पलामूः कुछ लोगों ने झारखंड के जंगल पहाड़ों को डरावना बना दिया, झारखंड के जंगल और पहाड़ काफी खूबसूरत है. जब राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 27 जनवरी 2023 को ये बातें माओवादियों के सबसे सुरक्षित ठिकाने बूढ़ा पहाड़ में कहीं तो इलाके में तालियां गूंज उठी थीं. ऐसा पहली बार हुआ कि सूबे का कोई मुखिया बूढ़ा पहाड़ पहुंचा था.
साल 2022-23 झारखंड में सुरक्षाबलों और पुलिस के लिए नक्सलियों के खिलाफ अभियान के दौरान कई सफलताएं लेकर सामने आईं. इसी कड़ी में बूढ़ा पहाड़ पर चलाया गया अभियान ऑक्टोपस इतिहास में एक मील का पत्थर साबित हुआ. बिना गोली खर्च किए सुरक्षा बलों ने बूढ़ा पहाड़ पर कब्जा जमा लिया और वहां तिरंगा फहरा लिया. नक्सलियों खिलाफ अभियान सफल होने के बाद माओवादियों के सबसे सुरक्षित ठिकाना बूढ़ा पहाड़ पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पहुंचे थे. 27 जनवरी 2023 को हेमंत सोरेन पहले ऐसे मुख्यमंत्री रहे जो माओवादियों के सबसे सुरक्षित ठिकानों में से एक बूढ़ा पहाड़ पर पहुंचे.
35 मिनट के भाषण में बूढा पहाड़ डेवलपमेंट प्रोजेक्ट की घोषणाः बूढ़ा पहाड़ पर सीएम हेमंत सोरेन करीब 35 मिनट तक भाषण दिया. इस दौरान नक्सल को लेकर मुख्यमंत्री ने कई बड़ी बातें कही थीं. इस दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बूढ़ा पहाड़ के इलाके के लिए डेवलपमेंट प्रोजेक्ट की भी शुरुआत की घोषणा की. सीएम ने कहा था कि जंगल पहाड़ सुकून वाला स्थान है, वे भी ऐसे गांव हैं, इसी तरह के गांव में हम भी पले बढ़े हैं. इस दौरान मुख्यमंत्री ने करोड़ों की लागत से डेवलपमेंट प्रोजेक्ट की भी शुरूआत की और नक्सल अभियान में तैनात जवानों का हौसला बढ़ाया था. इस दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बड़ी घोषणा करते हुए कहा था कि इलाके में शहीदों के स्मारक भी बनाए जाएंगे.
2 घंटे तक पहाड़ चढ़कर सीएम को देखने आए थे ग्रामीणः बूढ़ा पहाड़ पर पहुंचने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इलाके को नक्सली मुक्त की घोषणा किया था. बूढ़ा पहाड़ पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को देखने के लिए सैकड़ों ग्रामीण दो घंटे तक पहाड़ की चढ़ाई कर सभा स्थल पर पहुंचे थे. पहाड़ की चढ़ाने वालों में लातेहार और गढ़वा दोनों इलाके के ग्रामीण शामिल थे. तीन दशक में बूढा पहाड़ के इलाके में अभियान के क्रम में 58 जवान शहीद हुए जबकि 42 ग्रामीणों के भी जान गई थी. इस दौरान 41 माओवादी भी मारे गए थे जबकि इलाके में 44 कैंप भी स्थापित हुए है.
इसके बाद इस दुर्गम इलाके में सीआरपीएफ जवानों की मदद से सड़क और कच्चे पुल का निर्माण हुआ. सीआरपीएफ ग्रामीणों की मदद के लिए आगे आए. मेडिकल कैंप लगाकर ग्रामीणों के स्वास्थ्य की जांच की गयी. गरीबों के बीच जरूरी सामग्री का वितरण किया गया. गांव के बच्चों की पढ़ाई के लिए सुरक्षा बल के जवान आगे आए और उन्हें शिक्षा से रूबरू कराया. इसके अलावा कैंप में ही बच्चों को पढ़ाने का सिलसिला शुरू हुआ. इस दौरान बूढ़ा पहाड़ पर सोशल पुलिसिंग के कई कार्यक्रम हुआ, जिसमें ग्रामीणों में सुरक्षा बलों के प्रति भरोसा जगा.
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