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कोरोना संक्रमण में खतरों से खेलते हुए सरकारी अस्पतालों में प्रसव करा रहे डॉक्टर और नर्स, देखें ये रिपोर्ट

कोरोनो काल में कई निजी अस्पताल बंद रहे, लेकिन सरकारी अस्पतालों में खौफ सुरक्षित प्रसव कराया गया. पलामू के सरकारी अस्पतालों में मार्च से जून तक 4,637 महिलाओं का सुरक्षित प्रसव कराया गया. इस दौरान पलामू मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पीटल में 435 महिलाओं का सिजेरियन प्रसव कराया गया.

Doctors making deliveries in government hospitals during corona virus in palamu
कोरोना संक्रमण में खतरों से खेलते हुए सरकारी अस्पतालों में प्रसव करा रहे डॉक्टर
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Published : Jul 18, 2020, 10:20 PM IST


पलामू: कोरोनो काल में डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मियों की प्रतिष्ठा काफी बढ़ी है. कोरोना का नाम सुनते ही लोग खौफ में हैं, लेकिन इसी खौफ के बीच पलामू के सरकारी अस्पतालों में तैनात डॉक्टर और नर्स सुरक्षित प्रसव करा रहे हैं. पलामू में पीएमसीएच, हुसैनाबाद, छत्तरपुर, पांकी और बिश्रामपुर अनुमंडलीय अस्पताल में प्रसव करवाया जा रहा है. इस कोरोनो काल में कई निजी अस्पताल बंद रहे, लेकिन सरकारी अस्पतालों में खौफ सुरक्षित प्रसव कराया गया. पलामू के सरकारी अस्पतालों में मार्च से जून तक 4,637 महिलाओं का सुरक्षित प्रसव कराया गया. इस दौरान पलामू मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पीटल में 435 महिलाओं का सिजेरियन प्रसव कराया गया.

देखें ये स्पेशल रिपोर्ट
पलामू के सरकारी अस्पतालों में प्रसव के लिए पहुंची महिलाओं का कोरोनो टेस्ट नहीं किया जाता है. संदेह के आधार पर ही कुछ महिलाओं का टेस्ट किया जाता है. 4,637 प्रसव में मात्र 2-3 महिलाओं का ही टेस्ट हुआ है. पलामू मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पीटल में तैनात डॉक्टर नीलम होरो बताती हैं कि संदेह होने पर कोरोना टेस्ट किया जाता है. प्रसव के दौरान सुरक्षा मानकों का ध्यान रखा जाता है. इस दौरान पीपीई किट को डॉक्टर और स्टाफ पहनते हैं. वो बताती हैं कि कोरोना काल में जीवन बचाना भी जरूरी है. वो सेवा-भाव से भी काम कर रहे हैं. प्रसव के दौरान सहायक की भूमिका निभाने वाली रानी कुमारी बताती है कि वो खुद को सुरक्षित रखने के लिए कई कदम उठाती हैं. मसलन, कोई मरीज या परिजन अस्पताल पहुंचते है तो वो सामाजिक दूरी का पालन करने को कहती हैं.

ये भी पढ़ें- ETV BHARAT पर गुमला के प्रवासी मजदूरों ने सुनाई आपबीती, कहा- हेमंत सोरेन सरकार ने नहीं दिया रोजगार


सरकारी अस्पतालों में प्रसव के बाद परिजनों की उमड़ती है भीड़


पलामू के सरकारी अस्पतालों में लेबर वार्ड के बाहर परिजनों की भीड़ उमड़ती है. इस दौरान सामाजिक दूरी तार-तार नजर आती है. डॉक्टर और मेडिकल स्टॉफ लगातार मरीज के परिजनों को सामाजिक दूरी का ख्याल रखने की अपील करते हैं, लेकिन प्रसव के बाद बड़ी संख्या में लोग लेबर वार्ड तक पहुंच जाते हैं. ट्रॉली मैन मुकेश कुमार बताते हैं कि परिजनों से सामाजिक दूरी का पालन करने का बार-बार आग्रह किया जाता है. इसके बावजूद परिजन किसी की बात नहीं सुनते.


