पलामूः एशिया के प्रसिद्ध कुंदरी लाह बगान पर चोरों की नजर है. चोरों के आतंक के कारण 663 महिलाओं को लाखों रुपए के आय का नुकसान हुआ है. चोर बगान से लाह की चोरी कर ले रहे हैं. इसको लेकर महिलाओं ने पेड़ों की सुरक्षा की गुहार प्रशासन ने लगाई है.
2020 में वन विभाग में झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी के साथ अनुबंध किया था और लाह उत्पादन से स्वयं सहायता समूह के महिलाओं को जोड़ा गया था. लाह उत्पादन से करीब 663 महिलाएं जुड़ी हुई हैं. कोविड-19 के कारण पहले वर्ष में उत्पादन काफी प्रभावित रहा. चालू वित्तीय वर्ष में बगान से करीब 100 क्विंटल उत्पादन का लक्ष्य रखा गया था, फिलहाल 25 क्विंटल के करीब ही उत्पादन हो पाया है.
इस दौरान कुंदरी लाह बगान में चोरी हुई, जिसमें लाखों रुपये के कीमत की लाह चोर ले गये. जिससे इन महिलाओं को काफी नुकसान उठाना पड़ा. इस मामले में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने कई स्तर पर गुहार लगाई है और चोरी को रोकने का आग्रह किया है. लाह की चोरी को देखते हुए वन विभाग ने भी कार्रवाई शुरु किया है और अब तक तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है.
लाह उत्पादन से जुड़ी नागवंती देवी ने बताया कि दिन में वो पूरे इलाके का सुरक्षा करती हैं लेकिन रात होने के बाद उनके लिए संकट का समय शुरू हो जाता है. रात में ही लाख की चोरी हो रही है, जिस कारण उन्हें लाखों का नुकसान हुआ है. लाह उत्पादन से जो उन्होंने लक्ष्य रखा था उस लक्ष्य को हासिल नहीं किया जा सका है. इस वजह से उनका आय प्रभावित हो रहा है.
421 एकड़ में फैला है लाह बगानः पलामू का कुंदरी लाह बागान एशिया का दूसरा सबसे बड़ा लाह बगान है. यह करीब 421 एकड़ में फैला हुआ है और इलाके में 90 हजार पलाश के पेड़ मौजूद हैं. पूरी क्षमता के साथ इलाके में लाह की खेती की जाए तो करोड़ों रुपये की आय होगी. चालू वित्तिय वर्ष में एक करोड़ रुपये के कारोबार का लक्ष्य रखा गया था और उसी हिसाब से पलाश के पेड़ पर लाह को चढ़ाया गया था. लेकिन 25 लाख रुपये के करीब ही उत्पादन हो पाया क्योंकि बड़े पैमाने पर लाह चोरी कर ली गई है.
2013 लाह बागान के इलाके में 35 हजार पलाश के पेड़ मौजूद थे, सरकारी प्रयासों के बाद पिछले एक दशक में 90 हजार पेड़ हो गये हैं. लाह बगान से एक जमाने में हर्बल रंगों का भी उत्पादन होता था लेकिन तकनीकी कारणों से हर्बल रंगों का उत्पादन नहीं हो पा रहा है. ये सारे पेड़ वन विभाग के हैं जबकि उत्पादन के लिए वन विभाग ने जेएसएलपीएस के साथ एमओयू किया हुआ है.