पलामूः कभी सरकार की योजनाओं का विरोध करने वाले नक्सली अब सरकारी योजना का लाभ मिलने का इंतजार कर रहे हैं. आत्मसमर्पण करने वाले कई नक्सलियों को अभी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाया है. इधर आत्मसमर्पण नीति की अड़चनों को दूर कराने और आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के पुनर्वास के लिए पलामू जिला प्रशासन ने पहल की है. आत्मसमर्पण का लाभ देने के लिए मॉनिटरिंग कमिटी का गठन किया गया है, इस कमिटी में डीसी, एसपी, स्पेशल ब्रांच के डीएसपी, अपर समाहर्ता, एडीएम नक्सल समेत कई अधिकारी शामिल हैं.
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बता दें कि 2014 के बाद से पलामू में करीब 12 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है. कई नक्सलियों को प्रावधान के तहत लाभ दिलाया गया है, लेकिन कई को योजनाओं का लाभ दिलाने की कार्रवाई चल रही है. इसको लेकर पलामू जिला प्रशासन ने आत्मसमर्पण करने वालों को दिए जाने वाले लाभ की समीक्षा की पहल की है. पलामू डीसी शशि रंजन ने बताया कि आत्मसमर्पण नीति के तहत जो लाभ दिया जाना है , उसे देने के लिए पहल शुरू की गई है. सभी मामलों की समीक्षा की जा रही है.
इनको नहीं मिला है अभी लाभः बता दें कि पलामू माओवादी, टीएसपीसी और JJMP के कई टॉप कमांडर आत्मसमर्पण कर चुके हैं. इनमें पलामू में माओवादियो के टॉप कमांडर एनुल मियां, बिनु सिंह खरवार, कृष्णा सिंह, अभय सिंह, राजदेव यादव, सहदेव सिंह खरवार, भवानी भुइयां, अभय यादव आदि शामिल हैं. इनमें राजदेव यादव, कृष्णा सिंह, भवानी भुइयां, अभय यादव, सहदेव सिंह खरवार को आत्मसमर्पण का लाभ नहीं मिल पाया है. बताया जा रहा है अभय यादव ने जो हथियार पुलिस को सौंपा था वह रेगुलर नहीं है, इस कारण उनको लाभ दिए जाने में दिक्कत आ रही है. इधर पलामू जिला प्रशासन समर्पण नीति की अड़चनों को दूर कराने का प्रयास कर रहा है.
यह है प्रावधानः सरकार की नई दिशा पहल के तहत आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को कई सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जाना है. इनामी नक्सली के आत्मसमर्पण करने के बाद इनाम की पूरी राशि परिजनों को दी जाएगी. हथियार के साथ आत्मसमर्पण के लिए अलग से राशि का प्रावधान है. आत्मसमर्पण के बाद नक्सलियों को चार-चार डिसमिल जमीन दिया जाना है और बच्चों की पढ़ाई की व्यवस्था की जानी है. आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली अगर ओपन जेल में रहना चाहते हैं, तो उसकी भी व्यवस्था की जानी है और उन्हें परिजनों के साथ ओपन जेल में रखा जाएगा.