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Palamu News: आज के दौर के कबीर के गाने और सूफी को जिंदा रखना बड़ी चुनौती- सूफी सिंगर मीर मुख्तियार अली

पलामू में इप्टा का राष्ट्रीय सम्मेलन चल रहा है. इप्टा के राष्ट्रीय सम्मेलन में सूफी सिंगर मीर मुख्तियार अली भी शामिल हुए. सम्मेलन के पहले दिन ईटीवी भारत की खास बातचीत में उन्होंने अपने अनुभव साझा किए. उन्होंने कहा कि आज के जमाने में संत कबीर और सूफी गायकी को जिंदा रखना किसी चुनौती से कम नहीं है.

ETV Bharat interview with Sufi singer Mir Mukhtiar Ali who came to IPTA convention in Palamu
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Published : Mar 18, 2023, 9:25 AM IST

Updated : Mar 18, 2023, 9:42 AM IST

सूफी सिंगर सूफी सिंगर मीर मुख्तियार अली से ईटीवी भारत की खास बातचीत

पलामूः आज के दौर में कबीर के गाने और सूफी गायन जैसे परंपरा को जिंदा रखना बड़ी चुनौती है. कबीर के गीतों को साथ लेकर चलना भी एक संघर्ष है. ये बात देश के प्रसिद्ध सूफी गायक मीर मुख्तियार अली ने कही हैं. पलामू में इप्टा का 15वां राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया है. जिसमें शामिल होने के लिए पलामू में गायक मीर मुख्तियार अली पहुंचे हैं.

इसे भी पढ़ें- पलामू में इप्टा का राष्ट्रीय सम्मेलन, दूसरे दिन छत्तीसगढ़, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों के लोक कलाकार देंगे प्रस्तुति

इस सम्मेलन में देश भर के 18 राज्यों के लोक कलाकार और प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं. इप्टा के राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेने के लिए मीर मुख्तियार अली भी पलामू पहुंचे हैं. मीर मुख्तियार के साथ ईटीवी भारत में बातचीत की है. ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत के दौरान मीर मुख्तियार ने कई सवालों के जवाब दिए और सूफी गीत-संगीत को लेकर कई जानकारी भी दी हैं.

सूफी सिंगर मीर मुख्तियार अली का यह दूसरा पलामू दौरा है. मीर मुख्तियार मूल रूप से राजस्थान के रहने वाले हैं और विश्व के 40 देशों में सूफी का गायन कर चुके हैं. मीर मुख्तियार कबीर द्वारा लिखे गए भजन को सूफियाना अंदाज में गाने के लिए विश्व भर में चर्चित हैं. मीर मुख्तियार ने कहा कि इस मॉडर्न जमाने में कबीर को साथ लेकर चलना संघर्ष है. उन्होंने कहा कि सूफी और इस तरह की परंपरा को जिंदा रखना बड़ी चुनौती है, वो कर्तव्य के साथ इस परंपरा को निभा रहे हैं.

उन्होंने कहा कि कबीर को 700 वर्षों से गाया जा रहा है वर्तमान परिवेश में कबीर की जरूरत है. आज नफरत के इस दौर में कबीर प्रासंगिक बनते जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि कबीर और सूफी को आकर्षक बनाकर लोगों के बीच प्रस्तुत किया जा सकता है. वो कुछ बच्चों को भी सूफी सिखा रहे हैं ताकि इस परंपरा को आगे ले जाए जा सके और इसे बचाया जा सके.

मीर मुख्तियार ने इप्टा के राष्ट्रीय सम्मेलन के बारे में बोलते हुए कहा कि यहां पर्यावरण समेत कई गंभीर विषय पर चर्चा होगी और लोगों के बीच जागरूकता की भी बातें होंगी. झारखंड और राजस्थान की अलग-अलग भौगोलिक स्थिति है लेकिन दोनों की संस्कृति काफी मिलती जुलती है. यहां के लोगों का उन्हें काफी प्यार मिलता है और यही कारण है कि इस इलाके के लोग कबीर और संतों को सुनते हैं.

सूफी सिंगर सूफी सिंगर मीर मुख्तियार अली से ईटीवी भारत की खास बातचीत

पलामूः आज के दौर में कबीर के गाने और सूफी गायन जैसे परंपरा को जिंदा रखना बड़ी चुनौती है. कबीर के गीतों को साथ लेकर चलना भी एक संघर्ष है. ये बात देश के प्रसिद्ध सूफी गायक मीर मुख्तियार अली ने कही हैं. पलामू में इप्टा का 15वां राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया है. जिसमें शामिल होने के लिए पलामू में गायक मीर मुख्तियार अली पहुंचे हैं.

इसे भी पढ़ें- पलामू में इप्टा का राष्ट्रीय सम्मेलन, दूसरे दिन छत्तीसगढ़, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों के लोक कलाकार देंगे प्रस्तुति

इस सम्मेलन में देश भर के 18 राज्यों के लोक कलाकार और प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं. इप्टा के राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेने के लिए मीर मुख्तियार अली भी पलामू पहुंचे हैं. मीर मुख्तियार के साथ ईटीवी भारत में बातचीत की है. ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत के दौरान मीर मुख्तियार ने कई सवालों के जवाब दिए और सूफी गीत-संगीत को लेकर कई जानकारी भी दी हैं.

सूफी सिंगर मीर मुख्तियार अली का यह दूसरा पलामू दौरा है. मीर मुख्तियार मूल रूप से राजस्थान के रहने वाले हैं और विश्व के 40 देशों में सूफी का गायन कर चुके हैं. मीर मुख्तियार कबीर द्वारा लिखे गए भजन को सूफियाना अंदाज में गाने के लिए विश्व भर में चर्चित हैं. मीर मुख्तियार ने कहा कि इस मॉडर्न जमाने में कबीर को साथ लेकर चलना संघर्ष है. उन्होंने कहा कि सूफी और इस तरह की परंपरा को जिंदा रखना बड़ी चुनौती है, वो कर्तव्य के साथ इस परंपरा को निभा रहे हैं.

उन्होंने कहा कि कबीर को 700 वर्षों से गाया जा रहा है वर्तमान परिवेश में कबीर की जरूरत है. आज नफरत के इस दौर में कबीर प्रासंगिक बनते जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि कबीर और सूफी को आकर्षक बनाकर लोगों के बीच प्रस्तुत किया जा सकता है. वो कुछ बच्चों को भी सूफी सिखा रहे हैं ताकि इस परंपरा को आगे ले जाए जा सके और इसे बचाया जा सके.

मीर मुख्तियार ने इप्टा के राष्ट्रीय सम्मेलन के बारे में बोलते हुए कहा कि यहां पर्यावरण समेत कई गंभीर विषय पर चर्चा होगी और लोगों के बीच जागरूकता की भी बातें होंगी. झारखंड और राजस्थान की अलग-अलग भौगोलिक स्थिति है लेकिन दोनों की संस्कृति काफी मिलती जुलती है. यहां के लोगों का उन्हें काफी प्यार मिलता है और यही कारण है कि इस इलाके के लोग कबीर और संतों को सुनते हैं.

Last Updated : Mar 18, 2023, 9:42 AM IST
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