पलामू: कोरोना से बचाव के लिए किए गए लॉकडाउन से कृषि उत्पादों पर गहरा प्रभाव पर रहा है. खासतौर पर गर्मियों के दिनों में सबसे अधिक खाया जाने वाला तरबूज फल पर लॉकडाउन का बुरा प्रभाव पड़ रहा है.
लागत भी निकालना हो रहा मुश्किल
पलामू का तापमान 41 डिग्री तक पंहुच गया चुका है, लेकिन तरबूज का व्यपार अभी तक मंदा है. पलामू और उसके आसपास के इलाकों में आमतौर पर होली के बाद तरबूज बिकना शुरू हो जाता है और अप्रैल के दूसरे हफ्ते तक इसकी खपत प्रतिदिन पांच से छह ट्रक तक पंहुच जाती है, लेकिन लॉकडाउन ने तरबूज के व्यपारियों को रोड पर ला दिया है.
तरबूज व्यपारी परेशान
बता दें कि पलामू में करीब 250 से 300 लोग तरबूज के व्यपार से जुड़े हुए हैं जो बाहर के राज्यों से तरबूज मंगा कर पलामू और लातेहार के इलाके में छोटे कारोबारियों को उपलब्ध करवाते हैं. तरबूज के व्यपारियों का कहना है कि आमतौर पर प्रतिदिन पांच से छह ट्रक तरबूज बिक जाता था, लेकिन लॉकडाउन के कारण महीने में एक ट्रक तरबूज बिक रहा है. लागत भी निकल पा रहा है. साथ ही लॉकडाउन की वजह से तरबूज मंगवाने में लागत बढ़ गई है.
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चार राज्यों से पलामू में आता है तरबूज
पलामू में गर्मी के शुरुआती दिनों में ओडिशा, छत्तीसगढ़ और एमपी के इलाकों से तरबूज आता है. मार्च के अंतिम और अप्रैल के पहले हफ्ते में इसकी मांग में काफी तेज जाती है. अप्रैल के अंत में यहां यूपी और बिहार के इलाके से तरबूज आना शुरू हो जाता है. गर्मी के मौसम में पलामू और उसके पास पास के इलाकों में तरबूज की करीब 25 से 30 करोड़ रुपये का कारोबार होता है. लॉकडाउन के कारण अभी तक 10 से 20 लाख कारोबार हुआ है.