गढ़वा/पलामू: गढ़वा में मानव जीवन के लिए खतरा बन गए तेंदुए को मारने की अनुमति मांगी गई है. गढ़वा सीएफ, डीएफओ और रेंज ऑफिसर ने इस संबंध में पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ को एक प्रस्ताव ((Forest Officers Ask Permission From PCCF Wildlife)भेजा है. इस प्रस्ताव में तेंदुआ को मारने की अनुमति मांगी गई है. पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ ने अभी तक तेंदुआ को ट्रैंकुलाइज कर पकड़ने की अनुमति दी है. तेंदुआ को मानव जीवन के लिए खतरा बताते हुए मारने की अनुमति मांगी गई है. तेंदुआ को मारने की अनुमति मिलने के साथ ही आधुनिक हथियारों का इस्तेमाल किया जाएगा.
हैदराबाद के मशहूर शूटर नवाब सफत अली खान का बुलाया गयाः फिलहाल तेंदुए को ट्रैंकुलाइज कर पकड़ने के लिए हैदराबाद के मशहूर शूटर नवाब सफत अली खान के नेतृत्व में टीम कैंप कर रही है. इस संबंध में गढ़वा के सीएफ दिलीप कुमार ने बताया कि समिति ने तेंदुआ को मारने की अनुशंसा की है. तेंदुआ का लोकेशन लगातार मानव बस्ती के अगल-बगल रहा है. जिस कारण इसे मानव जीवन के लिए खतरा माना जा रहा है. कई बिंदुओं पर विचार करने के बाद तेंदुआ को मारने के लिए अनुमति (Forest Officers Ask Permission To Kill Leopard) मांगी गई है. दिलीप कुमार ने बताया कि तकनीकी भाषा में मैन इटर कोई शब्द नहीं है, इसलिए तेंदुआ को मानव जीवन के लिए खतरा घोषित किया गया है.
ट्रैंकुलाइजर का रेंज 25 मीटरः नवाब सफत अली खान की टीम जिस ट्रैंकुलाइजर का इस्तेमाल कर रही है, उसका रेंज 25 मीटर के करीब है. जबकि तेंदुआ को इतनी नजदीक से ट्रैंकुलाइज करना काफी मुश्किल है. ट्रैंकुलाइजर की स्पीड 300 किलोमीटर प्रति घंटा है, जबकि बंदूक से निकली गोली 3000 प्रति किलोमीटर की घंटा की रफ्तार से निकलती है. जंगल में तेंदुआ पहाड़ और काफी दूरी में छुप जा रहा है, इस बिंदु को भी ध्यान में रखकर मारने की अनुमति मांगी गई है. नवाब सफत अली खान की टीम गढ़वा के रमकंडा, रंका और भंडरिया के अलग-अलग इलाके में कैंप कर रही है. सात जनवरी को तेंदुआ का लोकेशन रमकंडा के कुशवार के इलाके में मिला (Leopard Location Kushwar Of Ramkanda) था, जिसके बाद से नवाब की टीम इलाके में कैंप कर रही है. नवाब की टीम को चार अलग-अलग हिस्सों में बांटा गया है. सभी टीम अलग-अलग इलाकों में कैंप कर रही है और रात पेड़ पर मचान बना कर गुजार रही है.
मानव बस्ती के आसपास ही रहता है तेंदुआ, 10 किलोमीटर में घेराबंदीः तेंदुआ ने अंतिम मानव जीवन पर हमला 28 दिसंबर को किया था. उसके बाद तेंदुआ द्वारा किसी भी मानव पर हमला की खबर निकल कर सामने नहीं आई है. 28 दिसंबर से आठ जनवरी के बीच तेंदुआ को रमकंडा के इलाके में तीन बार देखा गया था. हर बार तेंदुआ मानव बस्ती के अगल-बगल ही देखा गया है. वन विभाग का कहना है कि तेंदुआ 10 किलोमीटर के रेडियस में मानव बस्ती के अगल-बगल ही रह रहता है. जिस कारण अलर्ट जारी किया गया है.