प्रसव के लिए जारी की गई गाइडलाइन

कोरोनो को देखते हुए प्रसव के लिए गाइडलाइन जारी की गई है. इसका ख्याल सरकारी अस्पतालों में रखा जा रहा है. पलामू डीपीएम दीपक कुमार बताते हैं कि गाइडलाइन का पालन किया गया है. संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए कई पहल की गई है. पलामू में लॉकडाउन के दौरान औसत से कम प्रसव हुए. पलामू में हर महीने 9,000 के करीब प्रसव होते हैं, जिसमे से 50 प्रतिशत के करीब प्रसव सरकारी अस्पतालों में होते हैं. कोरोनो काल में पलामू के सरकारी अस्पतालों में औसत से कम प्रसव हुए हैं.


पलामू: कोरोनो काल में डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मियों की प्रतिष्ठा काफी बढ़ी है. कोरोना का नाम सुनते ही लोग खौफ में हैं, लेकिन इसी खौफ के बीच पलामू के सरकारी अस्पतालों में तैनात डॉक्टर और नर्स सुरक्षित प्रसव करा रहे हैं. पलामू में पीएमसीएच, हुसैनाबाद, छत्तरपुर, पांकी और बिश्रामपुर अनुमंडलीय अस्पताल में प्रसव करवाया जा रहा है. इस कोरोनो काल में कई निजी अस्पताल बंद रहे, लेकिन सरकारी अस्पतालों में खौफ सुरक्षित प्रसव कराया गया. पलामू के सरकारी अस्पतालों में मार्च से जून तक 4,637 महिलाओं का सुरक्षित प्रसव कराया गया. इस दौरान पलामू मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पीटल में 435 महिलाओं का सिजेरियन प्रसव कराया गया.

देखें ये स्पेशल रिपोर्ट
पलामू के सरकारी अस्पतालों में प्रसव के लिए पहुंची महिलाओं का कोरोनो टेस्ट नहीं किया जाता है. संदेह के आधार पर ही कुछ महिलाओं का टेस्ट किया जाता है. 4,637 प्रसव में मात्र 2-3 महिलाओं का ही टेस्ट हुआ है. पलामू मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पीटल में तैनात डॉक्टर नीलम होरो बताती हैं कि संदेह होने पर कोरोना टेस्ट किया जाता है. प्रसव के दौरान सुरक्षा मानकों का ध्यान रखा जाता है. इस दौरान पीपीई किट को डॉक्टर और स्टाफ पहनते हैं. वो बताती हैं कि कोरोना काल में जीवन बचाना भी जरूरी है. वो सेवा-भाव से भी काम कर रहे हैं. प्रसव के दौरान सहायक की भूमिका निभाने वाली रानी कुमारी बताती है कि वो खुद को सुरक्षित रखने के लिए कई कदम उठाती हैं. मसलन, कोई मरीज या परिजन अस्पताल पहुंचते है तो वो सामाजिक दूरी का पालन करने को कहती हैं.

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सरकारी अस्पतालों में प्रसव के बाद परिजनों की उमड़ती है भीड़


पलामू के सरकारी अस्पतालों में लेबर वार्ड के बाहर परिजनों की भीड़ उमड़ती है. इस दौरान सामाजिक दूरी तार-तार नजर आती है. डॉक्टर और मेडिकल स्टॉफ लगातार मरीज के परिजनों को सामाजिक दूरी का ख्याल रखने की अपील करते हैं, लेकिन प्रसव के बाद बड़ी संख्या में लोग लेबर वार्ड तक पहुंच जाते हैं. ट्रॉली मैन मुकेश कुमार बताते हैं कि परिजनों से सामाजिक दूरी का पालन करने का बार-बार आग्रह किया जाता है. इसके बावजूद परिजन किसी की बात नहीं सुनते.


प्रसव के लिए जारी की गई गाइडलाइन

कोरोनो को देखते हुए प्रसव के लिए गाइडलाइन जारी की गई है. इसका ख्याल सरकारी अस्पतालों में रखा जा रहा है. पलामू डीपीएम दीपक कुमार बताते हैं कि गाइडलाइन का पालन किया गया है. संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए कई पहल की गई है. पलामू में लॉकडाउन के दौरान औसत से कम प्रसव हुए. पलामू में हर महीने 9,000 के करीब प्रसव होते हैं, जिसमे से 50 प्रतिशत के करीब प्रसव सरकारी अस्पतालों में होते हैं. कोरोनो काल में पलामू के सरकारी अस्पतालों में औसत से कम प्रसव हुए हैं.

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