटकना ना पड़े. पीटीआर में 450 से भी अधिक जल स्रोत हैं. पीटीआर के अंदर से ही कोयल औरंगा और बूढ़ा नदी गुजरती है, इस बार सभी नदियों में पानी भी है.
पलामू टाइगर रिजर्व के निदेशक वाईके दास बताते हैं कि पानी का संकट इस बार गर्मियों में नहीं है, सभी जल स्रोत में पानी है नतीजा है कि वन्य जीव पानी के लिए भटक नहीं रहे हैं. उन्होंने बताया कि इस बार गर्मियों के दिनों में पानी की उपलब्धता रहेगी जबकि जनवरी फरवरी के महीने बारिश नहीं हुई थी.